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कमिश्नरी सिस्टम से ऑटोक्रेट और निरंकुश नहीं होगी पुलिस: डीजीपी ओपी सिंह
लखनऊ. सूबे की राजधानी लखनऊ और व्यावसायिक राजधानी नोएडा में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होते ही पुलिस के अधिकारों के दुरुपयोग पर भी चर्चा शुरू हो गई है. इस पर न्यूज़ 18 से खास बातचीत में डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि पुलिस कमिश्नरी से जनता से जुड़े और कानून व्यवस्था से जुड़े मामलों को निपटाने में तेजी आएगी. डीजीपी ने कहा कि सिर्फ हिंदी बेल्ट के उत्तर प्रदेश, बिहार में ही कमिश्नरी सिस्टम नहीं था, जबकि देश के 53 शहरों में ये व्यवस्था है. डीजीपी ने कहा कि सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लिया है जिसका सीधा फायदा जनता को होगा और जनता की समस्या दूर करने में में तेजी आएगी.
डीजीपी ने कहा कि जहां एसएसपी रैंक का अफसर होता था वहां अब वहां एडीजी होगा. सीनियर एडीजी स्तर का अधिकारी जब छोटी सी जगह में काम करेगा तो बेहतर रिजल्ट मिलेगा. छोटी सी जगह में करने के लिए ढेर सारे अधिकारी उपलब्ध रहेंगे. महिलाओं के खिलाफ अपराध और ट्रैफिक मैनेजमेंट में एसपी स्तर के अधिकारी की तैनाती से बेहतर परिणाम मिलेंगें.
न्यूज़18 से बातचीत में श्रीकांत शर्मा ने कहा कि यह फैसला बहुत पहले हो जाना चाहिए था, लेकिन राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी की वजह से नहीं हो पाया. हमारी सरकार ने यह साहसी कदम उठाया है. मंत्री ने कहा कि कमिश्नर प्रणाली लागू होने से आईएएस अधिकारियों के अधिकारों में कोई कटौती नहीं की गई है. सिर्फ पुलिस की जवाबदेही तय की गई है. अब कोई बहाना नहीं चलेगा.
कमिश्नर के पास 15 अधिकार होंगे
बता दें कमिश्नर के पास 15 अधिकार होंगे. हालांकि आबकारी व बंदूक लाइसेंस का धिकार डीएम के पास ही रहेगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि कमिश्नर प्रणाली के लागू होते ही पुलिस के अधिकार बढ़ गए हैं. किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को अब डीएम आदि अधिकारियों के फैसले का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा. पुलिस फैसले लेने के लिए होगी ज्यादा ताकतवर होगी. जिले के कानून-व्यवस्था से जुड़े सभी फैसलों को लेने का अधिकार होगा. कमिश्नर के पास एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्टेरियल पॉवर होगी. मुख्यमंत्री ने बताया कि पुलिस शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने से लेकर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका लगाने में सक्षम होगी.
डीएम से इन बातों के लिए अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी
कमिश्नर प्रणाली के तहत पुलिस को सीआरपीसी में 107-16, धारा 144, 109, 110, 145 के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी मिल जाएगी. धरना प्रदर्शन की अनुमति देना न देना, दंगे के दौरान लाठीचार्ज होगा या नहीं, कितना बल प्रयोग हो यह भी पुलिस ही तय करेगी. जमीन की पैमाइश से लेकर जमीन संबंधी विवादों के निस्तारण का अधिकार भी पुलिस को मिल जाएगा. डीएम के पास बार से लेकर गन लाइसेंस देने का अधिकार बना रहेगा.