लखनऊ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जन्म से नहीं बल्कि जुगाड़ से पिछड़े बने हैं - मायावती

Special Coverage News
28 April 2019 3:22 AM GMT
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जन्म से नहीं बल्कि जुगाड़ से पिछड़े बने हैं - मायावती
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वास्तव में नीच व छोटा अभी भी वे व उनकी पार्टी दलितों को मानकर चलती है तथा ऐसी मानसिकता वाले लोग एससी/एसटी व ओबीसी के सच्चे हिमायती व हितैषी कभी भी साबित नहीं हो सकते हैं।


बसपा सुप्रीमों मायावती ने कहा कि मीडिया बन्धुओं, जैसाकि आप लोगांे को यह विदित है कि यहाँ उत्तर प्रदेश में 3 चरणों के चुनाव हो चुके है जिसमें खासकर भारतीय जनता पार्टी अपने आपको बहुत कमजोर व फिसड्डी महसूस कर रही है हालांकि इन तीनों चरण के दौरान इन्होंने इस चुनाव को धार्मिक रंग देने की पूरी-पूरी कोशिश की है जिसमें इस बार यह पार्टी हमारे गठबन्धन के काफी सजग रहने की वजय से फिर यह काफी बुरी तरह से पिट गई है व फेल हो गई है।

उन्होंने कहा कि इसके बाद इस पार्टी ने व खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी चुनावी जनसभाओं में खुद अपने को पिछड़े वर्ग का बताके फिर इस चुनाव में इन्होंने जाति के आधार पर यहाँ पिछड़े वर्गों का वोट लेने का पूरा-पूरा प्रयास किया है। लेकिन इनकी मूल जाति के बारे में कौन नहीं जानता है कि मोदी पहले अगड़ी जाति में ही आते थे लेकिन गुजरात में अपनी सरकार के चलते हुये फिर इन्होंने अपने राजनीतिक लाभ के लिए व पिछड़ों का भी हक मारने के लिए अपनी अगड़ी जाति को ही वहाँ पिछड़े वर्ग में शामिल करवा लिया था तो फिर इसमें हमने इनकी जाति के बारे में यह क्या गलत बोल दिया है कि यह मुलायम सिंह यादव व इनके बेटे अखिलेश यादव की तरह जन्मजात पिछड़े वर्ग के नहीं है अर्थात् यह पहले ऊँची जाति के थे और बाद में ओ.बी.सी. के बने है।

बसपा सुप्रीमों ने कहा कि लेकिन फिर भी आज इन्होंने कन्नौज में जो यह कहा है कि मुझे पिछड़े वर्ग का होने की वजय से हमारे विरोधी लोग मुझे नीच समझते हैं और मुझे बहनजी व अखिलेश ने भी नीच कहा है, जो इनका यह आरोप काफी शरारतपूर्ण व तथ्य से बिल्कुल परे है, जबकि हमने इनको कभी भी नीच नहीं कहा है बल्कि इनको पूरे सम्मान के साथ ऊँची जाति का ही होने का बताया है तो भला फिर इसमें इनके लिए नीच कहने वाली बात कहा से आ गई है।और अब इससे तो हम यही मानकर चलेंगे कि अब यह अपनी नजरों में अपरकास्ट समाज को भी नीच ही समझने लगे हैं, यह भी यहाँ गम्भीरता से सोचने की ही बात है जबकि वास्तव में नीच व छोटा तो अभी भी यह खुद भी व इनकी पार्टी भी हमारी दलित जाति के लोगांे को ही मानकर चलते है यह पूरा देश जानता है।

(1) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जन्म से नहीं बल्कि जुगाड़ से पिछड़े बने हैं तथा इसे राजनैतिक तौर पर भुनाने की भरपूर कोशिश लगातार करते रहे है।
(2) उनकी जाति अगड़ी जाति में रही है जो पूरा देश जानता है और इस सम्बंध में यह आरोप लगाना कि उन्हें नीच समझा जाता है, काफी शरारतपूर्ण व तथ्य से बिल्कुल परे है। इनको कभी भी नीच नहीं कहा गया है बल्कि इनको पूरे सम्मान के साथ ऊँची जाति का ही होने का बताया है।
(3) वास्तव में नीच व छोटा अभी भी वे व उनकी पार्टी दलितों को मानकर चलती है तथा ऐसी मानसिकता वाले लोग एससी/एसटी व ओबीसी के सच्चे हिमायती व हितैषी कभी भी साबित नहीं हो सकते हैं।
(4) इन्होंने ओबीसी आरक्षण का भी विरोध किया और उससे दुःखी होकर पीएम वी.पी. सिंह की सरकार गिरा दी थी। इनका रवैया कांग्रेस जैसा ही दलित व पिछड़ा वर्ग विरोधी है।
(5) संभव है आज के बाद पीएम मोदी पिछड़ा होने का कार्ड खेलने की राजनीति खुद ही बन्द कर दें अर्थात् अब इनका जात-पात जपना व इसकी आड़ में दलितों व पिछड़ों का वोट हड़पना यह अब बिल्कुल चलने वाला नहीं है।
(6) और इनके सभी हथकण्डों के फेल होने के बाद अब वे प्रबल विरोधियों को तंग करने के लिए चुनाव के समय में भी सीबीआई का गलत राजनीतिक इस्तेमाल करने पर उतारू है, जिसकी ताजा मिसाल चीनी मिलों की बिक्री का मामला है और लोगो को भ्रमति करने के लिए इसको मीडिया में काफी बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जा रहा है जबकि अगर इसकी प्रक्रिया में कोई दोष है तो उसकी जाँच हो सकती है उसमें कोई एतराज की बात नहीं है।
(7) चुनाव के दौरान इस प्रकार की कार्रवाई जनहित के मुद्दों से भटकाने का प्रयास है तथा सी.बी.आई. को फिर से तोते की तरह इस्तेमाल करने की गलत कोशिश है। लेकिन जनता इनके षड़यंत्रों को सफल होने देगी।

मायावती ने कहा कि इतना ही नहीं बल्कि यह बात भी सर्वविदित है कि इनकी पार्टी व खुद नरेन्द्र मोदी भी कभी भी यहाँ दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछड़े वर्गों के सच्चे हिमायती व हितैषी साबित नहीं हो सकते है और इसका हैदराबाद का रोहित वेमुला काण्ड व गुजरात का ऊना काण्ड ये खास सबूत है। इसके साथ ही इनके बारे में अन्य पिछड़े वर्ग के लोग भी यह बात अच्छी तरह से जानते है कि जब पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय वी.पी. सिंह की सरकार में इन वर्गांे को आरक्षण देने के लिए मण्डल कमीशन की रिपोर्ट लागू की गई थी तो तब उस समय इनकी सरकार को बाहर से समर्थन दे रही इसी ही भारतीय जनता पार्टी ने इनके इस फैसले से दुःखी होकर फिर इनकी सरकार को समय से पहले ही गिरा दिया था और फिर इन्होंने आरक्षण विरोधियों को आगे करके इसका पूरे देश में जबरदस्त विरोध भी खूब किया था। और इसी ही प्रकार कांग्रेस पार्टी भी इनकी कभी भी सच्ची हितैषी पार्टी साबित नहीं हो सकती है जिन्होंने केन्द्र में अपनी सरकार के चलते हुये मण्डल कमीशन की रिपोर्ट को लागू नहीं होने दिया था।

उन्होंने कहा, इसलिए इस चुनाव में और आगे भी किसी भी चुनाव में खासकर कांग्रेस व बीजेपी के दलित एवं पिछड़ा कार्ड खेलने से भी इनको कोई राजनैतिक लाभ मिलने वाला नहीं है और हो सकता है कि आज इस सम्बन्ध में मेरी प्रेसवार्ता होने के बाद से शायद श्री नरेन्द्र मोदी अपना यह पिछड़ा होने का कार्ड खेलने की राजनीति खुद ही बन्द कर दें। अर्थात् अब इनका जांत- पांत जपना व इसकी आड़ में दलितों व पिछड़ों का वोट हड़पना यह बिल्कुल भी चलने वाला नहीं है।


मायावती बोलीं, इसके साथ ही आप लोगों को यह भी मालूम है कि बीजेपी ने अपने 5 वर्षों के कार्यकाल में अपने चुनावी वायदों का जमीनी हकीकत में लगभग एक चैथाई हिस्सा भी कार्य पूरा नहीं किया है जिसकी वजह से खासकर उत्तर प्रदेश में अभी तक जो 3 चरण के चुनाव हो चुके है उसमें यह पार्टी इस बार बहुत पीछे रह जायेगी और शेष बचे चरणों में भी इस पार्टी का लगभग यही बुरा हाल होने वाला है जिसको लेकर यह पार्टी बहुत मुश्किल में है यह सभी जानते हैं। बीजेपी भी जानती है। और अब जब इस चुनाव में इनके अभी तक के इस्तेमाल किये गये सभी हथकण्डे बहुत बुरी तरह से फेल हो गये है तो अब यह पार्टी यहाँ ऐसे हथकण्डों का भी इस्तेमाल कर रही है जो आजादी के बाद से लेकर अभी तक भी हमारे देशवासियों ने ऐसा किसी भी सरकार में होते हुये नहीं देखा है अर्थात् चुनाव में चुनाव आचार संहिता लगने के बाद से फिर यहाँ किसी भी पूर्व में रही सत्ताधारी पार्टी ने खासकर सी.बी.आई., ई.डी. व आइ.टी. आदि का कभी भी अपने विरोधियों के विरुद्ध इनका राजनैतिक इस्तेमाल नहीं किया है।

मायावती ने कहा कि लेकिन देश में बीजेपी पहली एक ऐसी सत्ताधारी पार्टी है जिसने अपने राजनैतिक लाभ के लिए इस बार चुनाव में भी इन सब एजेन्सियों का अपने विरोधियों के विरुद्ध खुलकर इस्तेमाल किया है और उसे फिर मजबूरी में मीडिया भी खूब दिखाता रहा है। इससे यह साफ जाहिर हो जाता है कि यह पार्टी अब इस बार सत्ता में आने वाली नहीं है और इस सम्बन्ध में मुझे मीडिया के जरिये यह मालूम हुआ है कि अब चीनी मिलों के विक्रय के विषय में भी सी.बी.आई. द्वारा जाँच के मामले को भी राजनैतिक रंग दिया जा रहा है और इतने पुराने मामले में खासकर लोकसभा निर्वाचन के दौरान सी.बी.आई. जाँच की अधिसूचना निर्गत किया जाना यह सी.बी.आई. के दुरुपयोग का स्पष्ट उदाहरण है।

उन्होंने कहा कि हालांकि इस सम्बन्ध में यह भी सर्वविदित है कि चीनी मिलों के विक्रय में मुख्यमंत्री के रूप में मेरी कोई भूमिका नहीं थी। मेरे खुद के स्तर से इस विषय में कोई आदेश या निर्णय पारित नहीं किया गया था बल्कि यह फैसला कैबिनेट ने ही लिया था परन्तु मीडिया में इसको बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया जा रहा है। इससे ऐसा लगता है कि इस चुनाव में हमारे यहाँ महागठबन्धन की सफलता तथा इसको मिल रहे अपार जनसमर्थन से बौखला कर ही केन्द्र सरकार द्वारा चुनाव के दौरान यह सब कार्यवाही की गयी है। इस प्रकार से सी.बी.आई. को फिर से यहाँ एक बार तोते की तरह ही इस्तेमाल किया गया है।

मायावती ने कहा कि जबकि यहाँ चीनी मिलों की विक्रय की कार्यवाही राज्य की पूर्व की स्थापित नीति के तहत सम्बन्धित विभाग द्वारा की गयी थी। यदि इसकी प्रक्रिया में कोई दोष है तो उसकी जाँच हो सकती है। इसमें हमें कोई एतराज नहीं है। लेकिन अब खासकर चुनाव के समय में ये जान-बूझकर भ्रम फैलाया जा रहा है कि इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में, मेरी कोई भूमिका थी। यह सरासर गलत और तथ्यों के विपरीत है और हमारे महागठबन्धन की दिन-प्रतिदिन हो रही मजबूती पर इन हथकण्डों से कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। सत्य को नहीं दबाया जा सकता। जनता सब समझती है। चुनाव के दौरान यह कार्यवाही करके जनता को भ्रमित किया जा रहा है। जनहित के मुद्दों से भटकाया जा रहा है। और वैसे भी चीनी मिलों के विक्रय के सम्बन्ध में आॅडिट आपत्तियों में अथवा लोकायुक्त की रिपोर्ट में भी मुख्यमंत्री के सम्बन्ध में कोई विपरीत टिप्पणी नहीं की गयी है। इससे यह स्पष्ट है कि इस सम्बन्ध में एक सोची-समझी रणनीति व साजिश के तहत् ही केन्द्र सरकार सी.बी.आई. के माध्यम से चुनाव प्रभावित करने के उद्देश्य से ही यह सब कार्यवाही कर रही है जनता को इससे सावधान रहना चाहिये। लेकिन केन्द्र सरकार अपने इस षड्यन्त्र में सफल नहीं होगी और यहाँ उत्तर प्रदेश में महागठबन्धन की जीत सुनिश्चित है। इसे कोई रोक नहीं सकता है और आज चैथे चरण का प्रचार भी बन्द हो गया है और यह चरण भी हमारे गठबन्धन का काफी अच्छा रहेगा। इसी ही प्रकार आगे के चरण भी काफी अच्छे ही रहने वाले हैं।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, देश की जनता बहुत बारीकी व गंभीरता के साथ बीजेपी की मोदी सरकार के पाँच वर्षों का आंकलन कर रही है और वोट करते समय इस बात को जरूर ध्यान में रखेगी कि यह सरकार जनहित के खास मामलों में खासकर गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी के साथ-साथ किसानों, छोटे व्यापारियों व मध्यम वर्ग के हितों की रखवाली के मामलों में बुरी तरह से विफल साबित हुई है और अपनी इन कमियों पर से जनता का ध्यान बांटने के लिए पुलवामा, बालाकोट आदि के मुद्दे जबर्दस्ती उछाल रही है। वास्तविकता यह भी है कि दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यकों को इतना आतंकित व भयभीत करने का प्रयास जारी है कि वे अपने हक की लड़ाई भी नहीं लड़ सकें, यह घोर जनविरोधी नीति है। अपने हक व जुल्म-ज्यादती व अन्याय के खिलाफ संघर्ष या विरोध करने वालों को आतंकी/देशद्रोही और ना जाने क्या-क्या घोषित कर दिया जाता है, यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। अगर कोई गलत काम करता है तो उसे कानून के हिसाब से सजा मिलनी चाहिये लेकिन उसकी आड़ में समस्त समाज को सजा देने की कोशिश करना अनुचित है।

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