लखनऊ

उन्नाव रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, 45 दिन में ट्रायल पूरा किया जाए, लेकिन 80 दिन बाद भी पूरा नहीं हुआ ट्राइल क्यों?

Special Coverage News
4 Dec 2019 5:03 AM GMT
उन्नाव रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, 45 दिन में ट्रायल पूरा किया जाए, लेकिन 80 दिन बाद भी पूरा नहीं हुआ ट्राइल क्यों?
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प्रियंका गाँधी ने उन्नाव रेप मामले के फैसले में हो रही देरी पर सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर उठाया सवाल

उत्तर प्रदेश में नवोदय विद्यालय की छात्रा के रेप मामले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखने के बाद यूपी कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी ने आज फिर एक बड़ी बात उठाई है. उन्होंने महिलाओँ को लेकर एक बड़ी बात कही है साथ ही राजनैतिक लोंगों के उपर कटाक्ष किया है.

प्रियंका गाँधी ने कहा है कि उन्नाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि 45 दिन में ट्रायल पूरा किया जाए. लेकिन 80 दिन बीत चुके हैं और अभी तक ट्रायल पूरा नहीं हुआ. महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में यूपी सबसे ऊपर है. अपराधियों के खिलाफ मामले ही नहीं दर्ज होते और अगर मामला रसूख वाले भाजपा विधायक का है तो पहले FIR में देरी होती है, फिर गिरफ़्तारी में और अब ट्रायल लटका पड़ा है.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उन्नाव बलात्कार से बचे पांच मामलों में मुकदमे के लिए 45 दिन की समयसीमा निर्धारित की थी. क्योंकि उसने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को एक सप्ताह के भीतर महिला के दुर्घटना मामले में जांच पूरी करने का निर्देश दिया था. अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को अंतरिम मुआवजे के रूप में बलात्कार पीड़ित को 25 लाख रुपये प्रदान करने का भी निर्देश दिया गया था.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, और जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि दुर्घटना के मामले में जांच के लिए एजेंसी केवल सात दिन का अतिरिक्त समय मांग सकती है और वह भी असाधारण परिस्थितियों में, पीठ ने निर्देश दिया कि बलात्कार से संबंधित मुख्य मामले में सुनवाई शुरू होने से 45 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी.

अदालत ने कहा कि मामलों की सुनवाई के लिए पीठासीन न्यायाधीश का नाम एक चैम्बर परामर्श के बाद तय किया जाएगा. अदालत ने कहा कि यह मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एक त्वरित जांच और परीक्षण सुनिश्चित करने के लिए आरोपी व्यक्तियों के प्रतिनिधित्व के बिना एक पूर्व-पक्षीय आदेश पारित कर रहा था.

पीठ ने कहा कि वह आज पारित आदेश को खाली करने या बदलने की मांग करने वाली किसी भी याचिका पर विचार नहीं करेगी. अदालत ने निर्देश दिया कि उत्तरजीवी, उसकी मां और परिवार के अन्य सदस्यों को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाएगी और कमांडेंट के स्तर का एक अधिकारी एक अनुपालन रिपोर्ट दर्ज करेगा.

अदालत ने लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टरों से सीबीआई द्वारा प्राप्त किए गए मौखिक निर्देशों पर भी ध्यान दिया कि बची और उसके वकील दोनों को नई दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया जाएगा. हालाँकि, इस संबंध में निर्देश प्राप्त करने के बाद इस आदेश को पारित करेगा.

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