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अयोध्या फैसला पर रिव्यू पिटीशन को लेकर मुस्लिम पक्षों में दो फाड़!
लखनऊ. आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमियत उलेमा-ए-हिन्द ने रविवार को ऐलान किया कि वे अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी. इतना ही नहीं पर्सनल लॉ बोर्ड ने मस्जिद के लिए दूसरी जगह जमीन लेने से भी इनकार कर दिया. हालांकि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और इस मामले में मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी की राय जुदा है. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और इकबाल अंसारी ने कहा है कि वे इस मामले में रिव्यू पिटीशन दाखिल नहीं करेंगे.
लखनऊ में हुई पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक के बाद सचिव जाफरयाब जिलानी और मौलाना उमरेन महफूज रहमानी ने कहा कि 30 दिन के भीतर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी जाएगी. इतना ही नहीं बोर्ड की तरफ से राजीव धवन ही वकील होंगे. मुमताज पीजी कॉलेज में हुई बैठक के बाद जिलानी और रहमानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला समझ से परे, अनुचित और विरोधाभासी है. हम इंसाफ के लिए सुप्रीम कोर्ट गए थे, न कि कहीं और थोड़ी से जमीन लेने के लिए. मस्जिद की जमीन अल्लाह की होती है. शरीयत के मुताबिक हम दूसरी जमीन कबूल नहीं कर सकते.
मुस्लिम पक्ष बंटा
मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले से किनारा कर लिया है. इकबाल अंसारी ने कहा मुस्लिम पक्ष के पांच पक्षकार हैं. कोई क्या कह रहा है इसमें हमें कोई लेना देना नहीं. हम रिव्यू याचिका दाखिन नहीं कर रहे हैं. अब इसका कोई मतलब नहीं है, जब फैसला वही रहेगा. इससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ेगा. सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी ने कहा हम पुनर्विचार याचिका दाखिल नक करने के फैसले पर कायम हैं. हालांकि पांच एकड़ जमीन को लेकर पर्सनल लॉ बोर्ड के नजरिए पर गौर करेंगे. सुन्नी वक्फ बोर्ड 26 नवंबर को इस पर चर्चा करेगा.