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यूपी विधानसभा उपचुनाव: मुकाबला हुआ दिलचस्प बीजेपी की बढ़ीं धड़कनें
लखनऊ. यूपी विधानसभा उपचुनाव में इस बार लखनऊ की कैंट विधानसभा में कम वोटिंग से बीजेपी की धड़कनें बढ़ा दी हैं. बीजेपी का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है क्योंकि पहली बार बसपा भी उपचुनाव मैदान में है. 2017 की बात करें तो यहां बीजेपी ने सपा प्रत्याशी अपर्णा यादव काे हराया था, बसपा उस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी.
दरअसल इस बार उपचुनाव में कैंट में कुल 29.55 लोगों ने ही अपने वोट डाले. इससे कम वोटिंग 1991 के विधानसभा चुनाव में हुई थी, जब इस सीट पर 28.42 फीसदी वोटिंग हुई थी. 27 साल बाद कम हुई वोटिंग से बीजेपी में चर्चाओं का दौर शुरू है. दरअसल 2012 को छोड़ दें तो 1991 से ही इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. हाल ही में इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव जीतने वाली डॉ रीता बहुगुणा जोशी ने ही यहां बीजेपी को 2012 में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मात दी थी, फिर 2017 में उन्होंने यहां से बीजेपी का परचम दोबारा लहराया था. इस बार उन्हीं के सीट खाली करने से ये उपचुनाव हुआ है.
बता दें उपचुनाव में बीजेपी ने अपने पूर्व विधायक को टिकट दिया. सुरेश तिवारी 1996 से 2007 तक लगातार विधायक रहे हैं. बीजेपी प्रत्याशी सुरेश तिवारी कहते हैं कि जनता चुनाव लड़ रही है. मुहर मोदी जी और योगी जी के नीतियों पर ही लगेगी. बाकी प्रत्याशियों को सुरेश तिवारी बाहरी बताते हैं.
सपा ने कभी नहीं जीता चुनाव
2017 के विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी की अपर्णा यादव रही थीं. इस बार हो रहे उपचुनाव में सपा ने अपर्णा को प्रत्याशी नहीं बनाया है. इस बार मेजर आशीष चतुर्वेदी सपा के प्रत्याशी हैं, जो सपाईयों के लिए भी नए हैं. सैनिक कल्याण संघ के भूतपूर्व अध्यक्ष मेजर आशीष अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.
वहीं कांग्रेस ने नया चेहरे के रूप में दिलप्रीत सिंह को उतारा है. कांग्रेस 2012 में जरूर ये सीट जीती थी, लेकिन उसमें रीता जोशी का प्रत्याशी होना भी अहम था. लखनऊ कैंट सीट पर पहाड़ के वोटरों की संख्या अच्छी-खासी है. 2012 के चुनाव में रीता जोशी को 63052 वोट मिले थे, उस समय बीजेपी प्रत्याशी सुरेश तिवारी को 41,299 वोट मिले थे. बसपा तीसरे नंबर पर रही थी. इस बार भी कांग्रेस दमखम लगा रही है.
पहली बार मैदान में है बसपा
इसके अलावा पहली बार बसपा भी उपचुनाव लड़ रही है. बसपा ने अरुण द्विवेदी को अपना उम्मीदवार बनाया है. भले ही बसपा पहली बार उपचुनाव लड़ रही हो, लेकिन उम्मीदवार अनुभवी हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में लखनऊ उत्तरी से अरुण द्विवेदी चुनाव लड़ चुके हैं. अब कैंट में दमखम लगाए हुए हैं. इनका मानना है कि बसपा पहली बार उपचुनाव में उतरी है लेकिन दावेदारी मजबूत है.
बसपा और सपा कभी नहीं जीत पाई है कैंट विधानसभा सीट
लखनऊ जिले की कैंट विधानसभा सीट में कुल 385341 मतदाता हैं. इनमें से 209870 पुरुष मतदाता और 175447 महिला मतदाता है. इस सीट पर 24 मतदाता ट्रांसजेंडर भी हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी को कुल 95402 वोट मिले थे जबकि समाजवादी पार्टी की अपर्णा यादव को कांग्रेस समर्थन के बाद 61606 वोट मिले थे. बीएसपी को 26036 हजार वोट मिले थे. कैंट की सीट पर बीएसपी और सपा कभी जीत दर्ज नहीं करा पाई है.