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योगी जी कर्मचारियों के पैसे को बरबाद करने के असली गुनाहगार कौन- प्रियंका गांधी

Special Coverage News
3 Nov 2019 5:20 AM GMT
योगी जी कर्मचारियों के पैसे को बरबाद करने के असली गुनाहगार कौन- प्रियंका गांधी
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उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन (UPPCL) के कर्मचारियों की भविष्य निधि की की धनराशि निजी कंपनी में निवेश किए जाने के खुलासे के बाद सियासत तेज हो गई है. मामले में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने योगी सरकार पर निशाना साधा है. प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के कर्मियों का पीएफ डिफाल्टर कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कार्पोरेशन लिमिटेड (DHFCL) में जमा करने को लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं.

प्रियंका गाँधी ने रविवार को ट्विट कर कहा है कि उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारियों की जिंदगी भर की कमाई भाजपा सरकार में DHFL में निवेश करके फँसा दी.चुनाव के दौरान मुझे तमाम सरकारी कर्मचारियों ने मिलकर नई पेंशन स्कीम को लेकर अपनी चिंता बताई थी. आज उनके शक जायज़ साबित हो रहे हैं. पैसा कर्मचारियों का और संदिग्ध जगह निवेश का फ़ैसला सरकार का. गुनाहगार कौन? जिस व्यक्ति ने ईमानदारी से अपनी ज़िंदगी भर की कमाई आपके हाथों में भरोसे से डाली उसके लिए आपका क्या जवाब है? और कितने विभागों के कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई ऐसी संदिग्ध कंपनियों में लगाई गई है? छोटी मछलियों को पकड़कर ध्यान भटकाने से नहीं, असली गुनाहगारों को सामने लाना होगा.



यूपी सरकार ने देर रात बिजली विभाग के दो अधिकारीयों को गिरफ्तार करके इस मामले में जेल भेज दिया है. इन्ही दो अधिकारीयों के जेल भेजे जाने पर प्रियंका गांधी से सरकार से फिर सवाल करते हुए कहा है कि इस मामले का असली गुनाहगार कौन है? उसे सामने लाया जाय. यह ये दो कर्मचारी मिलकर इतनी बड़ी डील नहीं कर सकते है .

प्रियंका गांधी ने शनिवार को ट्वीट किया था, "उप्र भाजपा सरकार ने राज्य के पॉवर कार्पोरेशन के कर्मियों की भविष्य निधि का पैसा DHFL जैसी डिफाल्टर कम्पनी में फंसा दिया है. किसका हित साधने के लिए कर्मचारियों की 2000 करोड़ से भी ऊपर की गाढ़ी कमाई इस तरह की कम्पनी में लगा दी गई? कर्मचारियों के भविष्य के ये खिलवाड़ क्या जायज है?"

बता दें बिजली कर्मियों के करीब 2631 करोड़ रुपये के प्राविडेंट फंड (PF) को निजी कंपनी डीएचएफसीएल (DHFCL) में जमा कर दिया गया. अखिलेश सरकार के दौरान बिजली कर्मियों के पीएफ को निजी कंपनी में लगाने का ये फैसला 2014 में लिया गया था. इसी साल मामले में खुलासा हुआ और पता चला कि मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक 2631.20 करोड़ का पीएफ़ निजी कंपनी (DHFCL) में हुआ. इस खुलासे के बाद ऊर्जा विभाग ने कार्रवाई करते हुए 10 अक्टूबर को तत्कालीन जीएम वित्त एवं लेखा पीके गुप्ता को निलंबित कर दिया था.

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