मैनपुरी

क्या सच में दलितों का वोट नहीं हुआ ट्रांसफर?

Special Coverage News
31 May 2019 4:32 AM GMT
क्या सच में दलितों का वोट नहीं हुआ ट्रांसफर?
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लोकसभा चुनाव 2019 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से गठबंधन करने के बाद भी समाजवादी पार्टी (सपा) को कोई फायदा नहीं मिला. 2014 के चुनाव में सपा अपने दम पांच सीट जीती थी. उसे ऐसी उम्मीद थी कि बसपा से गठबंधन कर के चुनाव लड़ने पर काफी सीटों का फायदा होगा. लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा. सपा पिछली बार की तरह ही पांच सीट पर ही सिमट गई. यानि उसे एक भी सीट का फायदा नहीं हुआ, बल्कि डिम्पल यादव खुद चुनाव हार गईं.

वहीं, बसपा शून्य से 10 सीट पर पहुंच गई. एक शब्द में कहें तो गठबंधन करने से बसपा को बहुत फायदा हुआ. ऐसे में अब सवाल उठने लगे हैं कि मायावती का कोर वोटर माने जाने वाले सभी दलितों का वोट सपा को मिला क्या? लोकसभा चुनाव में हार के बाद सपा कार्यकर्ता दबी जुबान में इस बात की चर्चा कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश एससी/एसटी आयोग का पत्र

खास बात यह है कि इस महत्वपूर्ण प्रश्न का जवाब उत्तर प्रदेश एससी/एसटी आयोग के अध्यक्ष के द्वारा लिखे पत्र में दिया गया है. मालूम हो कि आयोग के अध्यक्ष ब्रजलाल ने मैनपुरी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को मुलायम सिंह यादव के उन यादव समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है, जिन्होंने कथित रूप से चुनाव में गठबंधन होने के बावजूद समाजवादी पार्टी के पक्ष में वोट नहीं करने के लिए दलितों पर बुरी तरह पीटा था.

मैनपुरी में दलित पर हमला

बता दें कि दो दिन पहले मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव को वोट नहीं देने पर यादवों ने अनुसूचित जाति के लोगों पर हमला बोल दिया था. लाठी-डंडों से मारपीट के साथ ही हवाई फायरिंग भी की थी. इसमें महिलाओं समेत चार लोग लहूलुहान हो गए थे. बीएसएफ जवान ने भाग कर खुद को बचाया था. बीजेपी ने इस पर तंज करते हुए कहा था कि गुंडे चढ़ गए हाथी पर, हमला करेंगे छाती पर.

दरअसल, यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से एनडीए को 64 पर जीत मिली थी. साथ ही कुल पड़े वोटों की बात करें तो बीजेपी को 51 प्रतिशत मत मिला. वहीं, बसपा ने 19 फीसदी वोटों के साथ 10 सीटों जीत दर्ज की थी. सपा फिर से 5 सीट पर ही सिमट गई. सपा को सिर्फ 17 फीसदी ही वोट मिले थे.

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