उत्तर प्रदेश

मुलायम का छलका दर्द, बोले- 'आज मेरा कोई सम्मान नहीं करता, शायद मेरे मरने के बाद करेंगे'

Arun Mishra
26 Aug 2018 3:15 AM GMT
मुलायम का छलका दर्द, बोले- आज मेरा कोई सम्मान नहीं करता, शायद मेरे मरने के बाद करेंगे
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मुलायम सिंह ने भाषण के दौरान कहा कि राम मनोहर लोहिया भी कहा करते थे कि जिंदा रहते कोई सम्‍मान नहीं करता है.
नई दिल्ली : लंबे समय से राजनीतिक परिदृश्य से गायब चल रहे समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव का दर्द शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान छलक उठा और बेहद भावुक हो गए.

समाजवादी विचारक और पूर्व मंत्री भगवती सिंह के 86वें जन्म दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्‍होंने कहा, 'आज मेरा कोई सम्‍मान नहीं करता, लेकिन शायद मेरे मरने के बाद के बाद लोग ऐसा करें.' मुलायम सिंह ने भाषण के दौरान कहा कि राम मनोहर लोहिया भी कहा करते थे कि जिंदा रहते कोई सम्‍मान नहीं करता है.

बेहद भावुक अंदाज में मुलायम सिंह ने आगे कहा, 'लोहिया के साथ भी ऐसा ही हुआ था. लोहिया कहा भी करते थे कि इस देश में जिंदा रहते कोई सम्मान नहीं करता.'

मुलायम सिंह पिछले साल पार्टी में नेतृत्व को लेकर बेटे और भाई के बीच हुए पारिवारिक झगड़े के बाद राजनीतिक परिदृश्य में ज्यादा सक्रिय नहीं दिखते हैं. पिछले साल विवाद के दौरान उन्होंने कहा था कि जो बेटा बाप का सगा नहीं हुआ, वह किसका सगा होगा. फिर भी मेरा आशीर्वाद बेटे के साथ है, लेकिन वह उनके फैसलों से सहमत नहीं हैं.

पिछले साल सितंबर में मुलायम ने नवरात्रि के दौरान बेटे अखिलेश के बारे में कहा था, 'बेटा अखिलेश धोखेबाज निकला, यह हम नहीं देश के सबसे बड़े पद पर बैठने वाला कह रहा है.'

पार्टी में उत्तराधिकार विवाद को लेकर उनके भाई शिवपाल और बेटे अखिलेश के बीच जोरदार तनातनी दिखी थी. उस समय मुलायम अखिलेश से इस कदर नाराज थे कि उन्होंने पिछले साल विधानसभा चुनाव से दूर की दूरी बना ली थी. हालांकि चुनाव के चलते उन्होंने अखिलेश के लेकर खुलकर कोई बड़ा बयान नहीं दिया था कहा था कि जो अपने पिता का नहीं हुआ वो किसी और का क्या होगा.

मुलायम सिंह की इन बातों के पीछे गहरा दर्द छुपा हुआ है क्योंकि पार्टी पर उनका कोई वश नहीं है. पूरे तरीके से पार्टी की कमान अखिलेश यादव के हाथ में है और चाहकर भी मुलायम अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर पा रहे. यही वजह है कि मुलायम का दर्द फूट रहा है और इस दर्द के केंद्र में हैं अखिलेश यादव.

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