नोएडा

ईएसआई अस्पताल के डॉक्टर पर गर्भवती महिला से हाथापाई करने का आरोप

Special Coverage News
13 Oct 2018 12:34 PM GMT
ईएसआई अस्पताल के डॉक्टर पर गर्भवती महिला से हाथापाई करने का आरोप
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धीरेन्द्र अवाना

नोएडा। ईएसआईसी सरकार की एक ऐसी योजना है जिसके तहत निजी,सरकारी अथवा गैर सरकारी कंपनियों या संस्थाओं में कार्य करने वाले मजदूर अथवा कर्मचारियों की स्वास्थ्य संबंधी चिकित्सा कार्य किए जाते हैं|भारत में आज भी कई लोग गरीबी रेखा के नीचे आते हैं तथा बड़ी कठिनाई से अपनी जीवन व्यतीत करते हैं और ऐसे में ईएसआईसी (ESIC) एक बड़ा योगदान है उन लोगों के लिए जो अपने परिवार के सदस्यों की चिकित्सा उपचार पैसों की तंगी की वजह से सही ढंग से नहीं कर पाते।लेकिन यहा आकर लोगों को निराशा हाथ लगती है


।लोगों का आरोप है कि यहा डॉक्टर सीधे मुँह किसी से बात भी नही करते है और हमे सही इलाज भी नही मिल पाता है। इस अस्पताल का विवादों से चोली दामन का साथ है। कुछ वर्ष पूर्व एक परिजनों का आरोप है बच्ची के पैर में फ्रैक्चर की शिकायत दिखाने आये थे।अस्पताल ने बच्ची एडमिट कर लिया था और 2 दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया था। लेकिन अचानक बच्ची के पेट मे दर्द शुरू हुआ। जिसके बाद फिर से बच्ची को अस्पताल लाया गया। लेकिन कुछ देर बाद ही बच्ची ने दम तोड़ दिया।उसके कुछ दिन बाद शिवम नामक 15 वर्षीय बच्चे की भी उपचार के दौरान मौत हो गयी थी। आपको बता दे कि इससे पहले भी कई बार ईएसआईसी अस्पताल विवादों में रहा है।पिछले वर्ष एक महिला जो कि पेट दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल आयी थी।डॉक्टर ने उन्हें शरीर के बाये तरफ की किडनी में कि शिकायत बताकर ऑपरेशन कर डाला।वही

खोडा निवासी अर्जुन शर्मा की किडनी खराब होने की वजह से उनका इलाज ईएसआई अस्पताल में चल रहा था।लेकिन अचानक तबीयत ख़राब होने के कारण उन्हे अस्पताल लेकर आए।मरीज के परिजन का आरोप है,कि डॉक्टरों ने उनके पिता को भर्ती नहीं किया।फिर परिजनो एक प्रभावशाली व्यक्ति की सिफ़ारिश पर भर्ती करवा लिया।लेकिन परिजनो के गिड्गिड़ने पर भी उनका डॉईलिसिस नहीं करवाया।यहा तक कोई डॉक्टर देखने भी नहीं आया और मेंटेंनेशन स्टाफ ही इलाज करता रहा।इलाज सही क्वत पर न मिलने से उनकी जान चली गयी।कुछ समय पहले लोगों से जब बात की गई तो उनका जवाब अस्पताल के लिए कुछ इस प्रकार था।


सेक्टर-24 के रहने वाले बी.के.गौतम का कहना था कि वह अपने ऑफिस से कुछ देरी की छुंट्टी लेकर आए हैं।यहां कोई कुछ बताने के लिए तैयार नहीं है। बल्कि यहां स्टाफ लड़ने के लिए तैयार बैठा है। उनकी पत्नी पूनम गौतम कहती हैं कि यहां एक ही खिड़की पर दो लाइनें लगी हैं। यह पता ही नहीं चलता कि कौन सी लाइन किस चीज के लिए लगी है।भगेंल की रहने वाली अंशु कुमारी का कहना था कि यहां दवाई नहीं मिलती है।इसके कारण डिस्पेंसरी जाना पड़ता है।यहां इलाज न होकर परेशान ज्यादा होना पड़ रहा है।पहले रजिस्ट्रेशन के लिए लाइन में लगना पड़ता है और बाद में डॉक्टर को दिखाने के लिए लंबी लाइन में।


खोड़ा के रहने वाले विजय द्विवेदी का कहना था कि यहां लोग इलाज कम बीमार ज्यादा हो जाते हैं,क्योंकि सुबह से लाइन में खड़े ढ़ाई घंटा हो चुका है। लेकिन अभी डॉक्टर को दिखाने का नंबर नहीं आ सका है।वही भगेंल के रहने वाले जगदीश कहते है कि हमारी सैलरी से ईएसआई पहले पैसा लेता है उसके बाद ही इलाज किया जाता है। लेकिन जिस तरह से इलाज के लिए यहां दर बदर धक्के खाने पड़ते हैं, तो ऐसे इलाज से फायदा कम नुकसान ज्यादा होता है।

ताजा मामला यह है कि कल एक एक गर्भवती महिला अपने पति के साथ इलाज कराने नोएडा के सैक्टर-24 स्थित ईएसआई अस्पताल गई तो कहा मौजूद डॉक्टर ने उनके साथ अभद्र व्वहार किया विरोध करने पर मारपीट की।जिससे हमे काफी चोटें आयी।डॉक्टर ने पीड़िता के पति ने समझाया कि मेरी पत्नी गर्भवती फिर भी उन्हे दया नही आयी।हमने जब हमने इसकी शिकायत थाना में दी तो हमारी शिकायत न लेकर डॉक्टर की शिकायत ले ली।दंपती ने कहा कि पुलिस ने हमारा जिला अस्पताल मेड़िकल करवाया फिर भी हमारी शिकायत दर्ज नही हुयी।डॉक्टर की ऊची पहुच के चलते शिकायत दर्ज की गयी।ओर तो ओर दंपती को ही पुलिस ने थाना में बंद कर दिया।डॉक्टर का कहना है कि दंपती ने उनके साथ गाली गलौच की व मारपीट की।

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