नोएडा

मंदी नहीं, भरोसे के संकट से जूझता रियल एस्टेट, रियल एस्टेट का रीयल संकट जानिये बडी बात!

Special Coverage News
5 Sep 2019 6:04 AM GMT
मंदी नहीं, भरोसे के संकट से जूझता रियल एस्टेट, रियल एस्टेट का रीयल संकट जानिये बडी बात!
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आलोक सिंह


आर्थिक सुस्ती की खबरों के बीच इन दिनों एक बार फिर से रियल एस्टेट सेक्टर चर्चा में है। वजह, इस सेक्टर में असंगठित क्षेत्रों के कामगारों को सबसे अधिक रोजगार मिलना है। लेकिन बीते पांच सालों से यह सेक्टर मंदी की चपेट में है। जानकारों का कहना है कि नोटबंदी के बाद इस सेक्टर की स्थिति तेजी से बिगड़ी है। इसलिए इसे प्रोत्साहन पैकेज मिलनी चाहिए। इससे इस सेक्टर में तेजी लौटेगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। लेकिन, क्या इससे इस सेक्टर की हालत सुधर जाएगी। शायद नहीं। इस सेक्टर में सुस्ती की सबसे बड़ी वजह है भरोसे का संकट। यानी बिल्डर और खरीदारों के बीच लगातार कम होते विश्वास की डोर।

आज यूपी रेरा की ओर से जारी एक रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य निकलकर सामने आए। रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ यूपी में बिल्डरों पर करीब 18 हजार शिकायतें दर्ज है। वहीं देशभर में दर्ज शिकायतें में से अकेले यूपी में 45% हैं। यूपी में बिल्डरों के खिलाफ जो शिकायतें मिली हैं उसमें से लगभग 75% नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद से जुड़ी हैं। सिर्फ गौतमबुद्ध नगर में 10,254 शिकायतें दर्ज हुई।

क्या इस बात का तस्दीक नहीं है कि बिल्डर पर खरीदारों का भरोसा लगातार कम होता जा रहा है। वह अपना घर पाने के लिए रेरा और कोर्ट का सहारा ले रहे हैं। और क्या यह ही इस सेक्टर में घरों की बिक्री गिरने की सबसे बड़ी वजह है? एक-एक पैसा जोड़कर घर का सपने देखना वाला खरीदार पिछले 10 सालों से टपला खा रहे हैं। उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। वह इसलिए घर खरीदने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं कि उनके साथ कहीं धोखाधड़ी नहीं हो जाए।

यूपी रेरा के अनुसार, एनसीआर के बड़े रियल एस्टेट बाजारों में शामिल तमाम बड़े बिल्डर पर सैकड़ों की संख्या में शिकायतें हैं। इनमें सुपटेक पर 817, पैरामाउंट पर 262, अर्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर 236, पार्श्वनाथ पर 132, शुभकामना बिल्डटेक पर 212, सनसिटी हाईटेक पर 123, यूनिटेक पर 249, जयप्रकाश एसोसिएट्स पर 322 शिकायतें दर्ज हैं। बिल्डरों की यह सूची काफी लंबी है। उसके देखने के बाद यह तो साफ हो जाता है कि इस सेक्टर में काम करने वाले बिल्डर और उनके सलाहकारों ने कसम खा ली है कि हम नहीं सुधरेंगे। बाकी फैसला तो खरीदारों को ही करना है।

(लेखक जाने माने पत्रकार और रियल स्टेट के बारे में विशेष जानकार है)

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