प्रयागराज

आखिरकार नागरिकता कानून को लेकर विपक्ष क्यों है परेशान?

Shiv Kumar Mishra
23 Jan 2020 3:20 PM GMT
आखिरकार नागरिकता कानून को लेकर विपक्ष क्यों है परेशान?
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नागरिकता कानून पर भ्रम फैला रहा है विपक्ष,वहीं गृह मंत्री ने कहां कि डंके की चोट पर कह रहा हूं नहीं वापस होगा नागरिकता संशोधन बिल:- अमित शाह l

रिपोर्ट:- नितिन द्विवेदी

प्रयागराज

नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए 10 जनवरी से देशभर में लागू कर दिया गया इसके बावजूद इस कानून का विरोध राजनीतिक दायरे से बाहर निकलकर संवैधानिक और धार्मिक सांस्कृतिक धरातल पर भी होने लगा है केरल की विधानसभा द्वारा इस कानून को रद्द करने का प्रस्ताव पारित करना अथवा प्रदर्शन के दौरान फैज अहमद फैज की मजहबी प्रतीकों वाली नज्म हम देखेंगे गाया जाना, फ्री कश्मीर के पोस्टर लहराना और हिंदू विरोधी उत्तेजक धार्मिक नारे लगाया जाना इसी का बानगी है l झूठ के सहारे सीएए का विरोध संवैधानिक और सांस्कृतिक धरातल पर खतरनाक तो है ही राजनीतिक रूप से अनैतिक है केरल विधानसभा द्वारा सीएए कानून को रद्द करने का प्रयास अभूतपूर्व और संविधान का पूरा तरह से उल्लंघन है l अब तो केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गई है भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्यों और संघ के मध्य विषयो/अधिकारों के बंटवारे का उल्लेख है राष्ट्रीय महत्व से संबंधित विषयों का संघ सूची में रखा गया है l जिन पर कानून बनाने का अधिकार केवल संसद को है l नागरिकता या जनगणना जैसे विषय संघ सूची में है ही नहीं संविधान में उल्लिखित अनुच्छेद 245 और 255 का सार सही है कि संसद द्वारा बनाए गए कानून का अनुपालन प्रत्येक राज्य को करना ही पड़ेगा ना मानने का अर्थ है संविधान का उल्लंघन l केरल विधानसभा ने इस संवैधानिक लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन किया l वहां के मुख्यमंत्री विभिन्न राज्यों को इस कानून के विरोध के लिए उकसा रहे हैं l इससे तो हमारे संविधान का ढांचा ही चरमरा उठेगा सीएए विरोधियों का तर्क नितांत गलत है कि अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है कई विशेषज्ञ यह कह चुके हैं कि ऐसा कुछ नहीं है विरोध में धीरे-धीरे और सांस्कृतिक प्रतीकों का इस्तेमाल हो रहा है जो विवादास्पद है नज्म हम देखेंगे समर्थकों का दावा है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है और फैज ने पाकिस्तान में जनरल जिया उल हक की तानाशाही के खिलाफ उसे लिखा था लेकिन जिन फैज को क्रांतिकारी पंथनिरपेक्ष और मानवतावादी बताया जा रहा है उन्होंने 1971 में पाकिस्तानी सेना द्वारा बांग्लादेश में लाखों लोगों के नरसंहार पर चुप्पी साध ली थी क्योंकि वह जुल्फिकार अली भुट्टो के समर्थक थे l सांस्कृतिक प्रतीक देश और काल के सापेक्ष होते हैं और उसी परिपेक्ष में लोग इसका अर्थ ग्रहण करते हैं मिसाल के लिए इंग्लैंड आदि देशों में उल्लू बुद्धिमानी का प्रतीक है l क्या हम भारत में भी किसी को उल्लू कह सकते हैं और यह तर्क दे सकते हैं कि वह तो उसकी तारीफ कर रहे थे? फ़ैज़ की नज़्म तानाशाही वाले इस्लामी मुल्कों में ही ठीक है पाकिस्तान जैसे मुल्कों में जहां इस्लाम राजधर्म है वहां मजहबी प्रतीकों में लबरेज यह नज्म प्रतिरोध के रूप में, शायद गलत नहीं हो, पर भारत जैसे पंथनिरपेक्ष देश में इस तरह के मजहबी प्रतीक गलतफहमियां पैदा करेंगे l पाकिस्तान में इस्लाम का जो कट्टर रूप मौजूद है वह किसी भी दूसरे पंत पूजा को बर्दाश्त नहीं कर पाता l भगवान बुद्ध की अफगानिस्तान के विमान में स्थित चौथी पांचवी शताब्दी में बनी प्रतिमाओं को कट्टरपंथी मुसलमानों ने टैंक लगाकर इसलिए उड़ा दिया था कि इस्लाम में बुत या मूर्ति के लिए कोई जगह नहीं है और अल्लाह ही एकमात्र ईश्वर है पाकिस्तान में आए दिन मंदिर तोड़े जाने और धर्मांतरण आदि की घटनाएं घटती रहती हैं l सीएए विरोध का एक आयाम राजनीतिक भी है l सी ए ए के बहाने मोदी सरकार पर निशाना लगाने का विपक्षी राजनीतिक दलों को जैसे मौका मिल गया है l गहराई में देखें तो कांग्रेस कम्युनिस्ट पार्टी टीएमसी सपा बसपा और राजद आदि दलों और उनके नेताओं को मुस्लिम वोटों को गोलबंद करने का एक सुनहरा अवसर दिख रहा है l मुसलमानों को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए इन राजनीतिक दलों में एक कंपनी कम्पटीटिव पॉलिटिक्स चल रही है l मुस्लिम समुदाय को समझना चाहिए कि सीएए से भारतीय मुसलमानों के किसी भी अधिकारों या नागरिकता पर कोई आंच नहीं आने वाली है l यह तो लोगों को नागरिकता देने का कानून है किसी की नागरिकता लेने का नहीं विपक्षी दल मुसलमानों का भला की जगह बुरा भी कर रहे हैं l वैसे भी मुसलमानों को असली मुद्दे तो इन दलों की चिंता का विषय शायद ही कभी होते है मुस्लिम समुदाय को अपने राजनीतिक इस्तेमाल के प्रति सचेत होना चाहिए l पूरे प्रकरण में एक खतरनाक बात यह है मुसलमानों को डराने के लिए मीडिया का एक वर्ग और तथाकथित बुद्धिजीवी किसी भी अतिवाद का जाने को तैयार है किसी भी अतिवाद तक जाने को तैयार है l दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में सीए के विरोध में कुछ लोग एक माह से सड़क पर कब्जा जमाए बैठे हैं इसके कारण हर दिन लाखों लोग परेशान हो रहे हैं वहीं यूपी के लखनऊ और प्रयागराज में भी कई दिनों से मुस्लिम महिलाओं ने इसके विरोध में धरना प्रदर्शन दे रखा है 2 हफ्ते से भी ज्यादा मुस्लिम महिलाएं मात्र मुस्लिम महिलाएं मनसूर अली पार्क में कब्जा करके बैठी हुई है और उनका साफ कहना है कि प्रधानमंत्री की सीएए जिस तरीके से बिल पास हुआ है नागरिकता के लिए हम उसका घोर विरोध करते हैं और मोदी जी को यह बिल वापस लेना चाहिए यहां तक कि इस विरोध प्रदर्शन में मुस्लिम व्यक्तियों की कोई जगह नहीं रही सिर्फ मुस्लिम महिलाओं ने ही इस धरने में पूरी तरीके से अपना मोर्चा खोल रखा है और पिछले 13-14 दिनों से मनसूर अली पार्क में धरने पर जबरदस्त तरीके से धरने पर धरना दे रही है लेकिन इन महिलाओं को यह नहीं पता है कि इसके कारण हर दिन लाखों लोग परेशान हो रहे हैं लेकिन विपक्षी दलों और मीडिया का एक हिस्सा इसकी अनदेखी करने में लगा हुआ है निसंदेह यह भी अच्छे संकेत नहीं है कि विरोध प्रदर्शनों में फ्री कश्मीर के पोस्टर लहराए जा रहे हैं l सीएए का विरोध नैतिक रूप से भी गलत हैl सीएए मे इस्लामी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मजहबी आधार पर उत्पीड़ित छह धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की बात है l इन लोगों की वहां क्या हालत है इसका अंदाजा वहां की तेजी से घटती जनसंख्या से लगा सकते हैं l यह अनायास नहीं है महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू डॉ राजेंद्र प्रसाद सरदार पटेल से लेकर मनमोहन सिंह अशोक गहलोत प्रकाश करात अथवा ममता बनर्जी आदि ने पूर्व में मजहबी आधार पर उत्पीड़ित लोगो को भारत में शरण देने की पुरजोर वकालत की थी l छल प्रपंच का सहारा लेकर सीए का विरोध एक खतरनाक सियासत है इसके भयानक दुष्परिणाम हो सकते हैं जो आने वाले दिनों में साफ दिखाई देंगे l

सीए पर हो रही है सस्ती राजनीति

नागरिकता संशोधन कानून यानी कि सीएए को लेकर विपक्षी दल दिल्ली के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में आम लोगों और खासकर मुस्लिम समुदाय को जिस तरीके से छल कपट के सहारे उकसा कर सड़कों पर उतारने में लगे हुए हैं वह भारतीय राजनीति के विकृत होते जाने का प्रमाण है l विपक्षी दलों के इस शरारत भरे हथकंडे के बीच सरकार ने इस कानून को अधिसूचित कर अपने अधिक इरादे का परिचय दिया है l जहां सरकार अडिग है वहीं विपक्षी दल भी टकराव की राह मे बढ़ते दिख रहे हैं l केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई और पंजाब सरकार के विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया है विपक्षी दलों के इस रवैए के बीच सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तैयार करने की दिशा में बढ़ रही है यह जनगणना के तहत एक संवैधानिक दायित्व है, फिर भी बंगाल सरकार इस प्रक्रिया में शामिल होने से इंकार कर रही है l यह तब है जब एनपीआर तैयार करने का काम 2010 में भी हो चुका है l यह देखना दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्षी दलों में एनपीआर को लेकर भी जनमानस में भ्रम फैलाना शुरू कर दिया है l इस तरह की झूठी अफवाहों किस सुनियोजित तरीके से फैलाई जा रही है, इसका उदाहरण है दिल्ली के साइन बाग इलाके में 1 माह से जारी धरना lनोएडा को दिल्ली से जोड़ने वाली सड़क पर दिए जा रहे धरने के कारण हर दिन लाखों लोग परेशान हो रहे हैं लेकिन इस परेशानी को दरकिनार करके बरगलाया जा रहा हैl इस काम में विपक्षी नेताओं के साथ कुछ वामपंथी एक्टिविस्ट फिल्मकार और मीडिया के लोग भी शामिल हैl यह देखना दुखद है कि स्वार्थी तत्वों की ओर से प्रायोजित इस धरने को जारी रखने के लिए छल-छद्दम के साथ प्रलोभन का भी सहारा लिया जा रहा है l विपक्षी दल इस तरह के धरने से देश के अन्य हिस्सों में भी शुरू करते दिख रहे हैं l वह ऐसा तब कर रहे हैं जब खुद उन्होंने सीएए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है l आखिर यह कितना उचित है जिस मसले पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए,उसी को लेकर सड़कों पर उतरा आ जाए?




विपक्ष मुसलमानों को अपनी ओर करने में लगा हुआ है

चूंकि हर दल मुसलमानों का अपने पक्ष में ध्रुवीकरण करना चाह रहा है इसलिए उनकी ओर से सी ए ए को मुस्लिम विरोधी बताने की होड़ मची है मुस्लिम समाज को भ्रमित और भयभीत करने के फेर में ही एनपीआर का विरोध किया जा रहा है विपक्षी दलों को मुसलमानों को बरगलाने में आसानी इसलिए हो रही है क्योंकि वह पहले से ही मुसलमानों को भाजपा का भय दिखाते चले आ रहे हैं इस भय का कोई आधार नहीं है क्योंकि बीते 5 सालों में अल्पसंख्यक कल्याण की योजनाओं को जितनी सफलता से मोदी सरकार ने लागू किया है उतना शायद ही किसी सरकार ने किया हो यह दुष्प्रचार ही है कि अनुच्छेद 370 हटा कर मुस्लिम हितों के खिलाफ काम किया गया? क्या भारत के मुसलमानों का हित देश हित से अलग है इस अनुच्छेद को हटाकर तो कश्मीर के मुसलमानों को देश की मुख्यधारा में लाने की ठोस पहल की गई है l साफ है कि विपक्षी दल अपने संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिए मुसलमानों से छल कर रहे हैं l अच्छा होगा कि खुद मुस्लिम समाज इस छल को समझें और यह देखें कि उसे किस तरह इस्तेमाल किया जा रहा है आखिर जब सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ दायर याचिकाओं को सुनने के लिए तैयार है और 22 जनवरी से सुनवाई हो गई है फिर उचित यही होगा कि उसके फैसले की प्रतीक्षा की जाए इस तरीके से तो सुप्रीम कोर्ट की अनदेखी ही की जा रही है

नागरिकता कानून पर भ्रम फैला रहा है विपक्ष,वहीं गृह मंत्री ने कहां कि डंके की चोट पर कह रहा हूं नहीं वापस होगा नागरिकता संशोधन बिल:- अमित शाह l

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि पाकिस्तान ने नेहरू- लियाकत समझौते का पालन नहीं किया वहां पर अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न किया गया पाकिस्तान से लाखों लोग भारत में आए लेकिन उन्हें नागरिकता नहीं दी गई हमारी सरकार उनकी मदद करने के लिए संशोधित नागरिकता कानून लेकर आई है कांग्रेस अफवाह फैला रही है कि इससे मुसलमानों की नागरिकता जाएगी उन्होंने कहा मैं राहुल गांधी को चुनौती देता हूं अगर किसी की नागरिकता लेने का प्रावधान है तो आप बताएं l इस कानून से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी यह कानून लोगों को नागरिकता देने के लिए, नागरिकता छीनने के लिए नहीं है l उन्होंने कहा मोदी सरकार ने वन रैंक वन पेंशन के तहत 35000 करोड़ सेना के रिटायर्ड जवानों को दियाl उड़ी, पुलवामा हमले का 10 दिन के अंदर सर्जिकल स्ट्राइक पर जवाब दिया हैl अमित शाह ने यह भी कहा कि भाजपा काम करने के लिए सत्ता में आई है लेकिन विपक्ष को सिर्फ भ्रम फैलाना है हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकार के 2 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में साह ने सरकार की उपलब्धियां गिनाई

वहीं लखनऊ की एक रैली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कहा कि सीएए पर जिसको विरोध करना है वह कर ले l नागरिकता संशोधन कानून सीएए अब वापस नहीं होने वाला है बोले हमारी ना सुनो लेकिन महात्मा गांधी, इंदिरा, नेहरू, मौलाना आजाद, राजेंद्र प्रसाद की तो सुन लो l

उन्होंने कहा कि इसी एक सीएए को लेकर दुष्प्रचार कर रहे विपक्ष की आंखों पर तो वोट बैंक की पट्टी पड़ी हुई हैl महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, नेहरू और मौलाना आजाद ने भी कहा था कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के शरणार्थियों को नागरिकता देनी चाहिए लेकिन वोट बैंक के लालच में कांग्रेस ने अपनी सरकार रहते हुए कुछ नहीं किया यहां तक कि उन्होंने राजस्थान के चुनाव में कांग्रेस के घोषणा पत्र में शरणार्थियों को नागरिकता देने का वादा किया था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह काम कर दिखाया हमने तो विपक्ष में रहते जो कहा था वही सत्ता में आने के बाद कहा है और उसे पूरा किया है आखिर इसमें गलती क्या थी वही रैली में शाह ने एक नारे का उल्लेख किया कि जेएनयू में भारत तेरे टुकड़े टुकड़े होंगे कहने वालों को जेल भेजना चाहिए कि नहीं.... तो लोगों ने हां हां जरूर के नारे लगाए l

सी ए ए पर सुप्रीम कोर्ट का रोक लगाने से इनकार

नागरिकता संशोधन कानून सीएए पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में किसी भी तरह की रोक लगाने से इंकार कर दिया है कोर्ट ने कहा कि यह केंद्र सरकार को सुने बगैर एकतरफा कोई भी आदेश पारित नहीं करेगा यहां तक कि कोर्ट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर एनपीआर और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर एनआरसी की प्रक्रिया 3 महीने के लिए टालने की मांग भी ठुकरा दी है शीर्ष अदालत ने सीए को चुनौती देने वाली करीब 80 नई याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह में जवाब मांगा है इसके साथ ही मामला सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजने को भी संकेत दिए साथ ही सभी हाईकोर्ट से कहा कि वासी के मामले में सुनवाई नहीं करेंगे मामले में 4 सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी l

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने बुधवार को उक्त आदेश दिए सीएए पर रोक नहीं लगाने का मतलब है कि उसके जरिए 31 दिसंबर 2014 तक बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के चलते भाग कर आए अल्पसंख्यक हिंदू,सिख, ईसाई, पारसी जैन और बौद्ध समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का रास्ता खुला हुआ है l

22 जनवरी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सीएए को लेकर कुल 144 याचिकाएं सुनवाई पर लगी थी जिनमें से 60 याचिकाओं पर कोर्ट पहले ही केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चुका था l केंद्र सरकार की स्थानांतरण याचिका अभी लंबित है l ज्यादातर याचिकाएं सीएए कानून के खिलाफ है हालांकि दो पक्ष में है मामले की शुरुआत में केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि कुल 144 याचिकाएं हैं पिछली बार कोर्ट में 60 याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा थाl उस पर सरकार का जवाब तैयार है उसी समय सीएए का विरोध करने वाले याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने मामला पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजने की मांग की l उनसे सहमति जताते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मामला 5 जजों को भेजा जा सकता है सिब्बल ने कहा कि इस बीच कोर्ट एनपीआर और एनआरसी की प्रक्रिया पर दो-तीन महीने के लिए रोक लगा दे वह कानून पर रोक की मांग नहीं कर रहे हैं अभिषेक मनु सिंघवी ने उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि सीए के नियम जारी होने के पहले ही प्रदेश सरकार ने 40,000 लोगों को चिन्हित कर लिया l अगर प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई गई तो भरपाई नहीं हो सकने वाला नुकसान होगा सिंघवी ने कहा कि जो चीज 70 साल से नहीं हुई है वह अगर 3 महीने और नहीं होगी तो उसमें क्या हर्ज हो जाएगा उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट सिर्फ इतना ही आदेश दे दे कि सरकार फिलहाल नागरिकता प्रमाण पत्र जारी नहीं करेगी l

त्रिपुरा का भी मामला उठा कोर्ट ने कहा कि असम और त्रिपुरा की श्रेणी अलग है कोर्ट ने अटार्नी जनरल वेणु गोपाल से कहा कि वह असम के मामले में 2 सप्ताह में जवाब दें सिब्बल से असम से संबंधित सारी योजनाओं की सूची मांगी है प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह चेंबर में सुनवाई करके आगे की सुनवाई के लिए रूपरेखा तय कर सकते हैं

अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी सीएए पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है l फिलहाल सत्ता पक्ष के खिलाफ विपक्ष जिस हिसाब से जोरदार हमले कर रहा है और सीएए पर ध्रुवीकरण की राजनीति खेल रहा है इसका यह मतलब बहुत ही गलत निकलेगा और फिलहाल विपक्ष को इस बात पर गौर करना चाहिए कि दादा साहब भीमराव अंबेडकर ने जो कानून बनाया था आखिर उसका पालन कैसे होगा क्योंकि जो कानून एक बार संसद में पास हो गया और राष्ट्रपति की उस पर मुहर लग गई तो फिर आखिर इतना शोर शराबा और हंगामा क्यों?


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