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प्रयागराज की पहली आजादी महोत्सव पर "चार कदम, शहीदों के नाम" का हुआ आयोजन , चौक नीम के पेड़ से खुशरूबाग तक निकाली गई पदयात्रा

Special Coverage News
7 Jun 2019 10:10 AM GMT
प्रयागराज की पहली आजादी महोत्सव पर चार कदम, शहीदों के नाम का हुआ आयोजन , चौक नीम के पेड़ से खुशरूबाग तक निकाली गई पदयात्रा
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शशांक मिश्रा

सिविल इवैल्यूवेशन फाउंडेशन के तत्वावधान में इलाहाबाद की पहली आजादी 7 जून से 16 जून 1857 की याद में "जरा याद करो कुर्बानी " महोत्सव की शुरूआत आज आईजा मोहित अग्रवाल ने की।इस दौरान परम्परागत तरीके से बैण्ड बाजा व नारा लगाते लोग चल रहे थे। भारत माता की जय। अमर शहीद अमर रहे नारों के साथ जून क्रान्ति के शहीदों को नमन किया !आईजी मोहित अग्रवाल ने इलाहाबाद के स्वर्णिम इतिहास को सराहते हुए कहा कि हमे अपने पूर्वजों पर गर्व है। इतिहास में प्रयागराज की पहली आजादी का उल्लेख एक या दो लाइन में है लेकिन दस्तावेजों में 10 दिनों तक प्रयागराज आजाद रहा। जब पहलीबार आयोजकों ने मुझे इस बात की जानकारी दी तो विश्वास नही हुआ लेकिन सत्य तो यही है कि हम 1857 में ही आजाद हो गये थे। उन्होने अगले वर्ष से और बृहद स्तर पर कार्यक्रम मनाने की बात कही।

चौक के नीम के पेड़ से खुसरो बाग जहां क्रांतिकारियों ने अपना मुख्यालय बनाया था ,जून क्रांति और शहीदों की याद में पदयात्रा शहीदवाल व अन्य संगठनों की अगुवाई में निकाली गयी। उन्होने कहा कि इस कार्यक्रम में शामिल होकर मुझे बहुत अच्छा लगा कि इस शहर के जागरूक लोग अपनी विरासत को संजोने के लिए तत्पर है।




"चार कदम शहीदों के नाम" कार्यक्रम के संयोजक वीरेन्द्र पाठक ने बताया कि कैसे 7 जून से 16 जून तक विद्रोहियों ने अंग्रेजों से सत्ता छीन ली और मौलवी लियाकत अली तथा सरदार रामचंद्र की अगुवाई में 10 दिनों तक प्रशासन चलाया गया। इतिहास में इलाहाबाद का विद्रोह, अपना अलग स्थान रखता है। यहां पर जन क्रांति हुई और आम आदमी ने विद्रोह करके अंग्रेजों से सत्ता छीन ली। उन्होंने आगे बताया कि हिंदू मुस्लिम यहां मिलकर लड़े जिसकी वजह से इस क्रांति का अपना अलग महत्व है। भारतीयों ने 10 दिनों तक कोतवाल, मजिस्ट्रेट व अन्य प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किये और सत्ता को चलायी। बाद में कर्नल नील द्वारा क्रूर दमन करने के पश्चात विद्रोही पीछे हटे। लेकिन अपने साथ अंग्रेजों का 30 लाख रुपया लेकर गये। वीरेन्द्र पाठक ने नवयुवक ननका जी की कहानी सुनाई जिसमें ननका जी कोतवाली के ऊपर चढ़कर यूनियन जैक बदलकर तिरंगा लहरा देते हैं। बाद में बलूच सैनिकों ने गोली मार दी। जिससे उनकी शहादत हो गई। कार्यक्रम में वक्ताओं ने 3 वर्ष से "पहली आजादी महोत्सव" मनाने का जिक्र करते हुए यह मांग की कि प्रशासन की भागीदारी और बढ़नी चाहिए। जन सहभागिता पर भी बढ़ाने पर विचार किया गया। अंत में ज्ञात अज्ञात शहीदों को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। वक्ताओं में डॉ प्रमोद शुक्ला अध्यक्ष आयोजन कमेटी, आशुतोष संड अनिल गुप्ता चीफ वार्डन सिविल डिफेंस अजय शर्मा ,उद्यान अधीक्षक कृष्ण मोहन चौधरी जी प्रमुख थे। संचालन अरविंद ने किया।




बैण्ड बाजा के साथ के साथ पूरे उत्साह में नागरिकों का दल चौक नीम के पेड़ से खुशबू भाग तक भारत माता की जय अमर शहीद अमर रहे का नारा लगाते हुए गए प्रारंभ में चौक नीम पेड़ में ज्ञात अज्ञात शहीदों को श्रद्धांजलि पुष्पांजलि अर्पित की गई।

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