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राम मंदिर: मंदिर बनाने के पक्ष में आया फैसला, फिर भी हिन्दू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर कर दी पुनर्विचार याचिका !
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया. इस फैसले के साथ ही सबसे पुराने विवाद का अंत होता दिखा। फैसला आने के बाद को अयोध्या में रोजमर्रा की तरह कामकाज दिखाई दिया श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन करते और सरयू नदी में डुबकी लगाते हुए दिखे. हालांकि आम दिनों के मुकाबले अयोध्या के आसपास और शहर में सुरक्षा के बंदोबस्त कुछ ज्यादा थे, लेकिन आम आदमी को ज्यादा परेशानी नहीं थी इतना जरूर है कि सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर थीं. जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आया सभी ने इसका स्वागत किया।
लेकिन सुप्रीम कोर्टने दोनों पक्षों को ध्यान में रखते हुए फैसला सूझबूझ से सुनाया अब जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है, तो उस फैसले से कुछ मुस्लिम पक्षकार संतुष्ट नहीं दिखे और उन्होंने रिव्यू पिटिशन दाखिल करने का मन बना लिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन लगाने के लिए एक महीने का समय होता है।
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सोमवार यानि 9 दिसंबर को हिंदू पक्ष की तरफ से पहली पुनर्विचार याचिका दाखिल हुई। अखिल भारतीय हिंदू महासभा की तरफ से वकील विष्णु शंकर जैन ने यह याचिका दायर की। याचिका में मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन देने का विरोध किया गया है। हिंदू महासभा ने अदालत के फैसले से बाबरी मस्जिद गिराने को गैरकानूनी बताने वाली टिप्पणी हटाने की मांग भी की है। इससे पहले मुस्लिम पक्ष की तरफ से फैसले को लेकर पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं।
याचिका दाखिल करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा- हम मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को उनकी पसंद के मुताबिक 5 एकड़ जमीन देने के फैसले को चुनौती दे रहे हैं। हमने अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी को भी हटाने की मांग की है, जिसमें विवादित जमीन पर बनी मस्जिद गिराने की घटना को गैरकानूनी बताया गया है।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 2 दिसंबर को पहली पुनर्विचार याचिका दायर हुई थी। जमीयत के सेक्रेटरी जनरल मौलाना सैयद अशद रशीदी ने यह याचिका दाखिल की। रशीदी मूल याचिकाकर्ता एम सिद्दीक के कानूनी उत्तराधिकारी हैं। 6 दिसंबर को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के समर्थन से 5 पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं। ये याचिकाएं मुफ्ती हसबुल्लाह, मौलाना महफुजुर रहमान, मिस्बाहउद्दीन, मोहम्मद उमर और हाजी महबूब की तरफ से दाखिल की गईं।
40 दिनों की लगातार सुनवाई के बाद 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने अयोध्या की विवादित जमीन हिंदू पक्ष को सौंपी थी। अदालत ने कहा था- विवादित जमीम पर मंदिर का निर्माण ट्रस्ट करेगा, जिसे 3 माह के भीतर केंद्र सरकार को बनाना है। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था।