उत्तर प्रदेश

राम मंदिर: 25वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ लेकिन इसके बाद...

Sujeet Kumar Gupta
17 Sep 2019 9:31 AM GMT
राम मंदिर: 25वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ लेकिन इसके बाद...
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में राम जन्मभूमि बाबरी विवाद की 25वें दिन की सुनवाई कर रही है. मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन दलीलें पेश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राम का जन्म अयोध्या में हुआ यह हम मानते हैं लेकिन किस स्थान पर जन्म हुआ इसका जिक्र किसी धार्मिक ग्रंथ में नहीं है. पढ़ें अयोध्या राम जन्मभूमि केस के 25वें दिन की सुनवाई

मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा, भगवान राम की पवित्रता पर कोई विवाद नहीं है. यह भी विवादित नहीं है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में कहीं हुआ था लेकिन इस तरह की पवित्रता स्थान को एक न्यायिक व्यक्ति में बदलने के लिए पर्याप्त कब होगी ? इसके लिए कैलाश पर्वत जैसी अभिव्यक्ति होनी चाहिए. इसमें विश्वास की निरंतरता होनी चाहिए और यह भी दिखाया जाना चाहिए कि निश्चित रूप से वहीं प्रार्थना की गई थी.

राजीव धवन की कैलाश और अयोध्या की तुलना पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा, तो क्या आप कह रहे हैं कि कुछ शारीरिक अभिव्यक्ति होनी चाहिए ? क्या जगह को व्यक्ति बनाने के लिए मापदंडों को निर्धारित करना बहुत मुश्किल नहीं होगा?

राजीव धवन ने जवाब दिया, कोई भी ग्रंथ ये बताने में सक्षम नहीं है कि अयोध्या में किस सटीक स्थान पर भगवान राम का जन्म हुआ था.

कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन से पूछा- भगवान का स्वयंभू होना क्या सामान्य प्रक्रिया है? ये कैसे साबित करेंगे कि राम का जन्म वहीं हुआ या नहीं?

इस पर धवन ने कहा कि यही तो मुश्किल है. रामजन्मस्थान का शिगूफा तो ईस्ट इंडिया कम्पनी ने 1855 में छोड़ा और हिंदुओं को वहां रामचबूतरा पर पूजा पाठ करने की इजाज़त दी।. धवन ने इकबाल की शायरी का ज़िक्र कर राम को इमामे हिन्द बताते हुए उन पर नाज़ की बात की. लेकिन फिर कहा कि बाद में वो बदल गए थे और पाकिस्तान के समर्थक बन गए थे. सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने कोर्ट में अल्लामा इक़बाल का मशहूर शेर पढ़ा 'है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़, अहल-ए-नज़र समझते हैं उस को इमाम-ए-हिंद"

जस्टिस अशोक भूषण ने धवन से वो पैरा पढ़ने को कहा जिसमे ये कहा गया था कि हिन्दू जन्मस्थान सिद्ध कर दें तो मुस्लिम पक्ष दावा और ढांचा खुद ही ढहा देंगे,धवन ने पढ़ा इसके बाद धवन ने कहा कि घण्टियों के चित्र, मीनार और वजूखाना ना होने से मस्जिद के अस्तित्व पर कोई फर्क नहीं पड़ता. जस्टिस बोबड़े ने एक मौलाना का स्टेटमेंट पढ़ने को कहा जिसका क्रॉस एक्जाम नहीं हुआ था. यानी उस मौलाना के हवाले से दी गई धवन की दलील शून्य हो गई। क्योंकि क्रॉस से पहले ही मौलाना का इंतकाल हो गया था.

कोर्ट ने इमारत में बनी फूल और प्राणियों की आकृतियों पर सवाल पूछा तो धवन ने निर्मोही अखाड़े के लिखित बयान के हवाले से कहा- द्वार को लेकर भी बड़ा विवाद था. 13.12. 1877 में विवादित इमारत की एक बाहरी दीवार में एक दरवाजा सिंहद्वार बनाया गया था ताकि दोनों के लिए अलग अलग प्रवेश निकास हो. विवादित इमारत में आकृतियों के सवाल पर धवन का जवाब- बाहर रामजन्मस्थान यात्रा का पत्थर लगा है. ये यात्रा 1901 में हुई थी. उन्होंने 1990 में खींची खंबों की तस्वीर लगाई है. कसौटी खंबे कहां से आए? कुछ कहते हैं नेपाल से आए, कुछ श्री लंका से कुछ कहते हैं वहीं थे. देवताओं की आकृतियां कहीं नहीं हैं. कमल और फूल तो इस्लामिक आर्ट में भी हर कहीं हैं.

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