रामपुर

मुलायम सिंह आज़म को समझते थे मुस्लिमों का रहनुमा, लेकिन मुस्लिमों ने ही क्यों बजाई आज़म खान की बेंड!

Special Coverage News
13 Sep 2019 4:02 AM GMT
मुलायम सिंह आज़म को समझते थे मुस्लिमों का रहनुमा, लेकिन मुस्लिमों ने ही क्यों बजाई आज़म खान की बेंड!
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रामपुर से सपा सांसद आजम खां के खिलाफ गुरुवार को पुलिस ने एक और मुकदमा दर्ज किया। इस बार शिकायतकर्ता के घर में बंधी बकरी, भैंस और बछड़ा खुलवाने का मुकदमा दर्ज किया गया है। यतीमखाना सरायगेट निवासी नसीमा खातून ने आजम खां के खिलाफ शिकायत करते हुए आरोप लगाया कि तीन साल पहले आजम खां के कहने पर कुछ लोगों ने उनके घर में घुस कर तोड़-फोड़ की थी और उपद्रव मचाया था, साथ ही उनके पशुओं को भी जबरन खोल कर ले गए थे।

उनका आरोप है कि 15 अक्तूबर, 2016 की सुबह सांसद आजम खां के कहने पर तत्कालीन सीओ आलेहसन खां, वसीम रिजवी, जफर फारुखी, एसओजी के सिपाही धर्मेद्र, आजम खां के मीडिया प्रभारी, फसाहत अली खां शानू, मोहम्मद सलीम सहित 25 लोगों ने उनके घर में घुसकर तोड़-फोड़ किया था। साथ ही उन्होंने परिवार के साथ मारपीट भी की थी।वे लोग घर में रखा सामान लूट कर ले गए और मकान पर बुल्डोजर चलवा दिया। आरोपियों ने महिला के पति से मारपीट की थी, जिससे उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि आरोपियों ने उनके घर से दो गले का हार, दो कानों की बालियां, सोने की एक अंगूठी और सोने-चांदी के पायल लूट लिए।

जाते-जाते घर में बंधी हुई तीन भैंस, एक बछड़ा और चार बकरी भी खोलकर ले गए। उन्होंने कहा कि ये पशु आजम खां की गोशाला में रखे जाएंगे। शहर कोतवाली की पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 452, 427, 389, 395, 448, 304, 504, 506 और 120 बी के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली है। पुलिस ने आजम खां पर गैर इरादतन हत्या (304) की रिपोर्ट भी दर्ज की है।

बता दें कि जब आज़म खान सत्तानसी थे तो कभी किसी से सीधे मुंह बात नहीं करते थे। लेकिन उन्हें यह ध्यान नहीं था कि गुरबत के दिन तो किसी के भी आ सकते है। इसी के तहत आज आजम खान के खिलाफ उनके ही सजातीय मुस्लिम लोग उनके विरोध में खड़े हुए है। चाहे कांग्रेसी नेता फैसल लाला हों या आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश अली ये सब उस ज़माने में बुरी तरह प्रताड़ित किये गये। अब वो सब मिलकर इनका किला ध्वस्त करने में लगे हुए है।

एक तो करेला उस पर अगर नीम के पेड़ पर चढ़ जाय तो उसका कडवा पन कई गुना बढ़ जाता है। अब यही हाल आज़म खान का रामपुर में है। सभी प्रताड़ित लोग उनके खिलाफ लामबंद हो गए है और हमेशा के लिए इस करेले को चुप कराने में लगे हुए है ताकि कभी फिर यह करेला फल फूल नहीं सके। उस पर आजम दूसरी गलती लोकसभा चुनाव लड़कर कर बैठे जहां कुछ शांत पड़ी लड़ाई में फिर से जान आ गई। और उनकी बीजेपी से बातों ही बातों में जंग छिड गई। अब चूँकि रामपुर विधानसभा उपचुनाव भी है उस लिहाज से उनकी मुसीबतें अभी कम नहीं होंगी जब तक रामपुर में सकुशल वोट नहीं पद जाते है। हाँ अगर रामपुर में बीजेपी चुनाव जीत जाती है तो आज़म को कुछ रिलीफ जरुर मिल जाएगा और बीजेपी चुनाव हार गई तो आज़म का बिस्तर जेल में नजर जरुर आएगा।

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