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कैराना लोकसभा उपचुनाव: इस जोड़ी की मिलन से बीजेपी की बढ़ी मुश्किलें

कैराना लोकसभा उपचुनाव: इस जोड़ी की मिलन से बीजेपी की बढ़ी मुश्किलें
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कैराना उपचुनाव में सियासत तेजी से करवट बदलती दिख रही है. बीजेपी को रोकने के लिए जहां एक तरफ पूरा विपक्ष यहां एकजुट हो गया है, वहीं इसी कड़ी में दो सियासी 'जानी दुश्मन' भी एक साथ आते दिख रहे हैं. ये हैं काजी और हसन परिवार. ये दोनों परिवार बीजेपी के खिलाफ आपसी सभी गिले-शिकवे भुलाकर एक हो गए हैं. इस गेम को अमलीजामा देने में सपा के वरिष्ठ नेताओं ने अहम भूमिका अदा की.
पूर्व विधायक इमरान मसूद के आवास पर हुई बैठक में पूर्व मंत्री बलराम सिंह यादव के सामने इमरान मसूद और महरूम मुनव्वर हसन के पुत्र और कैराना के वर्तमान विधायक नाहिद हसन ने एक दूसरे को गले लगाकर अपने गिले शिकवे भुला दिए. इमरान मसूद और नाहिद हसन ने गठबंधन के प्रत्याशी तबस्सुम हसन को भारी मतों से जिताने की बात कही.
जानकारी के अनुसार समझौते का ये प्रस्ताव बलराम सिंह यादव के नेतृत्व में नाहिद हसन लेकर इमरान मसूद के घर पहुंचे थे. यहां उन्होंने बीजेपी के खिलाफ तबस्सुम हसन को जीत दिलाकर विपक्षी एकता का प्रस्ताव रखा. इस पर इमरान मसूद ने प्रस्ताव ​स्वीकार कर लिया. सूत्रों के अनुसार कर्नाटक चुनाव के बाद कांग्रेस हाईकमान विपक्षी एकता को लेकर काफी सजग है. यही कारण है कि इमरान मसूद को पार्टी हाईकमान की तरफ से निर्देश दिया गया था कि चुनाव में वह अपनी व्यक्तिगत सियासत से आगे बढ़ें.
इस मौके पर पूर्व मंत्री बलराम सिंह यादव के साथ देवबन्द के पूर्व विधायक माविया अली, बेहट के विधायक नरेश सैनी, सहारनपुर देहात के विधायक मसूद अख्तर, गंगोह नगर पालिका पूर्व चेयरमैन नोमान मसूद आदि मौजूद रहे. सियासी जानकारों के अनुसार इमरान मसूद और नाहिद हसन के परिवारों में 2009 से विवाद चरम पर पहुंचा. इस दौरान दोनों परिवार सियासत में हर कदम पर एक दूसरे के खिलाफ ही ताल ठोक रहे थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा विधायक नाहिद हसन ने कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष इमरान मसूद के खिलाफ मोर्चा खोला था. 2017 के विधानसभा चुनाव में इमरान नकुड़ पर और उनके भाई नोमान गंगोह में दूसरे नंबर पर रहे थे. माना जा रहा था कि इमरान मसूद इस बार उपचुनाव में ये बदला ले सकते हैं.
कुछ दिन पहले ऐसी खबरें भी आई थीं कि इमरान मसूद ने कहा था कि अगर कैराना में तबस्समुम हसन की जगह कोई और प्रत्याशी होता है तो हम उसे समर्थन देंगे. लेकिन ताजे घटनाक्रम के बाद कैराना उपचुनाव में स्थितियां तेजी से बदलती दिख रही हैं. सियासी जानकार इस मेल-मिलाप को बीजेपी प्रत्याशी मृगांका सिंह के लिए बड़ी चुनौती मान रहे हैं. दरअसल कैराना लोकसभा क्षेत्र के कुछ हिस्सों में कांग्रेस और इमरान की अच्छी पकड़ मानी जाती है.
उधर इस बदलती सियासत को लेकर बीजेपी भी सजग है. हालांकि वह इस गठबंधन को अभी भी संशय की नजर से ही देख रही है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि ये दोस्ती दिखावटी है. अ​स्तित्व को बचाने के लिए सिर्फ दल मिल रहे हैं, दिल नहीं मिल रहे हैं. इसका परिणाम चुनाव में देखने को भी मिलेगा.
राकेश त्रिपाठी ने कहा कि उपचुनाव में हमारा लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ वोटिंग प्रतिशत को बढ़ाने का है, क्योंकि गोरखपुर और फूलपुर में कम वोटिंग प्रतिशत हार का बड़ा कारण रहा. इसके लिए हम बूथ स्तर तक अभियान चला रहे हैं. जहां तक बीजेपी के खिलाफ गठबंधन की बात है तो विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने सपा के साथ गठबंधन किया था लेकिन कई सीटों पर सपा के बागी ने कांग्रेस के प्रत्याशी को और कांग्रेस के बागी ने सपा के प्रत्याशी को चुनौती दी, परिणाम सबके सामने है.
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