शामली

कैराना का 'काल' सौहार्द की अनूठी मिसाल, क्योंकि कैराना का असली नाम कर्णनगरी है!

Special Coverage News
23 Sep 2019 4:33 PM GMT
कैराना का काल सौहार्द की अनूठी मिसाल, क्योंकि कैराना का असली नाम कर्णनगरी है!
x

काले रंग का आदमी जब दौडता है बाजार मे उस के पीछे हजारों कि भीड दौडती है। और मार भी खाती है डर कर भी भागती है लोग उसे काल कहते है। कैराना में रामलीला से एक दिन पूर्व निकाला जाता है। काल जुलूस । सदियों पुरानी इस परंपरा को जीवित रखने में हिदू ही नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय भी पूरी जिम्मेदारी से साथ निभा रहा है। और अजीबो गरिब प्रथा है जिसे प्रसाद समझ कर लाग काल से मार खाते है व काले कपडे करने के लोग पैसे देतें है। काल जुलूस यहां हिदू मुस्लिम समुदाय के सौहार्द, प्रेम व भाईचारे की मिसाल कायम कर रहा है। कैराना की यह मिसाल इसीलिए आज भी बेमिसाल है।

महाभारत काल में पानीपत की लडाई में जाते वक्त कर्ण ने जिस स्थान पर रात्री में विश्राम किया था उसका नाम कर्णनगरी पड गया था जो अब बदल कर कैराना हो गया । सालों से चली परंपरा को देखना हो तो कभी कैराना आइए। शामली जनपद मुख्यालय से महज 12 किमी की दूरी पर स्थित कर्ण की इस नगरी में दोनों संप्रदाय के लोग देशभर में अनोखी मिसाल कायम कर दिखा रहे हैं। कैराना की सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पूरे देश में देखने लायक है। हिदू परंपरा के अनुसार, श्री रामलीला महोत्सव हर शहर में शुरू हो चुका है, लेकिन इसके बीच निकाले जाने वाले काल के जुलूस की परंपरा अब कहीं देखने को नही मिलती है। कैराना देश में एकमात्र ऐसा शहर है, जहां यह परंपरा आज भी जारी है। खास बात यह है कि काल के इस जुलूस में मुस्लिम बढ़-चढ़कर भाग लेते और जुलूस निकलाते हैं। यही नहीं, जहां तक होता है, वहां तक सहयोग भी प्रदान करते हैं।

वीओ-2- कैराना में रामलीला मंच का आयोजन कई सालो से किया जाता हैं व्यक्ति को कले रंग मे पोत कर काल बनाया जाता है। उस के हाथो मे एक लकडी कि तलवार भी बनाकर दी जाती है। जब उस का संगर हो जाता है तब वह व्यक्ति काली माता के मन्दिर मे जाता है । और काली माता की पुजा करने के बाद काल नगर में निकल पडता है। भागता दौडता रहता है और लोगों को अपनी लकडी कि तलवार से मारता भी है और जिस व्यक्ति के साफ कपडे होते है उन्हे पक्ड कर उनसे चिपक जाता है। और कपडो को काले भी कर देता है। इस अजीबो गरिब प्रथा से लोग मार भी खाते है और कपडे भी काले करवाते है फिर भी उस को कोई कुछ नहीं कहता बल्कि लोग उस कि मार को भगवान का प्रसाद बताते है। और उसके बदले पैसे भी देते है।

वहीं कुछ लोगों का मानना है कि रामायण काल मे लंका के राजा रावण ने अपनी शक्ति के बल पर काल को बंदी बना लिया था क्योंकि रावण को घमंड था के जब काल ही उस का बंदी है तो उस का कोइ कुछ नहीं बिगड़ सकता उसी परंपरा के आधार पर रामलीला के शुरू मे ही काल को निकाला जाता है जिसे बाद मे रावण द्वारा बंदी बना लिया जाता हैं और जब भगवान श्री राम लंका पर चढाई कर रावण से युद्ध करते है। तब रावण के विनाश के लिए काल को भी मुक्त कराया गया था।

शामली के कैराना में जहाँ 95% मुस्लिम बहुमुल्य क्षेत्र है वहाँ एक अनोखी रामलीला होती है करीब 90 वर्षो से रामलीला चल रही है मुख्य बात यह है कि जो रामलीला पहले होती थी उसमें मुस्लिम समुदाय के लोग रामलीला में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते थे !

Tags
Special Coverage News

Special Coverage News

    Next Story