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पत्रकार के विरोध के चलते एसपी शामली के समर्थन में आई जनता, राष्ट्रपति से लगाई एसपी के समर्थन में गुहार
शामली में पत्रकारों के उत्पीड़न के मामले में पुलिस अधीक्षक अजय कुमार पाण्डेय को दोषी मानकर उनके ट्रांसफर की मांग को लेकर धरना दे रहे पत्रकारों के विरोध में जिले की जनता ने भी मोर्चा सम्भाल लिया है. जनता ने भी एकत्रित होकर राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा है.
इकठ्ठी हुई जनता का कहना है कि पत्रकारों की माँग नाजायज है. एसपी अजय कुमार की कार्यप्रणाली पर संदेह करना ठीक उसी तरह है जिस तरह खुद की कही बात से पलट जाना. उनके इस तरह कार्य करने से आम जनता को बहुत राहत है. उनका कहना है कि पहले ऐसा कभी नहीं हुआ जिस तरह आज हमें किसी भी मामले में त्वरित न्याय मिला हो. इस सम्बन्ध में राष्ट्रपति को सम्बोधित एक ज्ञापन भी प्रेषित किया गया है.
वहीँ एसपी अजय कुमार ने भी जनता से अपील की है कि गलत तथ्यों वाली किसी खबर पर ध्यान न दें और कानून हाथ में लेने की कोई कोशिश नहीं करे, बस सच्चाई का साथ देते रहिए.उन्होंने समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेते हुए बताया कि पुलिस के खिलाफ धरने पर पत्रकार शीर्षक वाली खबर के दूसरे पैराग्राफ के आखिर में लिखा गया है कि काँधला में भी पत्रकार अख्तर कुरैशी को फर्जी मुकद्में में जेल भेजा गया. यह बात पूरी तरह से गलत है। इस मामले में अख्तर कुरैशी के खिलाफ कोई एफआईआर ही नहीं हुई है और अख्तर कुरैशी को जेल भी नहीं भेजा गया है. इसके विपरीत पुलिस ने तो अख्तर कुरैशी की मदद करते हुए उनकी तरफ से उनके विपक्षी के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज की है.
उन्होंने कहा है कि कुछ लोग पत्रकारिता के नाम पर लोगों को गुमराह कर रहे है। उन्होंने धरनारत् पत्रकारों की मांग के बारे में स्पष्ट करते हुए बताया कि पत्रकारों ने अख्तर कुरैशी के खिलाफ कथित रूप से ज्यादती करने वाले थाना काँधला के प्रभारी संजीव विश्नोई को लाइन हाजिर करने की मांग की है. एसपी अजय कुमार ने बताया कि सही तथ्य यह है कि पूरे मामले की वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा जाँच करवायी गयी है और जांच में पुलिस द्वारा पत्रकार के उत्पीड़न का कोई मामला नहीं पाया गया है, बल्कि अख्तर कुरैशी की तरफ से ही एफआईआर दर्ज करके पुलिस ने उसकी मदद ही की है.
एसपी अजय कुमार ने बताया कि पत्रकारों के अनुसार अमित शर्मा के प्रकरण में विवेचना सही नहीं हुई है. इस मामले में उन्होंने बताया कि मूलतः यह जीआरपी पुलिस का मामला है. यह प्रकरण शामली पुलिस का है ही नहीं, परन्तु इस मामले की तफ्तीश शामली पुलिस को मिली थी और शामली पुलिस मामले में चार्जशीट तक पहुँच गयी है. यह पूरा मामला प्रेस काउन्सिल ऑफ इण्डिया की जानकारी में भी है. इसके बाद भी कुछ पत्रकार चाहते हैं कि पत्रकार अमित शर्मा के मामले में लूट और अपहरण की धाराएँ और बढ़ाई जाएँ. एसपी अजय कुमार ने बताया कि पूरी तफ्तीश में पुलिस द्वारा लूट और अपहरण किये जाने के कोई सबूत नहीं मिले हैं। ऐसे में पुलिस झूठ ही लूट और अपहरण की धाराएँ कैसे जोड़ सकती है?
बता दें कि जिस दिन पत्रकार अमित शर्मा के खिलाफ जब यह घटना घटी थी तो इस खबर को स्पेशल कवरेज न्यूज ने सबसे पहले चलाया था. जिस पर यूपी पुलिस और शामली एसपी अजयकुमार ने तत्काल संज्ञान लेते हुए कार्यवाही कराई थी. जिस दिन यह घटना घटी थी उस दिन प्रदेश के सीएम, प्रमुख सचिव और डीजीपी ने पूरे प्रदेश के एसएसपी और एसपी के साथ अपराध को लेकर बैठक बुलाई थी. उसी दिन देर रात यह घटना घटी थी.
हालांकि यह मामला जीआरपी का था लेकिन चूँकि मामला पत्रकार का था तो इस मामले में एसपी अजय कुमार ने तत्कालीन एसपी जीआरपी मुरादाबाद सुभाष चंद्र दुबे से वार्ता करके इस मामले में तत्काल थाना प्रभारी और सिपाही को सस्पेंड किया गया. उसके बाद यह घटना और सभी पत्रकार एसपी अजय कुमार की कार्य शैली की तारीफ करते थकते नहीं थे तो कुछ दिन में यह नाराजगी क्यों बढ़ी.