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गन्ना बनाम जिन्ना या हिन्दू बनाम मुस्लिम: किस करवट बैठेगा कैराना का ऊँट

गन्ना बनाम जिन्ना या हिन्दू बनाम मुस्लिम: किस करवट बैठेगा कैराना का ऊँट
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उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा क्षेत्र में उप चुनाव है. इस उप चुनाव में विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों की साख जुडी हुई है. उसका कारण है कि बीजेपी अपनी साख बचाने का हर संभव प्रयास करेगी ताकि 2019 के लिए एक संदेश दे सके. जबकि विपक्ष ने पहली बार एक सयुंक्त उम्मीदवार उतारकर बीजेपी का बड़ा विरोध दर्ज किया है. एक मात्र दोनों उम्मीदवार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे लोक दल उम्मीदवार कंवर हसन को रालोद में शामिल कर विपक्ष ने पहली चाल तो चल दी है.


कैराना चुनाव में एक बात तो साफ़ झलकती है बीजेपी जहाँ विकास की बात नहीं करती दिख रही है वहीँ हिन्दू मुस्लिम बातों का प्रचार प्रसार बार बार किया जा रहा है. योगी सरकार लगातार अपने विकास और चार साल के मोदी सरकार के नारे सबका साथ सबका विकास के नाम पर वोट मांगती नजर नहीं आ रही है. वो बार बार कवाल कांड का जिक्र करते है. 2013 की भी बात करते है लेकिन विकास के नाम पर वोट नहीं मांगते नजर आते है.


बात करते हुए कहते है कि यह समस्या तो पन्द्रह साल पुरानी है कोई आज की नहीं. इसी तरह न गन्ना किसान का जिक्र होता है न हीं किसान की बात पूंछता कोई नजर आता है. न ही कोई बात करता नजर आता है. लेकिन जनता का दर्द यह आज का नहीं वर्षों पुराना है. जब जब चुनाव आता है तब तब किसान और आम जनता को भ्रमित कर वोट डलवाया जाता है. पिछले वोट का हिसाब अब जनता ने मांगना शुरू कर दिया है . अब जनता डीजल पेट्रोल की बढती कीमत पर भी बात करना चाहती है. अपने बच्चों के रोजागर की बात करना चाहती है. अपने गन्ना की बात पूंछना चाहती है. अब चुपचाप नहीं रहना चाहती है.


कैराना के चुनाव में जहाँ बीजेपी उम्मीदवार के साथ सहानुभूति का वोट जुड़ा हुआ है तो वहीँ उनके स्व पिता का जनता से स्नेह भी जुड़ा हुआ है. हालांकि उनकी मौजूदगी में भी हुकुम सिंह जी उनको विधायक का चुनाव भी नहीं जिता सके जब पुरे प्रदेश में बीजेपी की आंधी चली थी. इस सीट का अजीबोगरीब इतिहास रहा है.


वहीँ सयुंक्त उम्मीदवार तबस्सुम हसन सपा से पूर्व सांसद भी रह चुकी है. चूँकि रालोद का अब कोई न तो सासंद ही न विधायक है, ऐसे में युवा नेता जयंत चौधरी ने पहले खुद चुनाव लड़ने का प्रयास किया लेकिन कामयाब न होने पर सपा उम्मीदवार को अपनी पार्टी ज्वाइन करा उम्मीदवार घोषित कर दिया. अब उनकी खिलाफत में उनके देवर कंवर हसन लोकदल से उम्मीदवार बनकर सामने आ गये, जिससे बीजेपी की मुश्किल आसान होती दिख रही थी. लेकिन यकायक कंवर हसन ने भी रालोद ज्वाइन कर बीजेपी को उसी हालात में फिर लाकर खड़ा कर दिया जहाँ खड़ी थी. अबी वोट पढने में सिर्फ दो दिन वाकी है. कल प्रचार भी बंद हो जायेगा उसके बाद 28 मई को वोट पड़ेंगें. परिणाम 31 मई को आएगा.

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