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वायरल हुई दो कब्रों के बीच सोए बच्चे की यह तस्वीर, जानिए क्या है सच?

Special Coverage News
17 Oct 2019 2:12 PM GMT
वायरल हुई दो कब्रों के बीच सोए बच्चे की यह तस्वीर, जानिए क्या है सच?
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दो कब्रों के बीच सोए एक बच्चे की तस्वीर एक बार फिर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. दावा किया जा रहा है कि तस्वीर सीरिया की है, जहां यह बच्चा अपने माता-पिता की कब्रों के बीच सोया हुआ है.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही तस्वीर का सीरिया से कोई लेना-देना नहीं है. यह तस्वीर फोटोशूट का हिस्सा है जिसे फोटोग्राफर अब्दुल अजीज अल ओतैबी ने सऊदी अरब में क्लिक किया था.

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

फेसबुक पेज "POWER THOUGHTS" पर इस पोस्ट को शेयर करते हुए कैप्शन लिखा गया है, जिसका हिंदी अनुवाद है: "विश्व की सबसे दुखद तस्वीर: यह सीरियाई बच्चा माता-पिता की कब्र के बीच सो रहा है." फेसबुक पर यह तस्वीर काफी शेयर हो रही है.

तस्वीर के साथ किए जा रहे दावे का सच जानने के लिए हमने इसे रिवर्स सर्च किया. हमने पाया कि वायरल तस्वीर न तो सीरिया से है और न ही इन कब्रों में किसी की लाशें हैं. यह तस्वीर फोटोग्राफर अब्दुल अजीज अल ओतैबी के आर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा है. ओतैबी ने यह तस्वीरें सऊदी अरब में साल 2014 में खीचीं थीं.





यह तस्वीर उस समय भी ऐसे ही दावे के साथ वायरल हुई थी. तब फोटोग्राफर ओतैबी ने अपने इंटरव्यू में कहा था, "इस तस्वीर का सीरिया से कोई लेना देना नहीं है. न ही यह बच्चा अनाथ है. मैं अपनी तस्वीरों के जरिए एक बच्चे का माता-पिता से गहरा प्रेम दिखाना चाहता था, ऐसा प्रेम जो उनके मर जाने के बाद भी समाप्त नहीं होता. इसके लिए मैंने जेदाह से 250 किलोमीटर दूर यानबू के बाहरी इलाके में जाकर पत्थरों के दो ढेर लगाए. इनके बीच अपनी बहन के बेटे को चद्दर ओढ़ा कर लेटाया और फोटोशूट किया. पत्थरों के ढेर कोई कब्र नहीं हैं, मैं किसी बच्चे को कब्रों के बीच सुलाने के बारे में सोच भी नहीं सकता."

ओतैबी ने इस प्रोजेक्ट की तस्वीरें जनवरी 2014 में अपने फेसबुक पेज पर साझा की थीं. इनमें एक तस्वीर में बच्चे को हंसते हुए भी देखा जा सकता है. हालांकि @americanbadu नामक ट्विटर हैंडल से एक व्यक्ति ने यह तस्वीर ट्वीट की और इसे सीरिया का बता दिया. कुछ ही मिनटों में यह तस्वीर वायरल हो गई.

यह तस्वीर तब से अब तक कई बार इसी दावे के साथ वायरल हो चुकी है. साल 2014 में इंडिपेंडेंट ने इस तस्वीर का सच सामने रखा था. पड़ताल में साफ हुआ कि वायरल तस्वीर का सीरिया से कोई लेना-देना नहीं है, यह एक फोटोग्राफर का आर्ट प्रोजेक्ट था.

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