कोलकाता

बूढ़ी गंडक के किनारे सजी थी खुदीराम बोस की चिता, वहां का जल लेकर पश्चिम बंगाल लौटे परिजन

Special Coverage News
14 Aug 2019 6:14 AM GMT
बूढ़ी गंडक के किनारे सजी थी खुदीराम बोस की चिता, वहां का जल लेकर पश्चिम बंगाल लौटे परिजन
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15 अगस्त से पहले खुदीराम के जन्मभूमि मिदनापुर के विभिन्न स्कूलों में उनकी 112वीं शहादत दिवस के निमित 112 पेड़ लगाए जाएंगे। ...

शिवानन्द गिरी

मुजफ्फरपुर-जिले के विभिन्न जगहों का दौरा कर खुदीराम बोस के परिजन लौट तो गए लेकिन बहुत याद ताजा कर दिए। देश की आजादी के लिए सबसे कम उम्र में फांसी के फंदे को चूमनेवाले अमर शहीद खुदीराम बोस की बूढ़ी गंडक नदी के किनारे उस समय के बर्निंग घाट पर चिता सजी थी। यहीं पर इनका अंतिम संस्कार हुआ था। इन जगहों से खुदीराम के परिजनों का गहरा जुड़ाव दिखा। इस नदी के पावन जल और उनसे जुड़े अन्य स्थलों जैसे जहां से वे गिरफ्तार हुए थे वहां की मिट्टी, फांसी स्थल व चिताभूमि की मिट्टी अपने साथ लेकर उनकी दीदी अपूर्णा देवी के पोते सुब्रत राय वापस हो गए। बताया कि 15 अगस्त से पहले खुदीराम के जन्मभूमि मिदनापुर के विभिन्न स्कूलों में उनकी 112वीं शहादत दिवस के निमित 112 पेड़ लगाए जाएंगे।

111 साल बाद पूरी हुई इच्छा

अमर शहीद खुदीराम बोस पर शोध करनेवाले पश्चिम बंगाल के ही मिदनापुर निवासी अरिंदम भौमिक कहते हैं कि 111 साल बाद परिजनों ने उनकी अंतिम इच्छा को पूरी की। बताया कि 1947 में बांग्ला लेखक अधिवक्ता ईशानचंद्र महापात्र लिखित पुस्तक शहीद खुदीराम से यह जानकारी मिली कि खुदीराम ने मुजफ्फरपुर जेल से मिदनापुर निवासी बहनोई अमृतबाबू को पत्र लिखकर सूचित किया था कि उनकी 11 अगस्त को फांसी की तिथि मुकर्रर की गई है।

पत्र में खुदीराम ने चार आखिरी इच्छाएं जाहिर की थीं। इनमें पहला था कि वे एक बार अपने जन्मस्थान मिदनापुर को देखना चाहते हैं, दूसरी इच्छा दीदी और भतीजा ललित से मुलाकात, तीसरी इच्छा यह जानने कि भतीजी शिवरानी की शादी ठीक से हो गई या नहीं और चौथी इच्छा सिद्धेश्वरी कालीमाता का चरणामृत पीने की। तत्कालीन प्रशासन की ओर से बताया गया कि शिवरानी का विवाह हो चुका है, लेकिन शेष तीन इच्छाएं पूरी नहीं हुईं।

इसकी जानकारी मिलने के बाद उनके खास रिश्तेदार सुब्रत राय के साथ वह मिदनापुर की मिट्टी के साथ बचपन से जुड़ी पांच जगहों की यानी तमलुक हैमिल्टन स्कूल, कॉलेजिएट स्कूल हटगछिया (दासपुर), मोहबानी (उनके पिताजी का गांव) और उनकी बहन के गांव (हबीबपुर) से मिट्टी तथा सिद्धेश्वरी काली मां का (चरणामृत) लेकर यहां आए तथा उसको फांसी स्थल व चिताभूमि पर चढ़ाया और पौधारोपण किया। मिदनापुर से इनके साथ खुुदीराम पर शोध करनेवाले अरिंदम भौमिक, दीपांकर घोष, झरना आचार्य, कौशिक प्रसाद, कृष्ण गोपाल चक्रवर्ती, ममता राय शामिल रहे।

परिजनों की यह इच्छा

- खुदीराम बोस सर्किट से जुड़े पश्चिम बंगाल व बिहार मे उनसे जुड़े स्थल

- जन्मभूमि मिदनापुर रेलवे स्टेशन है जहां से खुदीराम गए थे वहां से मुजफ्फरपुर के बीच खुदीराम बोस एक्सप्रेस चलाया है।

- चिताभूमि में शहीद पार्क बनाया जाए, चिताभूमि के नीचे अगर स्थायी रूप से पानी रहता हो तो वहां पर वोटिंग की सुविधा प्रदान की जाए।

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