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बंगाल में दो गांवों ने देखी TMC-BJP के बीच हिंसा की सबसे भयानक तस्वीर, 100 लोगों ने पीछा कर पीछे से मारी गोली
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यकर्ताओं के बीच जारी हिंसा की सबसे भयावह तस्वीर उत्तर 24 परगना जिले के दो गांवों- हाटगाछी और राजबरी ने देखी है। दोनों गांव करीब 3 किमी की दूरी पर हैं। साल 2016 के विधानसभा चुनाव के बाद से बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र के सारे इलाके जब हिंसा का माहौल झेल रहे थे, उस वक्त भी ये दोनों गांव शांत थे। हालांकि, पिछले एक हफ्ते में यहां का माहौल बदला हुआ है।
हाटगाछी ग्राम पंचायत पर वर्चस्व के लिए सियासी दलों के बीच लड़ाई चल रही है। बीजेपी और टीएमसी के करीब 3 कार्यकर्ताओं की मौत हो चुकी है और 5 शनिवार दोपहर को हुई हिंसा के बाद से गायब हैं। राज्य बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष और हुगली की सांसद लॉकेट चटर्जी रविवार को पार्टी कार्यकर्ताओं प्रदीप और सुकांत मंडल के पार्थिव शरीर लेकर गांव पहुंचे तो उन्हें पुलिस ने बीच में ही रोक दिया। इस दौरान पुलिस और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच टकराव हो गया।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र के हाटगाछी में दो बूथों पर बढ़त मिली थी। टीएमसी ने शनिवार दोपहर को गांव के एक स्कूल में बूथ कमिटी की बैठक बुलाई। करीब 4:30 बजे टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के झंडों को हटाना शुरू कर दिया। उन्हें गांव के बुजुर्ग बासूदेब मंडल ने रोकने की कोशिश की तो उनको चाकू मार दिया। उसके बाद हमलावरों ने अलग-अलग हथियारों से हमला शुरू कर दिया।
100 लोगों ने पीछा किया, गिड़गिड़ाने पर भी पीछे से मारी गोली
उनकी एक रिश्तेदार ने बताया, 'हमने प्रदीप और उनके भाई सुकांत को झाड़ियों में भागते देखा। करीब 100 लोग हथियार लेकर उनके पीछे थे। वे एक तालाब में कूद गए और जीवनदान मांगने लगे लेकिन हमलावरों ने पीछे से उन पर गोली चला दी।' प्रदीप और सुकांत की मौत हो गई। बाकी हमलावरों ने करीब 30 मकानों को तबाह कर डाला। वे मंडल परिवार के पुरुष सदस्यों को ढूंढ रहे थे। सुकांत की रिश्तेदार कुशरानी का कहना है कि उन लोगों की गलती सिर्फ इतनी थी कि वे बीजेपी के समर्थक थे। कुशरानी के सिर पर भी लोहे के पाइप से वार किया गया।
'अस्पताल न ले जा सकें इसलिए...'
यहां से 3 किमी दूर राजबारी में टीएमसी कार्यकर्ता कयाम मोल्ला जब बूथ मीटिंग से वापस जा रहे थे तो उनकी हत्या कर दी गई। उनके पिता लियाकत अली ने बताया कि कयाम को सिर में गोली मारी गई और चाकू से भी मारा गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि टीएमसी कार्यकर्ताओं को कयाम को अस्पताल ले जाने का समय भी नहीं मिला। हमलावर उनका शव पास की इमारत में ले गए और वहां ताला लगा दिया।