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यूपी का ये शहर कहलाता है छोटी काशी, देखिए शाम का माँ गंगा का नजारा और जानिए पूरी बात
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले की एक तहसील का नाम है अनूपशहर, जो शहर गंगा नदी के दक्षिणी तट पर बसा हुआ है। वैसे तो पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अनूपशहर को 'छोटी काशी' के नाम से जाना जाता है।
हमारे आधुनिक इतिहासकार बताते हैं कि गंगा के तट पर स्थित आज का अनुपशहर मुगल शासक जहांगीर के शासनकाल में बसाया गया था और उसने यहां के एक गांव जिसका नाम बलभद्र नगर था उसको अपनी राजधानी घोषित कर दिया और इसका नाम बदल कर अनूपशहर कर दिया था।लेकिन अगर हम अनूपशहर के प्राचीन और पौराणिक इतिहास पर नजर नजर डालें तो हमें पता चलता है कि द्वापर युग से ही यह नगर हमारे लिए धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत ही महत्व का रहा है।
पौराणिक तथ्यों के अनुसार, महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम तीर्थ यात्रा के लिए चले गए थे और उसी तीर्थ यात्रा के दौरान वे इस क्षेत्र में आए और यहां तपस्या की थी। इसके चलते इसको बलभद्र नगर भी कहा जाता था।इसके साक्ष्य के रूप में अनूप शहर से कुछ ही दूरी पर स्थित आहार गांव में पुरातत्व विभाग के द्वारा की गई खुदाई के दौरान महाभारत कालीन कई प्रकार के अवशेष भी मिले हैं और उन अवशेषों से इस स्थान की प्राचीनता के प्रमाण मिलते हैं। इसके अलावा, अनूपशहर से मात्र 12 किमी की दूरी पर अवंतिका देवी का एक ऐसा प्रसिद्ध मंदिर भी है जो साक्षी है भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मणि के विवाह का। यही वह मंदिर है जहां से भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मणी का अपहरण किया था। माना जाता है कि यह मंदिर द्वापर युग से भी पहले का है।
गंगा नदी के किनारे बसे इस प्राचीन बलभद्र नगर यानी आज के अनूपशहर क्षेत्र की इस पवित्र भूमि पर अनेकों ऐसे प्राचीन मंदिर भी हैं जो हजारों वर्ष पहले स्थापित हुए थे। उन मंदिरों में से नर्वदेश्वर महादेव मंदिर, हनुमान जी का प्राचीन मंदिर, बिहारी जी का मंदिर, श्री गिरधारी जी का मंदिर और चामुंडा देवी मंदिर जैसे कुछ प्राचीन मंदिर हैं। इसके अलावा गंगा किनारे सनातन धर्म के कई जाने माने और उच्च कोटि के साधु-संतो के आश्रम भी है जिन्होंने समय-समय पर यहां आकर तपस्या की, प्रवचन दिए और अनेकों ऋषि-मुनियों ने अपनी तपस्या के बल पर इस भूमि को तपोभूमि बनाया है। इसके अलावा सिखों का प्रसिद्ध तीर्थ बाबा खड़क सिंह का आश्रम भी यहीं पर बना हुआ है।
प्राचीन काल से ही छोटी काशी के नाम से विख्यात यह धार्मिक नगरी भी अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुख्य तीर्थ स्थल के रूप में विशेष रूप से विकसित हो रही है। धार्मिक दृष्टि हरिद्वार के बाद अनूपशहर दूसरा ऐसा प्रमुख शहर है, जो गंगातट पर आबाद है। यहां हर शाम गंगा जी की आरती में रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल होते हैं।
अनूप शहर से होकर बहने वाली पवित्र गंगा नदी के तटों की सूरत बदलने के लिए नमामि गंगे योजना के तहत कुछ विशेष प्रयास भी किए जा रहे हैं। जिसके अंतर्गत प्राचीनकाल के मस्तराम आश्रम का आधुनिकीकरण करवा कर यहां के घाटों को पक्का करवाने और उनका सौंदर्यकरण करवाने का कार्य प्रमुख है।
लेखक रामभरत उपाध्याय