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ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति हमदर्दी रखने वाले हिंदूवादी संगठनों के नेताओं से कांग्रेस, नेहरू और गांधी को ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति मन में सहानुभूति थी
क्रांति कुमार
कांग्रेस, नेहरू और गांधी को ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति मन में सहानुभूति थी. वे बड़े आराम से, शालीनता से, आदरपूर्वक ब्रिटिश साम्राज्यवाद की बिदाई चाहते थे. हिंदूवादी संगठनों के नेताओं को भी ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति हमदर्दी थी, ब्रिटिश सरकार उन्हें गुप्त रूप से अनुदान राशि देती थी.
भारत में केवल एक ही नेता था सुभाष चंद्र बोस जो ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य शस्त्र संघर्ष के द्वारा अस्त करना चाहते थे. लेकिन वो आज़ाद भारत में लोकतंत्र नही तानाशाही व्यवस्था चाहते थे.
सुभाष चंद्र बोस के इरादों से ब्रिटिश हुकूमत और गांधी डर गए. ब्रिटिश शासन के दबाव में गांधी ने बोस को कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया. बोस के पास दो विकल्प था कम्युनिस्ट रूस की मदद लेना या राष्ट्रवादी मुससोलिनी, हिटलर और जापानियों से सहायता मांगे ?
बोस ने दूसरा विकल्प चुना मानव नरसंहार करने वालों से जाकर मिल गए. बेनिटो मुससोलिनी और एडोल्फ हिटलर उनके आदर्श थे. आखिर बोस भी राष्ट्रवादी विचारधारा के थे जो भारत को तानाशाह की तरह शासन चलाना चाहते थे.
सुभाष चंद्र बोस के सपनों में कहीं भी खेतिहार, पशुपालक, कारीगर, कामगार और मजदूर वर्ग नही है, उन्हें बस आज़ादी के नाम पर उनका खून चाहिए था ताकि बाद में ग़ुलाम बनाकर इस वर्ग पर शासन कर सकें.
सवर्ण समुदाय सुभाष चंद्र बोस को इतिहास के पन्नों पर स्थापित करने में कामयाब हो गया. ओबीसी एससी एसटी वर्ग के दिमाग में घुसा दिया केवाल बोस नही स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हर अगड़ी जातियों के नेता महान हैं.
जैसे गांधी को धोती पहनने का शौक था, उनका सपना ग्रामराज और रामराज था. उस तरह सुभाष चंद्र बोस को सेना की वर्दी पहनने का शौक था. बोस देश में नाज़ी और जापानियों की सहायता से भारत में तानाशाही व्यवस्था चाहते थे.
सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद हिंद फौज के घोषणा पत्र में लिखवा दिया था अगर कोई व्यक्ति नागरिक आज़ाद हिंद की अस्थायी सरकार या आज़ाद हिंद फौज या जापानी आर्मी के खिलाफ आवाज उठाएगा उसे आज़ाद हिंद फौज और जापानी निप्पोन आर्मी के नियमों के तहत मौत के घाट उतार दिया जाएगा.
1942 में सिंगापोर देश में आज़ाद हिंद फौज को बोस ने संबोधित करते हुए कहा था ब्रिटिश को भगाने के बाद भारत में बिना किसी संविधान के 20 साल तक लोकतांत्रिक नही तानाशाही शासन होना चाहिए.
इस भाषण को सिंगापोर के अखबार संडे एक्सप्रेस ने उस वक़्त छापा था. आप लोगों को सवर्ण बुद्धिजीवियों ने अफीम पिला दिया है, उनके द्वारा गढ़ा गया हर पात्र चाहे अच्छा हो या बुरा, उनकी बुराई को छिपाकर महिमा मंडन कर वह आप पर थोप देते हैं.
अगर सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फौज संघर्ष युद्ध जीत जाती. ब्रिटिश भारत से भाग जाते, तब हमारा भारत आज़ाद नही गुलाम भारत ही रहता. भारत नाज़ी जर्मनी और जापान साम्राज्य की कॉलोनी बनता. सुभाष चंद्र बोस को कठपुतली शासक बनाकर, नाज़ी और जापानी राज करते.
डोरे से बाँधकर नचाई जानेवाली काठ की पुतली जो दूसरों के इशारे पर काम करता. क्या आप लोग ऐसा भारत चाहते थे ?
ईमानदारी से जवाब देना, जरा भी बेमानी मत करना.
हमरा नाम क्रांति कुमार है, भारत देश का रहना वाला हूँ जगत दुनिया की बात बताता हूँ.