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सोनाली मिश्र
गुजरात में एक अडालज की बावड़ी है, जिसे सुलतान बेघारा के रानी रुदाबाई के प्रति प्यार की कहानी बताया जाता है. जबकि यह प्यार की कहानी कैसे होगी, इसे समझना होगा.
जैसे उन्होंने सलीम को प्यार का मसीहा घोषित कर दिया, अपनी बेटी तक के साथ सम्बन्ध बनाने वाले शाहजहाँ को तो जैसे प्यार का प्रतीक बना दिया, और हम अपने नायक शिवाजी का प्रेम पक्ष नहीं सामने लाए और उधर औरंगजेब और हीराबाई की कहानी भी हवाओं में तैरने लगी है.
ऐसी ही एक कहानी है हरम में सैकड़ों कनीजों को रखने वाले सुलतान बेघारा की, जिसने रानी रुदाबाई के पति राणावीर पर आक्रमण किया था और फिर वह रानी रुदाबाई के रूप पर मोहित हो गया था और उसने रानी से कहा कि वह हरम में आ जाए. रानी अपने पति से अत्यधिक प्रेम करती थीं, कहा जाता है कि रानी ने सुलतान बेघारा को मारकर टांग दिया था पर ऐसा इतिहास में उल्लेख नहीं प्राप्त होता है.
वहीं अडालज बावड़ी पर जो पट है वह कहता है कि रानी ने सुलतान बेघारा से निकाह की एक शर्त रखी कि यदि वह इस शेष बावड़ी का निर्माण कर देगा तो वह निकाह कर लेगी, क्योंकि वहां पर सूखे की समस्या रहती थी और बावड़ी अभी अधूरी थी.
सुलतान बेघारा ने रानी की वह शर्त मान ली और बावड़ी का शेष बचा हुआ कार्य समाप्त करा दिया. रानी ने जैसे ही देखा कि बावड़ी का कार्य पूर्ण हो गया है, अपनी जनता से जैसे मन ही मन विदा ली और अपने पति से भेंट करने के लिए चल पड़ीं. उन्होंने उसी बावड़ी के पांचवे तल से नीचे छलांग लगा ली.
तो यह सत्य है कि अडलाज की बावड़ी प्रेम की कहानी कहती है, पर अय्याश सुलतान बेघारा की नहीं जो अफ्रीका तक से सेक्स गुलामों को लाया था, बल्कि रानी रुदाबाई की! उनकी प्रेम कहानी है, जिन्होंने यह तो निश्चित कर लिया था कि उन्हें जाना है अपने पति के पास, मगर जनता के प्रति एक कर्तव्य पूरा करके. यह कहानी जनता के प्रति एक रानी के प्रेम की कहानी है.
और हाँ, जिस सुलतान बेघारा की तारीफ़ में वहां के पट और इतिहास के पन्ने रंगे है उसने उन सभी कारीगरों को मार डाला था, जिन्होनें बावड़ी का शेष कार्य कराया था क्योंकि उसे डर था कि वह वैसी ही बावड़ी बना सकते हैं.
अब देखिये ताजमहल को बनाकर उसके कारीगरों के हाथ काटने वाले को प्यार का प्रतीक घोषित कर दिया गया और हम कुछ नहीं कर पाए. अब इस बावड़ी को विश्व धरोहर घोषित कर दिया गया है.
फिर भी वहां पर सुलतान बेघारा के रानी के प्रति प्यार का उल्लेख है, रानी और उनके पति की प्रेम कहानी गायब है,
यही नैरेटिव के निर्माण की शक्ति है. धीरे धीरे औरंगजेब भी हीराबाई का महान प्रेमी घोषित होने जा रहा है और हमारे ही बच्चे किसी लेखिका या लेखक द्वारा औरंगजेब को महान पढेंगे.
रूदाबाई का नाम सुलतान बेघारा के साथ जोड़ दिया गया और उनके पति को इतिहास में कहीं धूमिल कर दिया गया