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खरी खरी - सर पर दरोगा का हाथ है, तो लफंगों के फुल ठाठ हैं
देखो भइया, हम तो खरी खरी कहते हैं। आपको सुननी हो तो सुनो वर्ना कोई जबरदस्ती तो है नहीं। एक उड़ती चिड़िया के अनुसार जिले के एक स्पेशल थाने के एक बादशाह, सॉरी !! मेरा मतलब है चौकी इंचार्ज ने मोहल्ले भर के लफंगों की एक टीम बना रखी है। ये वानर सेना पूरे इलाके में दरोगा जी का इकबाल बुलंद करती घूमती हैं और छोटे बड़े मामले पकड़ - पकड़ कर दरोगा जी के दरबार में पेश करती है। इस पकड़ा पकड़ी के खेल में दरोगा जी के वारे न्यारे हो जाते हैं और थोड़ी चिल्लर वानर सेना के हिस्से भी आ जाती है।
उड़ती चिड़िया की माने तो दरोगा जी का दरबार पुलिस चौकी में न लग कर एक स्थानीय लॉज में लगता है। कहने वाले तो ये भी कहते हैं कि इस दरबार में शराब और कबाब की नदियां बहती हैं।यही नहीं कभी कभी यहां शबाब का जलवा भी दिखाई पड़ जाता है। कुल मिला कर डैशिंग दरोगा जी आज कल सारी उंगलियां घी में और सर कढ़ाई में डाल कर घूम रहे हैं।
जब अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान ये कहावत हमारे नादान बालकों की वानर सेना पर पूरी तरह फिट बैठती है। जब से दरोगा जी ने चौकी का चार्ज संभाला है तब से नादान बालकों के दिन बहुर गए हैं। पहले बेचारे यहां वहां मारे मारे फिरते थे और आजकल फुल ठाठ चल रहे हैं। कप्तान से निवेदन है कि ऐसा दयालु दरोगा हर चौकी में भेजे। इससे देश की बेरोजगारी काफी कम हो जाएगी।
वैसे हमारे दयालु दरोगा जी को पत्रकारों की इज्जत उतारने का बड़ा शौक है, बीते दिनों उन्होंने एक ताज़े ताज़े पैदा हुए संपादक जी को फ़र्ज़ी बता दिया। ये सुन कर संपादक जी को घनघोर किस्म की मिर्ची लग गयी। सही भी है जिसको RNI रक्खे उसको एक मामूली दरोगा कैसे चक्खे ?
जब हमने उड़ती चिड़िया को थोडा बाजरा खिलाया तो उसने ये भी बताया कि कुछ अपने ही कलमजात भाई दरोगा जी के दरबार के रेगुलर मेंबर हैं। इनको दरोगा जी मासिक रूप से दरबारी (डग्गा) भी देते हैं।
भगवान हमारे दरोगा जी और उनकी वानर सेना को खूब तरक्की दे। पर उनकी तरक्की से उनके ही थाने के कुछ सहयोगी बहुत कुढ़े हुए हैं। ये लोग दरोगा जी की विकेट गिराने के लिए जुगत भिड़ाये पड़े हैं। पर इस सबसे हमको क्या लेना देना ? हम तो भाई खरी खरी कहते हैं, आपको सुननी हो तो सुनो वर्ना पतली गली पकड़ के निकल लो.