आज चंद्रग्रहण से पहले बना ले खीर, जानिए किस समय होगी खीर में अमृत वर्षा

आज शरद पूर्णिमा है। आज रात में एक क्षण ऐसा आएगा जब अमृत की वर्षा होगी। उस समय खुले आसमान के निचे खीर बना के रख दे और उसके बाद उसको खाना चाहिये।

Update: 2023-10-28 11:34 GMT

आज चंद्रमा की पूजा कर उनको खीर का भोग लगाने के बाद इसे छत पर खुले आसमान के नीचे रखने की परंपरा है, मान्यता है कि इससे खीर में अमृत वर्षा होती है और सुबह खाने वाले की सेहत अच्छी होती है। लेकिन चंद्र ग्रहण भी आज ही लग रहा है, जिसमें कोई पूजा नहीं होती और कोई चीज खुली भी नहीं रखते तो आइये जानते हैं खीर को अमृतयुक्त बनाने के क्या हैं उपाय और कैसे पूरी होगी परंपरा..

क्या है चंद्रग्रहण का समय

पंचांग के अनुसार चंद्र ग्रहण शनिवार रात 11.31 बजे आरंभ होगा और इसका समापन देर रात 3.56 बजे होगा। चंद्र ग्रहण सर्वाधिक रात 01.05 बजे 01. 44 बजे होगा और इसका मोक्ष रात्रि 02.24 बजे होगा। इसका सूतक काल 4.05 बजे से लग जाएगा। इस समय पूजा पाठ नहीं करते, हालांकि ध्यान और मंत्र जाप में कोई रोक नहीं है। इस बीच न चंद्रमा की पूजा होगी और न अर्घ्य दिया जा सकेगा। ऐसे में ज्योतिषियों का कहना है कि चंद्रग्रहण की समाप्ति के बाद यह पूजा और रस्म निभा सकते हैं। क्योंकि इस समय ही चंद्रमा का दर्शन हो सकेगा।

ऐसे रख सकते हैं आसमान के नीचे खीर

ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार चंद्र ग्रहण से पहले ही शरद पूर्णिमा पर खीर बना लेनी चाहिए और अगर आपने ये खीर सूतक से पहले बना ली है तो और भी अच्छा है। खीर बनाने के बाद इसमें तुलसी पत्ता डालकर रख दें और ग्रहण संपन्न होने के बाद इस खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखें। सुबह स्नान करें और खीर का सेवन करें। ध्यान रहे कि ग्रहण काल रात 3.56 बजे समाप्त होगा और खीर को इसके बाद ही चंद्रमा की रोशनी में रखें।

शरद पूर्णिमा का महत्व

अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा कहलाती है, इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं वाला होता है और इससे निकलने वाली किरणें अमृत समान होती हैं। उत्तर और मध्य भारत में शरद पूर्णिमा की रात्रि को दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है। इससे धन, प्रेम और अच्छा स्वास्थ्य तीनों प्राप्त होता है। मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें खीर में पड़ने से यह कई गुना गुणकारी और लाभकारी हो जाती है। इसे कोजागर व्रत माना गया है, साथ ही इसको कौमुदी व्रत भी कहते हैं। हालांकि इस दिन ये सावधानियां रखनी चाहिए।

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