इस दिन मनाई जाएगी देवशयनी एकादशी, चार माह तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य

Update: 2021-07-19 05:14 GMT

देवशयनी एकादशी को आषाढ़ मास की सबसे महत्वपूर्ण एकादशी माना जाता है। इस दिन से चतुर्मासा का प्रारंभ होता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहते है। इसे पद्मा एकादशी, आषाढ़ी एकादशी या हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवता योग निद्रा में चले जाते हैं। इस सृष्टि के संचालक भगवान शिव होते हैं। चतुर्मास के समय में भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा होती है।

आषाढ़ मास की आखिरी यानि शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहा जाता है. हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का बहुत महत्त्व है. सनातन धर्म में एकादशी व्रत सर्वश्रेष्ठ व्रत माना जाता है. जातक इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करते हैं. इस व्रत से पापों का नाश होता है और मनुष्य का जीवन सुखमय बन जाता है।

हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। एकादशी के दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं इसका महत्व –

देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक चातुर्मास

देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होता है. इस दिन भगवान विष्णु का शयनकाल आरंभ होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस तिथि से ही भगवान विष्णु पाताला लोक में विश्राम के लिए प्रस्थान करते हैं. भगवान विष्णु का शयनकाल देवउठनी एकादशी को समाप्त होता है.

देवशयनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 19 जुलाई को रात 09 बजकर 59 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 20 जुलाई को शाम 07 बजकर 17 मिनट तक है। ऐसे में उदया तिथि 20 जुलाई को प्राप्त हो रही है, तो देवशयनी एकादशी व्रत 20 जुलाई को ही रखा जाएगा।

देवशयनी एकादशी तिथि प्रारम्भ - जुलाई 19, 2021 को 09:59 पी एम बजे

देवशयनी एकादशी समाप्त - जुलाई 20, 2021 को 07:17 पी एम बजे

देवशयनी एकादशी व्रत पारण- जुलाई 21, 05:36 ए एम से 08:21 ए एम

देवशयनी एकादशी का महत्व -देवशयनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। उसके सभी कष्ट मिट जाते हैं। मृत्यु के बाद श्रीहरि की कृपा से उस व्यक्ति को बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त होता है।

देवउठनी एकादशी कब है?

वर्ष 2021 में देवउठनी एकादशी का व्रत पंचांग के अनुसार 14 नवंबर 2021, रविवार को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाएगा. इसी दिन से चातुर्मास का समापन होगा.

चार माह तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य

भगवान विष्णु के विश्राम करने के बाद चार माह तक मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इस दौरान भगवान की पूजा- अर्चना सब होती है बस मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। मांगलिक कार्यों की शुरुआत भगवान विष्णु का विश्राम पूरा होने के बाद ही होती है।

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