इंसानियत की मिसाल : दो दिन की बच्ची की जान बचाने के लिए युवक ने तोड़ा रोजा!

दो दिन की बच्ची को बचाने के लिए खून की जरूरत थी। जब अशफाक को इस बारे में पता चला तो बिना कुछ और सोचे वह निकल पड़े।

Update: 2018-05-28 07:50 GMT
Photo : ANI

दरभंगा : सांप्रदायिक हिंसा का शिकार माने जाने वाले दरभंगा में एक युवक ने सांप्रदायिक सौहार्द की अनोखी मिसाल पेश की है। रमजान के महीने में जब पानी भी पीना मना होता है, इस युवक ने दो दिन के बच्चे की जान बचाने के लिए अपना रोजा तोड़ दिया। कुछ दिन पहले बिहार से ही ऐसा एक और मामला देखने को मिला था। 

दरभंगा में एक एसएसबी जवान रमेश सिंह के दो दिन की बच्ची को बचाने के लिए खून की जरूरत थी। जब अशफाक को इस बारे में पता चला तो बिना कुछ और सोचे वह निकल पड़े। उन्होंने बताया कि उन्हें लगा कि किसी की जान बचाना (रोजा बनाए रखने से) ज्यादा जरूरी है। जब उन्हें पता चला कि वह जरूरत एक सुरक्षाकर्मी की बेटी को है, तो वह और भी अधिक प्रेरित हुए और उन्होंने रोजा तोड़ दिया। 



दरअसल, खून देने के लिए कुछ खाना जरूरी होता है जबकि रोजे में पानी भी नहीं पी सकते हैं। बिहार के ही गोपालगंज में जावेद आलम नाम के एक व्यक्ति ने भी एक बच्चे की जान बचाने के लिए अपना रोजा तोड़ दिया था। उन्हें रोजे की वजह से अस्पताल ने खून देने से मना कर दिया था लेकिन फिर उन्होंने रोजा तोड़कर बच्चे के लिए खून दे दिया। 

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