भारत पाकिस्तान के मध्य झड़प में यह महत्त्वपूर्ण खबर दब गई

Update: 2019-03-01 06:05 GMT

गिरीश मालवीय 

भारत पाकिस्तान के मध्य झड़प में बहुत सी खबरे दब गयी. मुजफ्फरपुर बालिका गृह केस याद होगा आपको सीबीआई के तत्कालीन अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव को अदालत की अवमानना मामले में सजा सुनाई गयी. उसी केस में सीबीआई फिर लापरवाही से काम ले रही है.

इस बहुचर्चित बालिका गृह यौन उत्पीड़न कांड की सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मुजफ्फरपुर स्थित विशेष पॉक्सो कोर्ट से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था. लेकिन यहाँ भी सीबीआई की हीलाहवाली देखने को मिली. दो दिन पहले इस मामले की सुनवाई कर रहे दिल्ली के साकेत स्थित कोर्ट ने बहस करने के लिए विशेष लोक अभियोजक ( सरकारी वकील )की नियुक्ति पर जांच एजेंसी को फटकार लगाई.

न्यायाधीश ने कहा, ''मैं परसों अधिसूचना चाहता हूं. यदि आप नहीं कर सकते तो उच्चतम न्यायालय को सूचित कर दें. मैं इस आदेश की एक प्रति सीबीआई निदेशक को भी भेज रहा हूं. यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो संयुक्त निदेशक स्तर के किसी वरिष्ठ अधिकारी को पेश होना पड़ेगा."

इस घटना से कुछ दिन पहले इस लोहमर्षक कांड में गिरफ्तार डॉक्टर अश्विनी ने अपने वकील के जरिए अर्जी दी है. इसमें मांग की गई है कि बालिका गृह के संचालन में सीएम नीतीश कुमार भी इन्वॉल्व है. उनकी भूमिका की जांच भी की जाए.

इसी बीच मुजफ्फरपुर केस की अहम गवाह 7 लड़कियों को पटना के मोकामा बालिका गृह से गायब करवा दिया गया कहा गया कि यह लड़कियां वहा से खिड़की की ग्रिल को काटकर फरार हो गईं थीं. लेकिन पुलिस जांच में यह थ्योरी फेल हो गई पता लगा कि लड़कियां मुख्य दरवाजे से ही भागी हैं. जबकि हालिया घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी बालिका गृहों की सुरक्षा मजबूत करने का निर्देश दिया था. फिर कड़ी सुरक्षा के बीच वे मुख्‍य गेट से कैसे बाहर निकलीं, यह बड़ा सवाल है?

साफ है कि लड़कियों को भगाने के पीछे की मंशा मुजफ्फरपुर बालिका गृह केस प्रभावित करना था. फिलहाल बढ़ते हुए दबाव के मद्देनजर पहले 6 लड़कियों को पुलिस ने बरामद की और फिर बढ़ते दबाव के कारण पुलिस को सातवी लड़की की बरामदगी भी दिखानी पड़ी.

यह वही सातवीं लड़की हैं जो मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन हिंसा कांड की सबसे अहम गवाह है. उसने ही यह राज खोला था कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में कई नेता व अधिकारी गंदे इरादे से जाते थे इसी लड़की ने मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर पर सीधे तौर पर रेप का आरोप लगाया था. साथ ही कहा था कि उसके हाथ-पांव बांधकर ब्रजेश ठाकुर रेप करता था. साफ दिख रहा है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस केस को कमजोर करने में लगे हुए हैं फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जल्दी जल्दी सुनवाई के आदेश दे दिए हैं.

Tags:    

Similar News