Bhai Dooj 2018: ये है भाई दूज पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त, जानें पूजा विधि और महत्‍व

यह त्‍योहार भाई-बहनों के बीच प्रेम और स्नेह भाव को बढ़ाता है। जिस तरह रक्षा बंधन का विशेष महत्व है उसी प्रकार भाई दूज का भी अपना विशेष महत्व होता है।

Update: 2018-11-09 05:24 GMT

दीपावली के दो दिन बाद कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। यह पांच दिवसीय दीपावली पर्व की श्रृंखला का अंतिम पर्व है। इस पर्व को भाऊ बीज, टिक्का, यम द्वितीय और भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।

यह त्‍योहार भाई-बहनों के बीच प्रेम और स्नेह भाव को बढ़ाता है। जिस तरह रक्षा बंधन का विशेष महत्व है उसी प्रकार भाई दूज का भी अपना विशेष महत्व होता है। इस दिन बहनें भाई की लंबी आयु और उनके स्वास्थ्य की मंगल कामना का व्रत रखती हैं। इस पर्व को भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन परंपरा है कि बहन अपने भाइयों को चावल खिलाएं। बहन के घर पर भाई को भोजन कराने का विशेष महत्व माना जाता है। यदि अपनी सगी बहन ना भी हो तो किसी भी बहन के साथ इस परंपरा का निर्वहन कर सकते हैं।

भैया दूज का शुभ मुहूर्त (Bhaiya Dooj Shubh Muhurt)

सुबह- 9:20 से 10:35 तक

दोपहर-1:20 से 3:15 तक

शाम-4:25 से 5:35 और 7:20 से रात 8:40 तक

भैया दूज के दिन ऐसे करें पूजा

- पूजा करने से पहले बहन आटे से चौक बनाती है। फिर इस पर भाई को विराजमान कर के उसकी पूजा करती है।

- भाई की हथेली पर चावल का घोल लगा कर पान, सुपारी, पुष्प इत्यादि रखकर उसके हाथ पर जल गिराती है।

- अब बहन भाई की आरती उतार कर उसके हाथों में कलावा बांधती हैं।

- फिर बहन भाई को मिठाई खिलाएगी। भाई यदि बड़ा है तो बहन उसका पैर छूकर आशीर्वाद लेगी और यदि भाई छोटा है तो बहन का आशीर्वाद लेगा।

माना जाता है कि बहनें अगर दक्षिण की दिशा की तरफ चेहरा करके दीया जलाएं तो ये भाइयों के लिए शुभ होता है। वहीं भाई की लंबी उम्र के लिये भगवान से की गयी प्रार्थना को पूरी होने के लिये आकाश में उड़ती हुई पतंग को देखना बहुत भाग्यशाली माना जाता है।​

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