सूर्य ग्रहण खत्म होने का बाद कर लें ये जरूरी काम, होगा अद्भुत लाभ!

Update: 2019-12-26 05:48 GMT

नई दिल्ली। गुरुवार 26 दिसंबर को साल 2019 का अंतिम सूर्य ग्रहण लग रहा है। पंचांग की गणना बताती है कि करीब 58 साल बाद लगने जा रहा यह अद्भुत सूर्य ग्रहण 5 घंटे 36 मिनट का होगा। इस दिन लगने जा रहा सूर्य ग्रहण ना सिर्फ काफी लंबा है बल्कि इस साल भारत में दिखने वाला पहला सूर्य ग्रहण भी है।

सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है. सूतक से लेकर सूर्य ग्रहण तक के समय को शुभ कामों के लिए उचित नहीं माना जाता है. यही वजह है कि सूतक से लेकर ग्रहण काल तक के लिए कुछ काम निषेध बताए गए हैं. यह भी बताया गया है कि सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद अगर कुछ काम कर लिए जाएं तो ग्रहण के वक्त पैदा होने वाले प्रभाव को घर से खत्म किया जा सकता है. आइए जानते हैं ग्रहण खत्म होने के बाद क्या काम जरूर करने चाहिए।

स्‍नान करें: मान्यता है कि ग्रहण कल में सूर्य से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा से शरीर अपवित्र और दूषित हो जाता है. इसीलिए ग्रहण खत्म होने के बाद सबसे पहले पवित्र पानी से स्नान करना चाहिए. ऐसा करने से शरीर से ग्रहण का दूषित प्रभाव खत्म हो जाता है.

पवित्रीकरण करें: ग्रहण काल में सूर्य की हानिकारक किरणों का दूषित का प्रभाव घर के कोने कोने पर पड़ता है. इस प्रभाव को खत्म करने के लिए पवित्र गंगाजल से पूरे घर में छिड़काव करें. इसके अलावा तुलसी, शामी और अन्य पवित्र मने जाने वाले पौधों पर भी गंगाजल से पवित्रीकरण करें।

दान करें: हिंदू धर्म में दान करने से बड़ा पुण्य कोई दूसरा नहीं माना गया है. दान करने से पाप कट जाते हैं. इसलिए ग्रहण काल के बाद गरीब और जरूरतमंदों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान पुण्य करें. इससे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव जाता रहेगा।

क्या है सूर्य ग्रहण की मान्यता

सूर्य ग्रहण से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं, जिनके मुताबिक सूर्य ग्रहण को नहीं देखना चाहिए. कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक खगोलीय घटना है, इसे देखने में कोई दिक्कत नहीं है।

कैसे लगता है सूर्य ग्रहण?

सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आने की वजह से जब सूर्य छिपने लगता है तो इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं. जब सूर्य का एक भाग छिप जाता है तो उसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं. जब सूर्य कुछ देर के लिए पूरी तरह से चंद्रमा के पीछे छिप जाता है तो उसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते हैं. पूर्ण सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या को ही होता है.

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