महिलाएं भी धारण कर सकती जनेऊ

जनेऊ को उपवीत, यज्ञसूत्र, व्रतबन्ध, बलबन्ध, मोनीबन्ध और ब्रह्मसूत्र भी कहते हैं

Update: 2019-05-31 08:29 GMT

नई दिल्ली। धार्मिक परंपराओं मे देखा जाय तो हिन्दू धर्म में अनेक धार्मिक नियम बनाये गये है। जिसका पालन करने से हर तरह से लाभ होता है। आपको बतादें कि हिन्दू धर्म में प्रत्येक हिन्दू का कर्तव्य है जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना। हर हिन्दू जनेऊ पहन सकता है बशर्ते कि वह उसके नियमों का पालन करे। ब्राह्मण ही नहीं समाज का हर वर्ग जनेऊ धारण कर सकता है। जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक को यज्ञ तथा स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता है। द्विज का अर्थ होता है दूसरा जन्म। 

जनेऊ को उपवीत, यज्ञसूत्र, व्रतबन्ध, बलबन्ध, मोनीबन्ध और ब्रह्मसूत्र भी कहते हैं। जनेऊ धारण करने की परम्परा बहुत ही प्राचीन है। वेदों में जनेऊ धारण करने की हिदायत दी गई है। इसे उपनयन संस्कार कहते'उपनयन' का अर्थ है, 'पास या सन्निकट ले जाना।' किसके पास? ब्रह्म (ईश्वर) और ज्ञान के पास ले जाना। हिन्दू धर्म के 24 संस्कारों में से एक 'उपनयन संस्कार' के अंतर्गत ही जनेऊ पहनी जाती है जिसे 'यज्ञोपवीतधारण करने वाले व्यक्ति को सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। एक बार जनेऊ धारण करने के बाद मनुष्य इसे उतार नहीं सकता। मैला होने पर उतारने के बाद तुरंत ही दूसरा जनेऊ धारण करना पड़ता है।

जनेऊ धारण करने का लाभ

हालांकि जनेऊ यानि दूसरा जन्म (पहले माता के गर्भ से दूसरा धर्म में प्रवेश से ) माना गया है । उपनयन यानी ज्ञान के नेत्रों का प्राप्त होना, यज्ञोपवीत याने यज्ञ हवन करने का अधिकार प्राप्त होना । जनेऊ धारण करने से पूर्व जन्मों के बुरे कर्म नष्ट हो जाते है । जनेऊ धारण करने से आयु, बल, और बुद्धि मे वृद्धि होती है । जनेऊ धारण करने से शुद्ध चरित्र और जप, तप, व्रत की प्रेरणा मिलती है । जनेऊ से नैतिकता एवं मानवता के पुण्य कर्तव्यों को पूर्ण करने का आत्म बल मिलता है । जनेऊ के तीन धागे माता - पिता की सेवा और गुरु भक्ति का कर्तव्य बोध कराते है ।यज्ञोपवीत संस्कार बिना – विद्या प्राप्ति, पाठ, पूजा, अथवा व्यापार करना सभी निर्थरक है । जनेऊ के तीन धागों में 9 लड़ होती है, फलस्वरूप जनेऊ पहनने से 9 ग्रह प्रसन्न रहेते है ।  

महिलाएं भी धारण कर सकती हैं जनेऊ

जनेऊ केवल पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी धारण कर सकती हैं। लेकिन उनको भी इसके नियमों का पालन करना जरूरी हैं। जन्म-मरण के सूतक के बाद इसे बदल देने की परम्परा है। महिलाओं को हर बार मासिक धर्म के बाद जनेऊ को बदल देना चाहिए । माना जाता है कि मासिक धर्म के दौरान जनेऊ अपवित्र हो जाती है। तो उसे धारण नहीं करना चाहिए।

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