2002 नरोदा पाटिया दंगा : गुजरात हाईकोर्ट ने तीनों दोषियों को सुनाई 10 साल की सज़ा

गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के कुछ डिब्बे जलाए जाने के बाद भड़के दंगे में नरोदा पाटिया में सबसे ज्यादा हिंसा वाले इलाकों में से एक हैं।

Update: 2018-06-25 08:46 GMT
अहमदाबाद : गुजरात के नरोदा पाटिया में साल 2002 दंगा केस में गुजरात हाई कोर्ट ने तीन दोषियों को 10 साल की सजा सुनाई है। इनके नाम उमेश सुराभाई भरवाड़, पदमेंन्द्र सिंह जसवंत सिंह राजपूत और राजकुमार उर्फ़ राजू गोपीराम चौमल है। इसके साथ ही, अदालत ने तीनों पर एक हज़ार रूपये का जुर्माना लगाया है।
गौरतलब है कि साल 2012 के एक फ़ैसले में तीनों दोषियों- पीजी राजपूत, राजकुमार चौमल और उमेश भरवाडॉ समेत 29 दूसरे को एसआईटी की विशेष अदालत ने बरी कर दिया था। लेकिन उसके बाद याचिकाओं की सुनवाई के दौरान गुजरात हाईकोर्ट ने इस साल 20 अप्रैल को इन तीनों को आगज़ानी करने और हिंसक भीड़ का हिस्सा बनने का दोषी पाया जबकि बाक़ी 29 लोगों को बरी कर दिया था।
गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के कुछ डिब्बे जलाए जाने के बाद भड़के दंगे में नरोदा पाटिया में सबसे ज्यादा हिंसा वाले इलाकों में से एक हैं।
आइये जानते हैं इस केस में अब तक क्या-क्या हुआ-
25 फरवरी 2002: अयोध्या से बड़ी तादाद में कारसेवक साबरमती एक्सप्रेस से अहमदाबाद जाने के लिए सवार हुए। 
27 फरवरी 2002: अहमदाबाद जाने के दौरान गोधरा पहुंची ट्रेन के कुछ डिब्बों में संदाहस्पद स्थिति में आग लगने से 59 कारसेवकों की जान चली गई।
28 फरवरी 2002: विश्व हिंदू परिषद ने गोधरा कांड के विरोध में गुजरात बंद का आह्वान किया। इसी दौरान भीड़ा का गुस्सा भड़क उठा ौर नरोदा पाटिया इलाक़े में हमला कर दिया। अहमदाबाद के नरोदा पाटिया में हुए दंगों में मुस्लिम समुदाय के 97 लोगों की मौत हुई थी और करीब 33 लोग घायल हुए थे।
-आरोप है कि इस भीड़ का नेतृत्व राज्य की बीजेपी सरकार में मंत्री रहीं माया कोडनानी ने किया था और बजरंग दल के नेता रहे बाबू बजरंगी इसमें शामिल थे। हालांकि, गुजरात हाईकोर्ट ने एसआईटी कोर्ट के फैसले को पलटते हुए माया कोडनानी को बरी कर दिया।
-2007 में एक स्टिंग ऑपरेशन में बाबू बजरंगी ने कथित तौर पर ये माना था कि वे दंगों में शामिल थे।
-2008 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच पुलिस की बजाय कोर्ट की गठित की गई कमिटी यानी स्पेशल जांच टीम करे।
-अगस्त 2009 में नरोदा पाटिया में हुए दंगे पर मुक़दमा शुरू हुआ और 62 आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप दर्ज किए गए।
- सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी की मौत हो गई। सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किए गए। इनमें पीड़ितों के अलावा डॉक्टर और पुलिस अधिकारी और सरकारी अधिकारी भी शामिल थे।
-29 अगस्त 2012 को कोर्ट ने नरोदा पाटिया दंगों के मामले में बाबू बजरंगी और माया समेत 32 लोगों को दोषी ठहाराया, जबकि 29 लोगों को आरोपमुक्त कर दिया।
-31 अगस्त 2012 को कोर्ट ने तत्कालीन विधायक और गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री कोडनानी को "नरोदा इलाके में दंगों की सरगना" क़रार दिया था और 28 साल क़ैद की सज़ा सुनाई थी। बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सज़ा और बाक़ी दोषियों को 21 सालों की सज़ा दी गई।
-20 अप्रैल 2018 को गुजरात हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फ़ैसले को पलटते हुए इस मामले में माया कोडनानी समेत 18 लोगों को बरी कर दिया।

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