निहत्थे किसानों पर हिसार में निर्मम लाठीचार्ज तथा जुल्म और ज्यादती ? सत्ता का क्रूर चेहरा एक बार फिर बेनकाब!
हिसार में मुख्यमंत्री का शांतिपूर्ण तथा प्रजातांत्रिक तरीके से विरोध कर रहे किसान साथियों का के साथ वहां की पुलिस ने बर्बरता पूर्वक बर्ताव करते हुए उन पर लाठियां बरसाई , रबर की गोलियों की बौछारें की है और आंसू गैस के गोले भी छोड़े हैं । वहां से प्राप्त सूचना के अनुसार कई किसान भाई गंभीर रूप से घायल हुए हैं। 6 महीने से गांधीवादी शांतिपूर्ण तरीके से चल रहे किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए सरकार हर तरह के हथकंडे अपना रही है। कोरोना की बीमारी का बहाना लेकर किसानों के आंदोलन को तोड़ने की कोशिश की जा रही हैं। हिसार में वहां की राज्य सरकार के इशारे पर पुलिस की इस हालिया ज्यादती के असली उद्देश्य को हम सब किसान संगठन भली-भांति समझ रहे हैं।
शांतिपूर्वक तथा प्रजातांत्रिक तरीके से विरोध कर रहे हमारे निहत्थे किसान भाइयों पर पुलिस की इस ज्यादती और जुल्म की जितनी भी निंदा की जाए कम है।हम सरकार को विनम्रता के साथ चेताना चाहेंगे कि, सरकार किसी मुगालते में ना रहे, हमारे किसान भाइयों पर बल प्रयोग करने से बाज आए। सभी किसान संगठन इस जोर-जुलुम के विरोध में हिसार के किसान साथियों के साथ एकजुटता और मजबूती से खड़े हैं । सरकार यह भली-भांति समझले कि, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाए जाने तथा इन तीनों कृषि कानूनों की समाप्ति तक हम हमारा शांतिपूर्ण आंदोलन यूं ही दिनों दिन परवान चलता रहेगा।
लेखक डॉ राजाराम त्रिपाठी अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा)