सरकार की लापरवाही से बने देश में हेल्थ इमरजेंसी के हालात!
मोदी जी, देश को 'मन की बात' की नहीं बल्कि ऑक्सीजन की जरूरत है!
देश के प्रधानमंत्री व मंत्रियों पर जनता की तो छोड़िए उनके परिवारों वालों को भी विश्वास नहीं रहा। देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के पति प्रख्यात अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि कोरोना ने सरकार की निष्ठुरता को दिखाया, वंचितों की मदद करने के जगह सरकार हेडलाइन्स मैनेजमेंट व अपनी पीठ थपथपाने में लगी रही। इसी कारण देश में कोरोना के कारण मौतों का आंकड़ा आसमान छू रहा है।
सरकार की कुनीतियों के कारण देश में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात हो गए हैं। इस महामारी में अब 1.80 लाख से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। संक्रमण और मौत के आंकड़े वास्तविकता से काफी कम हैं। पहले की तुलना में टेस्ट दर काफी घट गई है। कोविड अस्पतालों के बाहर एम्बुलेंस और संक्रमित लोगों की कतारें,श्मशान घाटों में एक साथ धधकती दर्जनों चिताएं, एक बेड पर कई मरीजों की तस्वीरों की सोशल मीडिया पर बाढ़ आई हुई है।
ऑक्सीजन व दवाइयों की कालाबाजारी चरम पर है। केंद्र व राज्य दोनों सरकारों से जनता का विश्वास उठ चुका है। सामाजिक संस्थाएं व व्यक्तिगत स्तर पर लोग एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। पूरी सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं की तरफ ध्यान न देकर चुनावी राजनीति पर अपना फोकस रखा, जिसकी कीमत देश की जनता चुका रही है। आज भारत विश्व में सबसे बुरी हालत में पहुंचा दिया गया है। प्रधानमंत्री की नाकामी का डंका विश्वभर में बज रहा है। सरकार की लापरवाहियों को ज्यादातर देशों ने प्रमुखता से उठाया है। देश से नागरिकों ने पीएम केयर फंड में जो अरबों रु भेजे उन्हें भी हड़प गए। इन्होंने आपदा को अवसर में बदलते हुए अपनी और अपने चहेतों की जेबें भरने का काम किया।