सावधान! होली के रंग खरीदने के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

आपको प्राकृतिक चीज जैसे गुलाब, हल्दी आदि लिखे दिखाई दें, तो कलर को लिया जा सकता है।

Update: 2020-03-07 10:54 GMT

नई दिल्ली। होली को अब कुछ ही दिन बचें हैं। ऐसे में हर कोई रंगों की मस्ती में डूबने को तैयार हैं। लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत लड़कियों को होती है। क्योंकि उन्हें रंगों से खेलना भी होता है और साथ ही अपनी खूबसूरत त्वचा का ख्याल भी रखना होता है। ऐसे में रंगों के त्योहार में सबसे ध्यान रखने वाली बात रंगों की ही है, यानी अपनी और अपने दोस्तों की सेफ्टी ध्यान रखने के लिए आपको केमिकल वाले रंग नहीं बल्कि हर्बल कलर का इस्तेमाल करना है लेकिन सबसे बड़ी चुनौती है कि नेचुरल कलर को चुनते हुए कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, जिससे कि दुकानदार हमें ठग न लें।

उसकी पैकजिंग को अच्छे से जरूर चेक करते हुए रंग को बनाने में उपयोग हुई सामग्रियों को पढ़ें। इसमें आपको प्राकृतिक चीज जैसे गुलाब, हल्दी आदि लिखे दिखाई दें, तो कलर को लिया जा सकता है।

आमतौर पर केमिकल वाले रंगों में स्पार्कल होता है, जिसकी वजह से केमिकल वाले रंग चटकीले लगते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप रंगों को हाथ में लेकर देखें कि उसमें स्पार्कल तो नहीं है। नेचुरल कलर हल्के होते हैं। डिब्बा बंद कलर्स के भी टेस्टर दुकान में अवेलेबल होते हैं। इन बॉक्स में मौजूद कलर्स को देखें और अंतर पहचानें। 

आपको इस बात पर हंसी आ सकती है लेकिन स्किन पैच टेस्ट करना बेहद जरूरी है। इससे आपको पता चल जाएगा कि किसी कलर का आपकी स्किन पर बुरा असर या इससे आपको कोई स्किन एलर्जी तो नहीं हो रही है।

आपको देखना चाहिए कि पैकेट पर किसी कलर की शेल्फ लाइफ या बेस्ट बिफोर डेट क्या लिखी हुई है। आमतौर पर नेचुरल कलर्स में प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए इसकी शेल्फ लाइफ 6-7 महीने ही होती है जबकि केमिकल वाले रंगों की शेल्फ लाइफ 2-3 साल तक होती है।

आपको शायद यह बात नहीं मालूम हो लेकिन ऑर्गेनिक कलर्स बनाने वाले निर्माता रंगों को लेकर किए गए टेस्ट की लैब टेस्ट सर्टिफिकेट नंबर को पैकजिंग पर मेंशन करते हैं। आप चाहें तो शॉप पर मौजूद कर्मचारी से इस नंबर को पाने और उसके बारे में जानकारी ले सकते हैं।

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