कर्नाटक के लेखक ने स्कूली किताबों में खुद की कृति शामिल करने से किया इनकार, ये है बड़ी वजह
दो प्रमुख लेखकों जी रामकृष्णा और देवानुर महादेवा के बाद अब एक और प्रोफेसर एसजी सिद्धारमैया ने भी पाठ्यपुस्तकों के लिए अपने कार्य को इस्तेमाल करने से मना कर दिया है।
दो प्रमुख लेखकों जी रामकृष्णा और देवानुर महादेवा के बाद अब एक और प्रोफेसर एसजी सिद्धारमैया ने भी पाठ्यपुस्तकों के लिए अपने कार्य को इस्तेमाल करने से मना कर दिया है। खबरों के अनुसार उन्होंने अपने लेखनी कार्य को कन्नड़ भाषा की कक्षा 9 की पाठ्यपुस्तक में इस्तेमाल करने से मना कर दिया है। बताया जा रहा है कि उन्होंने यह कदम प्रदेश में फैल रहे सांप्रदायीकरण के विरोध में उठाया है।
इसके साथ ही सिद्धारमैया ने राष्ट्रकवि डॉ. जीएस शिवारुद्रप्पा प्रतिष्ठान के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया है। उनके साथ ही इस संस्थान के सदस्यों डॉ. एसएन राघवेंद्र राव, डॉ. चंद्रशेखर नानगाली और डॉ. नटराज बुढ़ाल ने भी इस्तीफा दे दिया है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को अपना इस्तीफा भेजते हुए उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों में असंवैधानिक तरीके से जारी सांप्रदायिक उत्पीड़न पर अपना रोष जताया है। उन्होंने यह भी कहा है कि ऐसी घटनाओं से कर्नाटक का शैक्षण, सांस्कृतिक और राजनीतिक माहौल बिगड़ रहा है।
इन लेखकों और बुद्धिजीवियों ने कर्नाटक की लोकतांत्रिक और संघीय व्यवस्था पर हमला करने वाले घटकों के प्रति केन्द्र सरकार की निष्क्रियता और उदासीनता की भी निंदा की है।
आपको बता दें कि कर्नाट में चल रहे पाठ्यपुस्तक मूल्यांकन प्रक्रिया को 'अलोकतांत्रिक' और 'अनैतिक' बताते हुए लेखक जी रामकृष्ण और देवानुर महादेवा ने पिछले सप्ताह 10वीं की कन्नड़ पाठ्यपुस्तक में अपने कार्यों का उपयोग करने की अनुमति रद्द कर दी थी।