सिंधिया परिवार जब जब कांग्रेस से भिड़ा बुरी तरह हारा है
The Scindia family has been badly defeated whenever it has clashed with the Congress.
ग्वालियर: सिंधिया परिवार जब भी गांधी नेहरू परिवार से लड़ा है उसे हमेशा मात खाना पड़ी है। विजय राजे सिंधिया 1980 में रायबरेली लड़ने गई थीं इंदिरा गांधी से और हार कर वापस आई़ थीं। वे खुद उनके पति जयाजीराव सिंधिया बेटे माधवराव और पोते ज्योतिरादित्य तक सब कांग्रेस में रहे हैं।
दादी पोते ने धोखा भी दिया है। 1967 में विजयाराजे सिंधिया ने और अभी 3 साल पहले ज्योतिरादित्य ने। कांग्रेस के साथ विश्वासघात करने से पहले गांधी नेहरू परिवार ज्योतिरादित्य को अपने परिवार जैसा ही मानता था। परिवार के तीनों सदस्य सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका के पास ज्योतिरादित्य घर के लोगों की तरह कभी भी जा सकते थे। प्रियंका राहुल की तरह ज्योतिरादित्य को भी भाई की तरह स्नेह सम्मान देती थीं। मगर आज वे सिंधिया परिवार के घर ग्वालियर में घुसकर उन्हें चैलेंज करेंगी। प्रियंका के लिए यह पहला मौका नहीं है।
1999 के चुनाव में तो उन्होंने परिवार के अरुण नेहरू के खिलाफ बिगुल बजा दिया था। रायबरेली से कैप्टन सतीश शर्मा को उनके खिलाफ लड़ाया था। उस समय केवल 26-27 साल की प्रियंका के एक भाषण ने वहां माहौल बदल दिया था। प्रियंका ने कहा था कि जिस व्यक्ति ने मेरे पिता की पीठ में छुरा घोंपा है क्या आप उसे वोट देंगे? और वाजपेयी के PM रहते अरुण नेहरू चुनाव हार गए थे।
अब ग्वालियर चंबल संभाग में 34 सीटें हैं। जिनकी हार जीत ज्योतिरादित्य के भाजपा में महत्व का फैसला करेंगी। प्रियंका के वहां पहुंचने से भाजपा को जो नुकसान होगा वह तो होगा ही मगर सिंधिया के भाजपा में भविष्य पर जरूर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा। प्रियंका अपने कार्यक्रम की शुरुआत रानी लक्ष्मीबाई को श्रद्धांजलि के साथ शुरू करेंगी।
लक्ष्मीबाई का नाम आते ही सिंधिया परिवार बैकफुट पर चला जाता है। लोगों को झांसी की रानी के साथ उनका विश्वासघात याद आ जाता है। ग्वालियर में ही अंग्रेजों से लड़ते हुए उन्होंने प्राण न्योछावर किए थे। यहीं उनकी समाधि है।
अबकि जो वे लोकसभा चुनाव लड़ गए तो ज़मानत भी जब्त हो जाएगी क्योंकि भाजपा विरोधी लहर तो प्रदेश में है ही साथ ही उनकी धोखेबाजी को लेकर भी काफ़ी चर्चाएं हैं और वो भी उनके अपने क्षेत्र में।