कोरोना लॉकडाउन की दो दर्दनाक तस्वीर, भगवान ऐसा किसी के साथ न करे

खबर लिखे जाने तक उसे प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल पाई थी।

Update: 2020-04-15 05:46 GMT

इंदौर. लॉकडाउन के दौरान लोगों को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, इसे बयां करने वाली दो तस्वीरें सामने आई हैं। पहली मध्य प्रदेश के इंदौर की है और दूसरी गुजरात के राजकोट की। इंदौर में एक मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल पाई। परिजन उसे स्कूटी पर अस्पताल ले गए और रास्ते में ही मरीज की मौत हो गई। राजकोट में एक मां को अपने बीमार बेटे को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली। इसके बाद यह मां ठेले पर लिटाकर बेटे को अस्पताल ले गई।

10 दिन से बीमार 55 वर्षीय व्यक्ति की मौत

इंदौर के मरीमाता इलाके में रहने वाले 55 साल के पंडुराव चांदवे 10 दिन से बीमार थे। सोमवार को परिजन उन्हें लेकर एमवाई अस्पताल की ओपीडी में गए। एक्सरे और कुछ दवाएं देने के बाद उन्हें वापस घर भेज दिया गया। मंगलवार को पंडुराव की तबीयत बिगड़ गई। परिजन उन्हें क्लॉथ मार्केट अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां इलाज नहीं मिला तो परिजनों ने एंबुलेंस की मांग की। प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं हो पाई। परिजन स्कूटी पर मरीज को बैठाकर एमवाय पहुंचे। लेकिन, रास्ते में ही पंडुराव की मौत हो गई थी। परिजनों को ओपीडी के बाहर काफी देर इंतजार के बाद इस बात का पता तब चला, जब डॉक्टरों ने उन्हें इस बात की जानकारी मिली। स्कूटी पर बैठी महिला लगातार रो रही थी। पंडुराव का सैंपल कोरोना टेस्ट के लिए नहीं लिया जा सका है। उधर, एमवाय के ओपीडी इंचार्ज डाॅ. ए.डी. भटनागर ने कहा कि ओपीडी में यह मरीज नहीं आया। सोमवार को जिन मरीजों के सैंपल लिए गए थे, उनमें इनका नाम नहीं था। 

राजकोट: बीमार बेटे को ठेले पर लेकर दर-दर भटकी मां

जेतपुर इलाके में एक विधवा मां को अपने बीमार बेटे को हॉस्पिटल ले जाने के लिए हाथ ठेले का सहारा लेना पड़ा। एंबुलेंस के लिए इस मां ने 108 पर कई बार फोन किया, पर उसे मदद नहीं मिली। इसके बाद वह हाथ ठेले पर बेटे को लिटाकर तेज धूप में अस्पताल के लिए निकली। अस्पताल पहुंचने पर भी उसे मुश्किल का सामना करना पड़ा। बेटे को जूनागढ़ रेफर कर दिया गया। यहां भी एंबुलेंस की मदद नहीं मिली। यह मां रोने लगी, क्योंकि बेटे को किराए की गाड़ी से ले जाने के लिए उसके पास पैसे भी नहीं थे। खबर लिखे जाने तक उसे प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल पाई थी।

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