महाराष्ट्र सरकार का फैसलाः घर जा सकेंगे प्रवासी मजदूर, चीनी मिल मालिकों की होगी जिम्मेदारी

सरकार ने लॉकडाउन के बीच चीनी मिल के एक लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को अपने-अपने गांव लौटने की अनुमति देने का फैसला किया है.

Update: 2020-04-19 07:11 GMT

महाराष्ट्र के चीनी मिलों के प्रवासी मज़दूरों के लिए अब एक राहत की खबर है. राज्य सरकार ने अब ये फैसला किया है कि राज्य में 1 लाख 30 हज़ार से ज्यादा चीनी मिलों में काम करने वाले मज़दूरों को उनके घर भेजा जाएगा.

दरअसल, लॉकडाउन के चलते ये मज़दूर चीनी मिलों में जहां काम करते थे, वहां फंसे हुए है और अपने-अपने-घर जाना चाहते हैं. राज्य सरकार ने इन्हें अपने घर जाने की अनुमति दी है, लेकिन ये पूरी जिम्मेदारी चीनी मिल का मालिकों की होगी. उन्हें ही इन मज़दूरों के घर पहुंचाने की व्यवस्था करनी होगी. साथ ही उस ज़िले के प्रशासन को भी इस बात की सूचना देनी होगी, जहां ये मज़दूर भेजे जाएंगे. इसी के साथ इन मज़दूरों का मेडिकल टेस्ट (Medical test) भी कराना होगा. साथ ही गांव के सरपंच को भी जानकारी देनी होगी और समय-समय पर उन्हें भी जरूरत पड़ने पर इन मज़दूरों का टेस्ट कराना होगा.

महाराष्ट्र सरकार ने लॉकडाउन के बीच चीनी मिल के एक लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को अपने-अपने गांव लौटने की अनुमति देने का फैसला किया है. लेकिन पहले उनकी कोरोनावायरस संक्रमण की जांच कराई जाएगी. यह जानकारी राज्य के सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे ने दी.



मुंडे ने मराठी भाषा में ट्वीट कर कहा, 'चीनी मिलों में काम करने वाले मेरे भाइयों, आपके लिए एक अच्छी खबर है! आप अब अपने गांव लौट सकते हैं. सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी किया है."

बयान में कहा गया है कि चीनी मिल के मालिकों को इन मजदूरों और उनके परिजनों की जांच करानी होगी. सरकार के इस फैसले से बीड और अहमदनगर के मजदूरों को फायदा होगा जो पश्चिमी महाराष्ट्र, कर्नाटक से लगे सीमावर्ती क्षेत्रों और राज्य के अन्य हिस्सों में फंसे हुए हैं.

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