अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी बचाने को केंद्र सरकार ने कवायद शुरू कर दी है. उद्धव ठाकरे के प्रधानमंत्री के साथ बातचीत और राज्यपाल की अपील का असर शुरू हो गया है. महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर राज्य विधान परिषद की 24 अप्रैल को खाली हुई नौ खाली सीटों पर शीघ्र चुनाव कराने का आग्रह किया है.
28 मई तक उद्धव अगर किसी भी सदन के सदस्य नहीं बने तो उनकी कुर्सी चली जाएगी. सीएम हटे तो सरकार का गिरना तय है. राज्यपाल द्वारा आयोग को लिखे गए पत्र में आग्रह किया है कि लॉक डाउन की गाइडलाइन और राज्य की विषम परिस्थिति के मद्देनजर स्थिर सरकार जरूरी है. ऐसे में विधान परिषद के लिए चुनाव कराना ज्यादा उचित होगा.
किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे फिलहाल किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. 27 मई तक अगर वो किसी भी सदन के सदस्य नहीं बनते तो 28 मई को सरकार संकट में आ जाएगी. संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक उन्हें इस्तीफा देना होगा. लेकिन चुनावी कार्यक्रम जारी होने के बाद भी कानूनी लफड़े बने हुए हैं.
दूसरों के पास क्या हैं कानूनी विकल्प?
कानून के जानकारों की मानें तो विधान परिषद का चुनाव कोई निर्दलीय भी लड़ सकता है लेकिन नामांकन का पर्चा दाखिल करने के लिए उसे कम से कम दस विधायकों का समर्थन पत्र देना होता है.
ऐसे में कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है कि वो लॉकडाउन के दौरान विधायकों से सम्पर्क नहीं कर पा रहा है. लिहाजा या तो उसे इस संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए लॉकडाउन में छूट मिले ताकि वो यात्रा कर विधायकों से मिल सके, या फिर लॉकडाउन समाप्त होने तक चुनाव टाले जाएं. सूत्रों के मुताबिक याचिका दाखिल होने को बस तैयार ही है. यानी कोरोना का अखाड़ा उठने से पहले ही राजनीतिक अखाड़ा जम जाएगा.