कोरोना 'काल' में सियासी संकट, BJP का दामन छोड़कर CM बने उद्धव की कुर्सी खतरे में!

मनोनीत एमएलसी के लिए कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा पृष्ठभूमि वाला होना जरूरी है, तब जाकर अपने विवेक से राज्यपाल सदस्यों को मनोनीत करते हैं.

Update: 2020-04-27 16:13 GMT

मुंबई: लॉकडाउन (Lockdown) के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के सामने बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है. इस संकट के चलते उनकी सीएम की कुर्सी पर भी संकट मंडराने लगा है. महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने सोमवार विधानपरिषद की खाली एक सीट पर उद्धव को एमएलसी मनोनीत करने राज्यपाल के लिए भगत सिंह कोश्यारी से दोबारा सिफारिश की है. ठाकरे अब तक किसी भी सदन के सदस्य नहीं बन सके हैं. महाराष्ट्र कैबिनेट ने कोरोना संक्रमण से उत्पन्न मौजूदा स्थिति का हवाला देते हुए जल्द मनोनीत करने की राज्यपाल को दोबारा सिफारिश भेजी है. देखना है कि राज्यपाल इस पर क्या निर्णय लेते हैं.

ठाकरे ने 28 नवंबर को एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाकर प्रदेश में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई थी. इस लिहाज से मुख्यमंत्री कुर्सी पर बने रहने के लिए उद्धव ठाकरे को 28 मई तक प्रदेश के किसी भी सदन की सदस्यता हासिल करनी होगी. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(4) के तहत किसी भी सदन से जुड़े ना होने के बावजूद भी कोई भी शख्स 6 महीने तक मंत्रिमंडल में मंत्री या मुख्यमंत्री पद पर बने रह सकता है. और अब इन बदले राजनीति माहौल में ठाकरे को 28 मई तक किसी भी एक सदन का सदस्य बनने की संवैधानिक बाध्यता है अन्यथा उन्हें मुख्यमंत्री कुर्सी छोड़नी पड़ेगी.

दरअसल, महाराष्ट्र में बीते 26 मार्च को प्रदेश में 9 विधानपरिषद सीटों पर चुनाव होना था लेकिन सूबे में कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे की वजह से चुनाव अनिश्चितकाल के लिए टाल दिए गए. महाराष्ट्र कैबिनेट ने 9 अप्रैल को भी महाराष्ट्र के गवर्नर को उद्धव ठाकरे को एमएलसी मनोनीत करने की सिफारिशी चिठ्ठी राजभवन को भेजी थी.भारतीय संविधान के अनुच्छेद 171 के तहत राज्यपाल को कुछ निश्चित संख्या में विधान परिषद में सदस्यों को मनोनीत करने का संवैधानिक अधिकार हासिल है. मनोनीत एमएलसी के लिए कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा पृष्ठभूमि वाला होना जरूरी है, तब जाकर अपने विवेक से राज्यपाल सदस्यों को मनोनीत करते हैं.

एनसीपी के विधायकों के इस्तीफे की वजह से दो सीटें खाली हुई थीं जो पिछले साल के विधानसभा चुनावों से ऐन पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे. ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करने को लेकर महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है और इन दोनों नामांकित एमएलसी के कार्यकाल 6 जून को समाप्त हो रहे हैं. राजभवन की खामोशी को लेकर मुख्यमंत्री ठाकरे अगुवाई वाले गठबंधन महा विकास आघाडी की चिंता बढ़ गई है.

महाराष्ट्र के पूर्व राजस्व मंत्री और सूबे के बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने ये कहकर और सियासी सस्पेंस बढ़ा दिया है कि राजभवन वक्त आने पर अपना निर्णय लेता है और राज्य सरकार को विधान परिषद सीट पर सीएम उद्धव ठाकरे को मनोनीत करवाने की जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए. पिछले दिनों शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट कर राजभवन पर ये कहकर तंज कसा था कि राजभवन को राजनीति का केंद्र न बनने दिया जाए.

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