महाराष्ट्र में खत्म होती मुस्लिम राजनीतिक भागीदारी? पढिए कितनी विधानसभा सीटों पर कितनी संख्या में मुस्लिम आबादी

Muslim political participation ending in Maharashtra

Update: 2023-12-05 07:49 GMT


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महाराष्ट्र में खत्म होती मुस्लिम राजनीतिक भागीदारी?

महाराष्ट्र की राजनीति का देश की राजनीति पर सीधा असर होता है। 288 विधानसभा सीटों के साथ देश की सबसे बड़ी विधानसभाओं में शामिल महाराष्ट्र असेंबली अपनी मराठा राजनीति के लिए मशहूर है। लोकसभा में 48 सीटों के साथ केंद्र की राजनीति भी कहीं न कहीं महाराष्ट्र के इर्द गिर्द घूमती है।

वैसे कहने को तो अधिकतर राज्यों में दो पार्टी पॉलिटिक्स चलती है मगर महाराष्ट्र में राजनीति के कई छोर हैं। यहां की मुख्य राष्ट्रीय पार्टियों की बात करें तो भाजपा और कांग्रेस उसमें शामिल हैं। एनसीपी और शिवसेना राज्य स्तर की वो दो प्रमुख पार्टियां हैं जो हमेशा सत्ता के केंद्र बिंदु बनी रहती हैं। वो अलग बात के कि हालिया समय में आपसी फूट और बगावत की वजह से दोनों की पार्टियों के टुकड़े हो चुके है। जहां एक तरफ शिवसेना उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गट में बंट चुकी हैं। वहीं एनसीपी भी शरद पवार और अजीत पवार गुट में बंट चुकी है।

बीजेपी:

अगर मुस्लिम राजनीति के बात करूं तो भाजपा सीधे तौर पर मुस्लिम विरोध की राजनीति करती है। जिसके तहत वो विधानसभा लोकसभा चुनावों में मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में नहीं उतारती है। कांग्रेस सरकार के समय मुसलमानों को शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए 5% आरक्षण को भी खत्म कर दिया था।

शिवसेना:

कभी हिंदुत्व की सबसे बड़ी झंडा वाहक और मराठा राजनीती का केंद्र रही शिव सेना कुछ समय पहले अपने पुराने सहयोगी भाजपा से अनबन के बाद सेकुलर पार्टी बन चुकी है। नवंबर 2019 में कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन के साथ शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी बने थे।

कांग्रेस:

कांग्रेस को महाराष्ट्र की राजनीति में मुसलमानों की स्वाभाविक पसंद माना जाता है। ज्यादातर मुस्लिम विधायक और सांसद कांग्रेस पार्टी की तरफ से ही बने है। AIMIM की एंट्री से पहले सब से ज्यादा मुसलमानों को चुनावी मैदान में उतारने का काम भी कांग्रेस पार्टी ही करती थी। पृथ्वीराज चौहान की सरकार में मुसलमानों को शिक्षा के लिए 5 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया था। कांग्रेस ने ही 9 जून 1980 को महाराष्ट्र का पहला और एकलौता मुस्लिम मुख्यमंत्री अब्दुल रहमान अंतुले के रूप में दिया था।

एनसीपी:

महाराष्ट्र की राजनीति की सबसे अहम पार्टी जो सीधे तौर पर मराठाओं की राजनीति को अपना केंद्र बिंदु मानती है वो है शरद पवार की एनसीपी। एक समय में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर चुकी एनसीपी अपनी स्थापना से ही 17-22 फीसदी वोट शेयर हासिल करती आ रही है। मुसलमानों की पसंद के मामले में एनसीपी भी एक अहम स्थान रखती है मगर टिकट बंटवारे में कांग्रेस के मुकाबले हमेशा कमतर रहती है।

AIMIM:

भले ही मुसलमानों ने परंपरागत रूप से कांग्रेस-एनसीपी के लिए वोट दिया है, लेकिन यह समुदाय कांग्रेस-बीजेपी-एनसीपी से खुद को अलग करने की कोशिश भी कर रहा है। कांग्रेस-एनसीपी के साथ राजनीतिक असंतोष और मोहभंग की बढ़ती भावना की वजह से मुस्लिमों को हालिया दो चुनावों में राजनीतिक विकल्प के रूप में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की तरफ झुकाव किया है।

AIMIM के विधानसभा चुनाव 2014 और 2019 में दो-दो विधायक चुन कर विधानसभा पहुंचे थे। लोकसभा चुनाव 2019 में AIMIM के इम्तियाज़ जलील चुनाव जीत लोकसभा पहुंच चुके हैं। इसके अलावा लोकल बॉडी में AIMIM के कई पार्षद भी हालिया चुनावों में जीत कर आ रहे हैं।

समाजवादी पार्टी:

मुस्लिम राजनीती में समाजवादी पार्टी का भी राज्य की राजनीती में अहम रोल है। अबू आसिम आज़मी की अगुआई में मौजूदा समय में पार्टी में दो विधायक विधानसभा में नुमाइंदगी करते हैं। विधानसभा चुनाव 2009 में सपा के प्रदेश में 4 विधायक चुने जा चुके हैं।

मुस्लिम आबादी:

महाराष्ट्र की राजनीति में मुसलमानों की भागीदारी के मुद्दे पर राजनीतिक हलकों में कई थ्योरी काम करती हैं मगर हक़ीक़त इससे एक दम ही विपरीत है। मोटे तौर पर बात करें तो 2011 की जनगणना के हिसाब से 11 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले इस राज्य में 11.54% (लगभग 1.5 करोड़) आबादी मुस्लिम समुदाय की है।

महाराष्ट्र के लगभग हर जिले में एक ठीक ठाक मुस्लिम समुदाय की उपस्थिति है। उत्तरी कोंकण, खानदेश, मराठवाड़ा और पश्चिमी विदर्भ में मुसलमानों की संख्या अधिक है। मुस्लिम समुदाय करीब 40 विधानसभा क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसमें मुंबई की सीटें भी शामिल हैं।

SrReligion2011%
1Hinduism89,703,05779.83
2Islam12,971,15211.54
3Buddhism6,531,2005.81
4Jainism1,400,3491.25
5Christianity1,080,0730.96
6Sikhism223,2470.2
7Other178,9650.17
8Not stated286,2900.25
Total112,374,333100%

महाराष्ट्र के जिलों में मुस्लिम आबादी

SrDistrictMuslim PopulationMuslim %
1Ahmadnagar320,7437.06
2Akola357,25319.7
3Amravati421,41014.59
4Aurangabad786,67721.25
5Bhandara26,5022.21
6Beed320,39512.39
7Buldhana354,23613.7
8Chandrapur92,2974.19
9Dhule187,9019.16
10Gadchiroli21,0631.96
11Gondia26,1571.98
12Hingoli127,55210.83
13Jalgaon560,26113.25
14Jalna274,22114
15Kolhapur286,5587.39
16Latur367,66414.98
17Mumbai City773,17325.06
18Mumbai Suburban1,795,78819.19
19Nagpur390,9748.4
20Nanded471,95114.04
21Nandurbar96,1825.84
22Nashik693,05211.35
23Osmanabad178,92510.79
24Palghar172,1855.76
25Parbhani306,36416.69
26Pune673,7047.14
27Raigad227,4658.64
28Ratnagiri187,19711.59
29Sangli239,6078.49
30Satara146,9704.89
31Sindhudurg26,2643.09
32Solapur441,25410.22
33Thane1,183,44514.66
34Wardha53,8544.14
35Washim142,67211.92
36Yavatmal239,2368.63

महाराष्ट्र की लोकसभा की राजनीति

प्रदेश की 48 लोकसभा में से 4 सीटें मुस्लिम केंद्रित है जहां पर 21-30 फीसदी मुस्लिम मतदाता राजनीतिक तौर पर निर्णायक हैं। 7 सीटें ऐसी भी हैं जहां मुस्लिम मतदाता 15 से 20 फीसदी है जो चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा 11-15% मुस्लिम मतदाता वाली 11 सीटें भी महाराष्ट्र की राजनीति में अहम है।

अगर इनसे इतर बाकि सीटों की बात करूँ तो लगभग सभी सीटों पर 5 से 10 फीसदी मुस्लिम मतदाता मौजूद हैं। इतना निर्णायक स्थिति में होने के बावजूद लोकसभा में प्रदेश की 48 सीटों में से केवल औरंगाबाद सीट AIMIM के इम्तियाज़ जलील इकलौते मुस्लिम सांसद हैं।


अभी तक महाराष्ट्र से चुने गए मुस्लिम सांसद:

  1. Muhammed Mohibbul Haq (Akola, 1962)
  2. Samadali Sayyad (Jalgaon, 1967)
  3. KM Asghar Hussain (Akola, 1967, 1971)
  4. Abdul Salebhoy (Mumbai, 1971)
  5. Abdul Shafee (Chandrapur, 1971)
  6. Ghulam Nabi Azad (Washim, 1980, 1984)
  7. Qazi Saleem (Aurangabad, 1980)
  8. Hussain Dalwai (Ratnagiri, 1984)
  9. Abdul Rehman Antulay (Raigad, 1989, 1991, 1996, 2004)
  10. Imtiyaz Jaleel (Aurangabad, 2019)




 

महाराष्ट्र के एकलौते मुस्लिम मुख्यमंत्री

महाराष्ट्र की राजनीती में भी इंदिरा गांधी के बेहद करीबी और उनके प्रति निष्ठा की कसमें खाने वाले अब्दुल रहमान अंतुले 1976 से 1980 के बीच इंदिरा गांधी के बेहद खराब काल में राज्यसभा सदस्य रहे और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भी। इसी का फल था कि वह जून 1980 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनाए गए। बागी स्वभाव और विवादों के शहंशाह माने जाने वाले अंतुले रायगढ़ से सांसद रहने के साथ 14 वीं लोकसभा में डॉ.मनमोहन सिंह सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाए गए थे। अब्दुल रहमान अंतुले 09 जून 1980 से 12 जनवरी 1982 तक महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं।

अब्दुल रहमान अंतुले का जन्म महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के अम्बेत नामक गाँव में हुआ था। आपके पिता का नाम हाफिज अब्दुल ग़फूर औरे वालिदा माजिदा का नाम ज़ोहरबी था। आपने नरगिस अंतुले से शादी की और आपका एक बेटा और तीन बेटियाँ हैं। अंतुले ने अपनी पढ़ाई बॉम्बे यूनिवर्सिटी और लिंकन यूनिवर्सिटी लन्दन से की थी।


रहमान अंतुले साल 1962 से 1976 तक महाराष्ट्र असेंबली के मेम्बर रहे। इसी बीच वह State for Law and Judiciary के पद पर भी रहे। बाद में वह Ports and Fisheries के पद पर भी तैनात रहे। उसके बाद वह 1976-1980 के बीच राज्यसभा के मेम्बर भी बने थे। एक बार फिर वह महाराष्ट्र विधान सभा के लिए चुने गए और जून 1980 से जनवरी 1982 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। भ्रष्टाचार के आरोपों और जबरन वसूली मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।

वह 1985 में फिर से महाराष्ट्र विधान सभा के चुनाव में फिर से निर्वाचित हुए और 1989 तक बने रहे, जब वह 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1991 में वे 10वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए। जून 1995 से मई 1996 तक, वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री थे, और फरवरी से मई 1996 तक वे जल संसाधन के अतिरिक्त प्रभारी थे। 1996 में वह 11वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए और 2004 में वह 14वीं लोकसभा के लिए चुने गए। वह मनमोहन सिंह की सरकार के तहत अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय (भारत) के केंद्रीय मंत्री थे।


भ्रष्टाचार में संलिप्तता के आरोपों के कारण उन्हें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। हालाँकि, वर्षों बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया। इन आरोपों को उन्हें बदनाम करने और उनके राजनीतिक विकास को रोकने की राजनीतिक चाल के रूप में देखा जाता रहा है। सुप्रीम कोर्ट से बरी होने पर उन्होंने कहा, “मैंने कुछ भी गलत नहीं किया। मुझे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने निशाना बनाया लेकिन वे असफल रहे। मुझे कुछ झटके लगे, लेकिन वे मुझे ख़त्म नहीं कर सके।”

अंतुले की 2 दिसंबर 2014 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में इलाज के दौरान क्रोनिक किडनी फेलियर से मृत्यु हो गई।

महाराष्ट्र विधानसभा

महाराष्ट्र विधानसभा जो देश की सबसे बड़ी विधानसभाओं में शुमार होती है इसके बावजूद वहां भी मुस्लिम राजनीतिक भागीदारी आबादी के अनुपात में बेहद कम है। 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में मौजूदा समय में केवल 10 मुस्लिम विधायक हैं। जबकि आबादी के हिसाब से कम से कम 30 मुस्लिम विधायक विधानसभा में होने चाहिए थे।

महाराष्ट्र असेंबली 2019 में मुस्लिम विधायक:

SrNameAssemblyPolitical PartyMuslim %
1.Amin PatelMumba DeviCongress51%
2.Aslam ShaikhMalad WestCongress28%
3.Zeeshan SiddiquiVandre EastCongress33%
4.Hasan Mushrif KagalNCP3.4%
5.Nawab MalikAnushakti NagarNCP29%
6.Abu Asim Azmi Mankhurd Shivaji NagarSP53%
7.Rais ShaikhBhiwandi EastSP48%
8. Abdul SattarSillodShiv Sena20%
9.Mufti Ismail QasmiMalegaon CentralAIMIM77%
10Shah Faruq AnwarDhule CityAIMIM22%


 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 हारने वाले प्रमुख मुस्लिम उम्मीदवार:

SrNameAssemblyPolitical PartyMuslim %
1.Arif Naseem KhanChandivaliCongress27.6%
2.Waris PathanBycullaAIMIM41.3%
3.Muzaffar HussainMira BhayandarCongress17%
4.Shoeb Khan Bhiwandi WestCongress47.9%
5.Sajid Khan Akola WestCongress40.9%
6.Haji Farooq MaqboolSolapur City CentralAIMIM24.5%
7.Feroz LalaNanded NorthAIMIM23.2%
8. Abu Altamash FaiziMumbra-KalwaAAP43.5%
9.Dr Gaffar QadriAurangabad EastAIMIM37.1%
10Naseeruddin SiddiquiAurangabad CentralAIMIM38.2%

महाराष्ट्र असेंबली 2014 में मुस्लिम विधायक:

SrNameAssemblyPolitical PartyMuslim %
1.Amin PatelMumba DeviCongress51%
2.Aslam ShaikhMalad WestCongress28%
3.Nasim KhanChandivaliCongress28%
4.Abdul SattarSillodCongress20%
5.Shaikh AasifMalegaon CentralCongress77%
6.Abu Asim Azmi Mankhurd Shivaji NagarSP53%
7.Hasan Mushrif KagalNCP3.4%
8. Waris PathanBycullaAIMIM41%
9.Imtiyaz JaleelAurangabad CentralAIMIM38%
10Syed Pasha PatelAusaBJP12%

महाराष्ट्र की विधानसभा सीटों पर मुस्लिम समीकरण

विधानसभा सीटें जहां मुस्लिम मतदाता 50% से ज्यादा हैं:

जब आप विधानसभा सीटों को जरा गहरायी से देखेंगे तो समझ आयेगा कि 288 सीटों में 109 सीटें ऐसी है जहां मुस्लिम मतदाता 10% से ऊपर हैं। सीधे तौर पर 4 विधानसभा सीटें तो ऐसी है जो पूर्ण रूप से मुस्लिम बहुल है जहां मुस्लिम मतदाता 50 फीसदी से ज्यादा है। जीते हुए 10 विधायकों में से 4 विधायक इन्हीं सीट से हैं।

  1. मालेगांव मध्य महाराष्ट्र विधानसभा की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली विधानसभा सीट है। इस सीट पर 77 फीसदी मतदाता मुस्लिम समुदाय से सम्बंधित हैं। विधासनभा चुनाव 2019 में AIMIM के टिकट पर मुफ़्ती मुहम्मद इस्माइल यहां से 58% वोट (117242) हासिल कर के जीते थे। वो इसी सीट से 2009 में भी जन सुराज्य शक्ति पार्टी से विधायक रह चुके हैं। विधानसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस प्रत्याशी शेख आसिफ रशीद इस सीट से चुनाव जीते थे।
  1. मानखुर्द शिवाजी नगर सीट महाराष्ट्र विधानसभा की दूसरी मुस्लिम बहुल सीट है जहां मुस्लिम मतदाता 53% हैं। इस सीट को आप समाजवादी पार्टी का गढ़ या अबु आसिम आज़मी की परंपरागत सीट भी कह सकते है। पिछले तीन विधानसभा चुनाव से अबु आसिम आज़मी लगातार इस सीट से विधायक चुने जा रहे हैं।
  1. मुंबा देवी विधानसभा भी महाराष्ट्र की मुस्लिम बहुल सीटों में शुमार होती है। यहां का 51% मतदाता मुस्लिम समुदाय से सम्बंधित है। 2009 के परिसीमन के बाद से ही इस सीट से लगातार कांग्रेस के दिग्गज नेता अमीन पटेल विधायक चुने जा रहे हैं। इस सीट को महाराष्ट्र के ताकतवर खोजा मुस्लिम समुदाय से संबंध रखने वाले अमीन पटेल की परंपरागत सीट भी कहा जा सकता है।
  1. भिवंडी पूर्व विधानसभा सीट भी महाराष्ट्र की मुस्लिम बहुल सीटों में शुमार होती है। इस सीट को भी आप समाजवादी पार्टी का गढ़ कह सकते हैं। विधानसभा चुनाव 2019 में यहां से सपा के रईस शेख चुनाव जीत विधायक बने हैं। 2014 के चुनाव में मुस्लिम वोट के सपा, AIMIM और कांग्रेस में बंटवारे की वजह से यहां से शिव सेना चुनाव जीत गयी थी। विधानसभा चुनाव 2009 में जब अबु आसिम आज़मी दो जगह से चुनाव जीते थे तो उसमें एक सीट ये भिवंडी पूर्व भी थी।
SrAssembly ConstituencyMuslim %
1Malegaon Central76.8
2Mankhurd Shivaji Nagar53
3Mumba Devi50.7
4Bhiwandi East50.6


 विधानसभा सीटें जहां मुस्लिम मतदाता 40-50% हैं:

इसके बाद विधानसभा की 5 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाता 40 से 50 फीसदी है। भिवंडी पश्चिम, अमरावती, मुंब्रा-कलवा, भायखला, अकोला पश्चिम वो विधानसभा सीटें है जहां मुस्लिम आबादी निर्णायक स्थिति में हैं। इन पांच सीटों पर अधिकतर समय यही देखा जाता है कि तमाम सेकुलर पार्टियां मुस्लिम बहुल सीट के बावजूद मुस्लिम प्रत्याशी को चुनावी मैदान में नहीं उतारती हैं।

  1. भिवंडी पश्चिम से पिछले दो चुनाव से भाजपा जीत रही है। 2019 के चुनाव में निर्दलीय और कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशी में वोट का बंटवारा होने की वजह से भाजपा उम्मीदवार आसानी से जीत गया था। 2009 में समाजवादी पार्टी के अब्दुल रशीद यहां से विधायक रह चुके हैं।
  1. मुस्लिम बहुल होने के बावजूद अमरावती विधानसभा सीट पर अधिकतर सेकुलर पार्टियां मुस्लिम उम्मदीवार को चुनावी मैदान में नहीं उतारती हैं। फिलहाल यहां से कांग्रेस की सुलभा संजय खोडके विधायक हैं।
  1. एक और मुस्लिम बहुल सीट मुम्ब्रा कलवा विधानसभा सीट जिसको एनसीपी के कद्दावर नेता आव्हाड जितेंद्र सतीश की परंपरागत सीट भी माना जाता है वहां भी मुस्लिम प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारने से कतराती है। पिछले तीन चुनाव से जितेंद्र अव्हाड़ लगातार इस सीट से विधायक चुने जा रहे है।
  1. इसी प्रकार भायखला विधानसभा सीट पर भी मुस्लिम बहुल होने के बावजूद सेकुलर पार्टियों ने मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट देने के मामले में राजनीतिक सूखाग्रस्त किया हुआ है। 2014 में AIMIM के वारिस पठान पहली बार इस सीट से मुस्लिम विधायक बने थे मगर 2019 के चुनाव में वो एक बड़े मार्जिन से चुनाव हार गए।
  1. अकोला पश्चिम भी एक मुस्लिम बहुल सीट है जहां से भाजपा के गोवर्धन मांगीलाल शर्मा तीन बार विधायक चुने गए हैं। 2019 के चुनाव में कांग्रेस के साजिद खान भाजपा उम्मीदवार से केवल 2593 वोटों से चुनाव हारे थे। अगर इससे पहले के चुनाव की बात करें तो यहां भी मुस्लिम प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारने पर राजनीतिक पार्टियां आनाकानी करती थी।
SrAssembly ConstituencyMuslim %
1Bhiwandi West47.9
2Amravati46
3Mumbra-Kalwa43.5
4Byculla41.3
5Akola West41

विधानसभा सीटें जहां मुस्लिम मतदाता 30-40% हैं:

जब आप 30-40% मुस्लिम आबादी वाली सीटों की बात करेंगे तो ऐसी 6 विधानसभा सीटें मौजूद हैं। मगर परिसीमन के नाम पर इनमें से दो सीटों धारावी और कुर्ला को दलित आरक्षित कर दिया गया है। परिसीमन के इस खेल के चक्कर में वहां से मुसलमानों का चुनाव जीतना तो दूर चुनाव लड़ने पर भी पाबंदी लग चुकी है। इसके अलावा 2 सीटों औरंगाबाद मध्य और पूर्व मुस्लिम प्रत्याशी रनर अप रहे हैं। मौजूदा समय में इन 6 सीटों में से केवल वांद्रे ईस्ट की सीट से कांग्रेस के ज़ीशान सिद्दीकी विधायक हैं।

  1. औरंगाबाद मध्य एक ऐसी विधानसभा सीट है जहां मुस्लिम और दलित समीकरण चुनाव में जीत की गारंटी होती है। इस सीट पर 38.2% मुस्लिम मतदाता के साथ 19 फीसदी दलित मतदाता चुनावी राजनीती में अहम भूमिका निभाता है। इस सीट से 2014 विधानसभा चुनाव में AIMIM के मौजूदा सांसद इम्तियाज़ जलील विधायक चुने जा चुके हैं। मौजूदा समय में इस सीट से शिव सेना के प्रदीप जैसवाल विधायक हैं।
  1. औरंगाबाद मध्य की तरह ही औरंगाबाद पूर्व भी मुस्लिम दलित चुनावी समीकरण वाली एक विधानसभा सीट है। यहां पर 37% मुस्लिम मतदाता के साथ 17% दलित मतदाता भी चुनावी गणित में अहम भूमिका निभाता है। AIMIM के डॉ अब्दुल गफ्फार क़ादरी पिछले दो चुनाव में बहुत कम मार्जिन से भाजपा प्रत्याशी से चुनाव हार रहे हैं। आगामी समय में एक अच्छा चुनावी समीकरण इस सीट से भी मुस्लिम विधायक चुने जाने का सबब बन सकता है।
  1. मुंबई सब अर्बन जिले के तहत आने वाली वर्सोवा विधानसभा सीट पर भी मुस्लिम मतदाता चुनावी राजनीती में सबसे अहम भूमिका रखते हैं। इस सीट के 34% वोटर मुस्लिम समुदाय से हैं। हैरानी की बात ये है कि 1 लाख मुस्लिम मतदाता के बावजूद यहां से सेकुलर राजनीतिक पार्टियां यहां से मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट देने में आनाकानी करती हैं। विधानसभा चुनाव 2014 में AIMIM के अब्दुल हमीद ने इस सीट से 17% वोट शेयर हासिल कर के राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी थी।
  1. वांद्रे ईस्ट सीट पर भी मुस्लिम चुनावी राजनीती में अहम भूमिका में हैं। यहां से 33% मुस्लिम मतदाता किसी भी प्रत्याशी को चुनाव में जिताने और हराने की ताकत रखते हैं। मौजूदा समय में यहां से कांग्रेस के ज़ीशान सिद्दीकी विधायक हैं। विधानसभा चुनाव 2014 में इस सीट पर AIMIM ने लगभग 20% वोट शेयर हासिल किया था जिसने सेकुलर पार्टियों को सकते में डाल दिया था। वजह स्पष्ट थी कि वर्सोवा सीट की तरह ही ये पार्टियां यहां से भी अधिकतर समय मुस्लिम प्रत्याशी को चुनावी मैदान में नहीं उतारती हैं।
  1. कुर्ला सीट की बात करें तो समझ आएगा कि 31% मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद इस सीट को 2009 परिसीमन में दलित आरक्षित कर दिया गया था। जिसने यहां की मुस्लिम राजनीति को पूर्ण रूप से खत्म का कर दिया है। 2009 से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता आरिफ नसीम खान यहां से विधायक चुने जाते रहे हैं। आरक्षित सीट होने के बाद उन्हें चांदीवली सीट पर चुनाव लड़ने के लिए जाना पड़ा था। पिछले दो चुनाव से यहां से शिवसेना विधायक जीत कर आ रहे हैं।
  1. धारावी का नाम आते ही ऐसा के सबसे बड़े स्लम की तस्वीर सामने आती है। अगर विधानसभा सीट की बात करें तो इसको भी 34% मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद परिसीमन में दलित आरक्षित कर दिया गया है। इस सीट को आप कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़ की परंपरागत सीट भी कह सकते हैं। वो यहाँ से लगातार चार बार से विधायक चुनी जा रही हैं।
SrAssembly ConstituencyMuslim %
1Aurangabad Central38.2
2Aurangabad East37.1
3Dharavi (SC)33.3
4Versova33.3
5Vandre East33
6Kurla (SC)30.7

विधानसभा सीटें जहां मुस्लिम मतदाता 20-30% हैं:

अब बात करते हैं उन सीटों की जहां मुस्लिम आबादी 20 से 30 फीसदी है। राजनीतिक हलकों में कहा जाता है कि जिस सीट पर भी किसी समुदाय की 20-30% आबादी होती है वो किसी एक समुदाय के साथ राजनीतिक समीकरण बैठा कर वहां से चुनाव आसानी से जीत सकता है।

महाराष्ट्र में 22 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाता 20-30% हैं मगर अधिकतर सीटों पर मुसलमान राजनीतिक समीकरण के खेल को न समझने की वजह से विधायिका से दूर है। इनमें से पुणे कैंटोनमेंट और वाशिम 2 ऐसी सीटें हैं जहां सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद ये परिसीमन के नाम पर आरक्षित हैं।

इन 22 सीटों में से केवल 3 सीट से मुस्लिम उम्मदीवार चुनाव जीते हैं। अनुशक्ति नगर सीट से एनसीपी के कद्दावर नेता नवाब मलिक विधायक हैं। मलाड वेस्ट से कांग्रेस के असलम शेख विधायक चुने गए हैं। वहीं धुले शहर से AIMIM के शाह फारूक अनवर मौजूदा विधायक हैं।

SrAssembly ConstituencyMuslim %
1Anushakti Nagar29
2Malad West27.7
3Chandivali27.6
4Andheri West27
5Akot25.3
6Vandre West25.2
7Parbhani24.8
8Solapur City Central24.5
9Kalina24.3
10Balapur23.4
11Nanded North23.2
12Nanded South23.1
13Nagpur Central22.1
14Dhule City21.6
15Sion koliwada21.1
16Pune Cantonment (SC)21
17Karanja20.4
18Latur City20.1
19Jalna20
20Malkapur20
21Raver20
22Washim (SC)20

विधानसभा सीटें जहां मुस्लिम मतदाता 15-20% हैं:

अगर बात की जाये महाराष्ट्र विधानसभा में 15-20% वाली मुस्लिम वोटर वाली सीटों की तो ऐसी 16 विधानसभा सीटें मौजूद हैं। इन सीटों पर मुस्लिम मतदाता का चुनावी रुझान किसी भी प्रत्याशी की जीत हार को तय करने के लिए निर्णायक होता है। इनमें से केवल एक सीट सिलोड विधान सभा से शिव सेना के दिग्गज नेता अब्दुल सत्तार मौजूदा विधायक हैं।

SrAssembly ConstituencyMuslim %
1Nashik Central19.3
2Sillod19.3
3Beed19.1
4Hadapsar19
5Achalpur17.9
6Aurangabad West (SC)17.2
7Mira Bhayandar17
8Gangapur16.3
9Colaba16.2
10Buldhana16
11Solapur South15.6
12Badnera15.1
13Ahmadnagar City15
14Bhusawal15
15Jalgaon City15
16Kasba Peth15

विधानसभा सीटें जहां मुस्लिम मतदाता 10-15% हैं:

पूरे महाराष्ट्र में कम से कम 56 सीटें ऐसी हैं जहां पर मुस्लिम मतदाता 10-15% गिनती में है जो किसी भी प्रत्याशी के चुनावी समीकरण को गड़बड़ करने के लिए काफी होता है। इन सीटों के अलावा केवल 3.4% मुस्लिम मतदाता वाली सीट कागल से एनसीपी के हसन मुशरिफ भी चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे।

SrAssembly ConstituencyMuslim %
1Nagpur North (SC)14.8
2Paithan14.8
3Ghatkopar West14.7
4Jogeshwari East14.4
5Miraj (SC)13.7
6Andheri East13.6
7Ratnagiri13.5
8Chikhli13.3
9Mahim13.2
10Shrivardhan13.2
11Goregaon13.1
12Udgir (SC)13
13Solapur City North12.9
14Sangli12.7
15Ichalkaranji12.6
16Jalgaon(Jamod)12.6
17Jamner12.5
18Wadala12.5
19Parli12.3
20Akkalkot12.1
21Kannad12.1
22Ahmadpur12
23Dindoshi12
24Osmanabad11.9
25Daryapur (SC)11.6
26Nagpur West11.6
27Bhokardan11.4
28Jintur11.4
29Kalyan West11.4
30Murtijapur (SC)11.3
31Ausa11.2
32Deglur(SC)11.2
33Phulambri11.2
34Kaij(SC)11
35Chopda(ST)10.9
36Nilanga10.9
37Pathri10.9
38Khamgaon10.7
39Majalgaon10.7
40Partur10.7
41Shrirampur (SC)10.7
42Vadgaol Sheri10.7
43Digras10.5
44Kamthi10.4
45Mehkar (SC)10.3
46Pachora10.2
47Teosa10.2
48Badnapur (SC)10
49Erandol10
50Hingoli10
51Kolhapur North10
52Shirol10
53Umarga (SC)10
54Vaijapur10
55Worli10
56Yavatmal10

परिसीमन में आरक्षित सीटें (मुस्लिम केंद्रित)

महाराष्ट्र विधानसभा में 16 सीटें ऐसी है जहां मुस्लिम मतदाता अच्छी तादाद में है इसके बावजूद ये सीटें परिसीमन के नाम पर दलित आरक्षित है इस लिए मुसलमानों के उन सीटों पर चुनाव लड़ने पर पाबन्दी है। इनमें से 4 सीटें तो मुस्लिम केंद्रित होने के बावजूद दलित आरक्षित हैं।

SrAssembly ConstituencyDalit %Muslim %
1Dharavi (SC)16.133.3
2Kurla (SC)13.7730.7
3Pune Cantonment (SC)19.7321
4Washim (SC)21.2820
5Aurangabad West (SC)23.5717.2
6Nagpur North (SC)35.4314.8
7Miraj (SC)18.213.7
8Udgir (SC)24.213
9Daryapur (SC)23.8711.6
10Murtijapur (SC)23.6111.3
11Deglur(SC)22.2411.2
12Kaij(SC)15.6611
13Shrirampur (SC)17.9210.7
14Mehkar (SC)20.0910.3
15Badnapur (SC)13.8410
16Umarga (SC)16.0910

अनारक्षित दलित बहुल सीटें

अगर दलित आबादी के हिसाब से परिसीमन में सीटों को आरक्षित किया जाता है तो 31 विधानसभा सीटें ऐसी है जहां दलित आबादी सबसे ज्यादा (17% से ज्यादा) है इसके बावजूद वो सीटें जनरल कैटागोरी में हैं। इनमें से लगभग 17 सीटें तो दलित बहुल होने के बावजूद अनारक्षित हैं।

SrAssembly ConstituencyDalit %Muslim %
1Badnera26.3615.1
2Nagpur South West22.311.7
3Mukhed22.246.8
4Sindkhed Raja21.337.1
5Naigaon21.098.7
6Risod20.949.4
7Teosa20.8810.2
8Nagpur West20.5911.6
9Dhamamgaon Railway20.087.2
10Nilanga19.8710.9
11Parvati19.446.9
12Khamgaon19.410.7
13Hadgaon19.326.6
14Latur Rural19.318.1
15Nagpur South19.28.4
16Ahmadpur19.1212
17Phulambri19.0311.2
18Vadgaol Sheri18.8910.7
19Loha18.887.2
20Hingna18.773.5
21Nagpur East18.739.4
22Sakoli18.651.5
23Ballarpur18.485.8
24Chikhli18.4413.3
25Kamthi18.3410.4
26Osmanabad17.8911.9
27Kolhapur South17.85.8
28Hingoli17.6510
29Deoli17.623.8
30Savner17.584.6
31Bhokar17.049.5

परिसीमन में दलित और मुस्लिम सीटों के खेल को कुछ विधानसभा सीटों के उदहारण से समझेंगे तो और आसानी होगी।

जैसे कुर्ला विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता 31% होने के बावजूद इसको परिसीमन में आरक्षित कर दिया गया है जबकि इस सीट पर दलित आबादी केवल 13.77% है। इसके उल्ट नागपुर दक्षिण पश्चिम वाली सीट पर 23% दलित आबादी के बावजूद इसको जनरल सीट की श्रेणी में रखा गया है। इस सीट पर मुस्लिम आबादी केवल 1.7% है।

ऐसे ही धारावी विधानसभा सीट में भी 34% मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद ये सीट दलित आरक्षित है। इस सीट पर दलित मतदाता केवल 16% है। इसके उल्ट मुखेड और सिंदखेड राजा विधानसभा सीटें दलित केंद्रित होने के बावजूद जनरल श्रेणी में हैं। मुखेड में जहां 23% दलित मतदाता है वहीं सिंदखेड राजा सीट पर 22% दलित वोटर हैं।

  • इसी प्रकार पुणे कैंट और वाशिम विधानसभा सीट को भी परिसीमन में दलित आरक्षित किया गया है। पुणे कैंट सीट पर 20% मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं वाशिम सीट पर भी मुस्लिम वोटर 22% के साथ चुनावी राजनीति में निर्णायक स्थान रखते हैं। इसके उल्ट नायगाव, रिसोड, तेओसा, नागपुर पश्चिम, धामणगांव और निलंगा विधानसभा सीट जहां दलित आबादी 20 फीसदी से ऊपर है इसके बावजूद इसको जनरल श्रेणी में रखा गया है।

दलित और मुस्लिम समीकरण

अगर राजनीतिक समीकरण की बात करें तो महाराष्ट्र की राजनीती में मुस्लिम और दलित वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। राज्य की 11.54% मुस्लिम मतदाता और 11.81% दलित मतदाता कुछ सीटों पर ऐसा चुनावी समीकरण बनाते हैं कि किसी भी प्रत्याशी को आसानी से जीत हासिल हो सकती है।

कुछ उदहारण से इस मुद्दे को समझा जा सकता है।

Badnera

Dalit: 26.36

Muslim: 15.1

Ahmadpur

Dalit: 19.12

Muslim: 12

Solapur City North

Dalit: 16.81

Muslim: 12.9

Parli

Dalit: 16.23

Muslim: 12.3

Sangli

Dalit: 16.11

Muslim: 12.7

Jalgaon (Jamod)

Dalit: 15.65

Muslim: 12.6

Chikhli

Dalit: 18.44

Muslim: 13.3

Osmanabad

Dalit: 17.89

Muslim: 11.9

Phulambri

Dalit: 19.03

Muslim: 11.2

Kamthi

Dalit: 18.34

Muslim: 10.4

कुछ उभरते हुए सवाल ?

अब यहां ये सवाल उभरता है कि आखिर दलित बहुल सीटें होने के बावजूद मुस्लिम बहुल सीटों को परिसीमन के नाम पर आरक्षित क्यों किया गया है ?

राजनीतिक तौर पर महाराष्ट्र के मुसलमानों के उत्थान में रुकावट के लिए आखिर कौन से कारक जिम्मेदार हैं ?

विधानसभा की 37 सीटों पर सीधे तौर पर निर्णायक होने के बावजूद केवल 10 मुस्लिम विधायक क्यों हैं?

इन सवालों के जवाब आप भी ढूंढने की कोशिश कीजिये ताकि मुस्लिम समुदाय के राजनीतिक उत्थान के लिए उचित प्रयास किया जा सके। इस मुद्दे पर आपके क्या विचार हैं हमारे साथ जरूर साझा करें।

धन्यवाद !!!


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