बॉम्बे हाई कोर्ट का नाम बदलने की याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
याचिका में दलील दी गई कि महाराष्ट्र के लोगों के जीवन में महाराष्ट्र शब्द विशेष महत्व को दर्शाता है. लिहाजा अब इसका उपयोग हाई कोर्ट के नाम पर अभिव्यक्ति के सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के अधिकार के रूप में किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है, जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट का नाम बदलकर महाराष्ट्र हाई कोर्ट करने की मांग की गई है. इस जनहित याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. यह याचिका मुंबई के लेबर कोर्ट के रिटायर जज वी. पी. पाटिल ने दाखिल की है, जिस पर चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस एस. ए. बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच सुनवाई कर रही है.
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि महाराष्ट्र के लोगों के जीवन में 'महाराष्ट्र' शब्द विशेष महत्व को दर्शाता है. लिहाजा अब इसका उपयोग हाई कोर्ट के नाम पर अभिव्यक्ति के सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के अधिकार के रूप में किया जाना चाहिए. यह संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत महाराष्ट्र के लोगों का मौलिक अधिकार है.
इससे पहले देश के कई हाई कोर्ट के नाम बदलने के लिए संसद में उच्च न्यायालय विधेयक-2016 पेश किया गया था. हालांकि राज्यों के बीच सर्वसम्मति नहीं होने के कारण यह बिल पास नहीं हो पाया था. याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में कहा कि अदालत को यह स्वीकार करना चाहिए कि स्वायत्तता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए जीवन के अधिकार में समाहित है.
इस पीआईएल में यह भी कहा गया कि हाई कोर्ट जैसे सार्वजनिक संस्थान का नाम महाराष्ट्र की संस्कृति के अनुरूप न होने से महाराष्ट्रीयन का सांस्कृतिक दावा खतरे में है. बॉम्बे हाई कोर्ट के नाम को बदलकर महाराष्ट्र हाई कोर्ट करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उस समय केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, जब वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने भारत समेत पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है. मोदी सरकार ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए लॉकडाउन 5.0 कर रखा है, जो 30 जून तक चलेगा.