निर्वस्त्र होकर नहीं करना चाहिए ये तीन काम, कारण भी जान लीजिए?
सुख शांति और कल्याण की चाहत रखने वाले मनुष्य को तीन समय पर निर्वस्त्र नहीं रहना चाहिए...
शास्त्रों और पुराणों में मनुष्य के कल्याण के लिए कई नियम बताए गए हैं। इनमें खान-पान से लेकर वस्त्र धारण करने तक के नियम भी शामिल हैं। क्योंकि कहीं न कहीं ये हमारी उर्जा को प्रभावित करते हैं। तभी पूजा करते समय बिना सिले हुए दो वस्त्र धारण करने का विधान है।
इसके पीछे कारण यह है कि सिले वस्त्र सांसारिकता के बंधन का एहसास दिलाते हैं जबकि बिना सिले वस्त्र मुक्ति का बोध कराते हैं। वस्त्र धारण करने के संदर्भ में विष्णु पुराण में जो बातें बताई गईं हैं उनके अनुसार सुख शांति और कल्याण की चाहत रखने वाले मनुष्य को तीन समय पर निर्वस्त्र नहीं रहना चाहिए।
1. विष्णु पुराण के बारहवें अध्याय में कहा गया है कि स्नान के समय मनुष्य को निर्वस्त्र नहीं होना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में चीरहरण कर यही संदेश दिया था कि मनुष्य को स्नान के समय निर्वस्त्र नहीं रहना चाहिए क्योंकि इससे जल के देवता का अपमान होता है।
2. सोते समय मनुष्य को निर्वस्त्र नहीं रहना चाहिए। ऐसा करने से रात्रि के देवता चन्द्रमा का अपमान होता है। ऐसी भी मान्यता है कि रात के समय पितृगण अपने परिजनों को देखने आते-रहते हैं। अपने परिजनों को निर्वस्त्र देखकर उन्हें कष्ट होता है।
3. विष्णु पुराण के अनुसार आचमन करते समय भी मनुष्य को निर्वस्त्र नहीं रहना चाहिए।