नई दिल्ली
नई ट्रेनें और रेल किराए समेत रेलवे की तमाम सुविधाओं के लिए संसद की तरफ देखने के दिन लद जाएंगे। नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में रेल बजट खत्म करने की सिफारिश की है। आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि अलग से रेल बजट की जरूरत नहीं है।
अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में छपी खबर के अनुसार, नीति आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपे अपने 20 पन्ने के नोट में इस उच्च स्तरीय सालाना कार्यक्रम को बंद करने के पक्ष में सिफारिश की है. पीएमओ ने इस हाई प्रोफाइल आयोग से रेल बजट को लेकर उसकी राय मांगी थी
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यह रिपोर्ट नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय ने तैयार की है जो पहले भी रेलवे के कायापलट पर एक रिपोर्ट तैयार कर चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट में कहा गया है कि अलग रेल बजट पेश करने की मौजूदा व्यवस्था को खत्म करने से रेल सुधार की दिशा में अच्छा संदेश जाएगा। ज्ञात हो कि देबरॉय कमेटी की एक रिपोर्ट पर पहले भी हंगामा हो चुका हैं जिसमे रेलवे के निजीकरण की सिफारिश की गई थी।
रेलवे के पुनर्निर्माण के लिए दिए गए नोट में कई सिफारिशें की गई है. पीएमओ इन सिफारिशों में से कुछ पर जल्द ही अमल कर सकता है. पैनल के दूसरे सदस्य और अर्थशास्त्री किशोर देसाई के मुताबिक रेल बजट का सालाना कार्यक्रम अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पा रहा है और पूरी तरह मशीनी लगता है.
रेल भवन के सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग की स्टडी के बाद आर्थिक विभाग, वित्त सचिव, कैबिनेट सेक्रेटरी को इस बारे में अवगत करा दिया गया है.