चीन और पाकिस्तान से पहले MTCR में शामिल हुआ भारत

Update: 2016-06-27 05:58 GMT

नई दिल्ली : नएसजी मेंबरशिप हासिल करने में चीन की वजह से भारत को भले ही नाकामी मिली, लेकिन 34 देशों के मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) ग्रुप में भारत औपचारिक तौर पर शामिल हो गया है। दुनिया के चार महत्वपूर्ण परमाणु टेक्नोलॉजी निर्यात करने वाले खास देशों के समूह में एमटीसीआर अहम है। परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह (एनएसजी) में शामिल होने की हालिया कोशिश की नाकामी बाद इसे बेहतर माना जा रहा है।


एमटीसीआर की सदस्यता से भारत उच्चस्तरीय मिसाइल प्रौद्योगिकी की खरीद करने में सक्षम होगा और रूस के साथ इसके संयुक्त उपक्रम को भी बढ़ावा मिलेगा।


उल्लेखनीय है कि चीन जिसने हाल में संपन्न 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की पूर्ण सत्र की बैठक में भारत के प्रवेश की राह में रोड़ा अटकाया वह 34 सदस्यीय एमटीसीआर का सदस्य नहीं है। चूंकि, भारत का असैन्य परमाणु करार अमेरिका के साथ है।


एमटीसीआर में कुल 34 प्रमुख मिसाइल निर्माता देश शामिल हैं। इसकी स्थापना 1987 में की गई थी. फ्रांस, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका , इटली और कनाडा इसके संस्थापक सदस्य रहे हैं। बुल्गारिया साल 2004 में इस समूह का सदस्य बना था। इसके बाद किसी नए देश को इसका मौका नहीं मिला। अभी तक चीन और पाकिस्तान इस विशेष समूह के सदस्य नहीं हैं।


फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया था। इसके बाद नई दिल्ली में फ्रांस, नीदरलैंड और लक्जेमबर्ग के राजदूतों के साथ इस फैसले को अमली दजामा पहना दिया गया। इस मौके पर भारत ने सबकी सहमति से एमटीसीआर का सदस्य बनाए जाने के लिए सभी सदस्य देशों का आभार जताया।


एमटीसीआर का मकसद मिसाइलों के प्रसार को प्रतिबंधित करना, रॉकेट सिस्टम को पूरा करने के अलावा मानव रहित जंगी जहाजों पर 500 किलोग्राम भार के मिसाइल को 300 किलोमीटर तक ले जाने की क्षमता वाली तकनीक को बढ़ावा देना है। बड़े विनाश वाले हथियारों और तकनीक पर पाबंदी लगाना इस समूह का मकसद है।



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