अषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा मंगलवार से गुप्त नवरात्र शुरू होगी। ज्योतिर्विदों के अनुसार तंत्र साधना, शक्ति की उपासना होगी तो मांगलिक कार्यों के लिए भी ये नौ दिन महत्वपूर्ण है। इस दौरान देवी की पूजा-अर्चना से मनोकामनाएं पूर्ण होती है। गुप्त नवरात्र में शक्ति की उपासना विशेष फलदायी होती है। तंत्र साधना के साथ ही सभी देवियों की पूजा करनी चाहिए।
अषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुक्ल पक्ष की नवमी तक गुप्त नवरात्रि होगी। 13 जुलाई को पडऩे वाली नवमी को ही भड़ली नवमी या अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। इस दिन बिना मुहूर्त देखे ही विवाह, जनेऊ , मुंडन आदि संस्कार बिना मुहूर्त देखे ही किया जाता है। संयोग है कि भड़ली नवमी को इस बार विवाह के शुभ मुहूर्त भी हैं।
गुप्त नवरात्र में दस महाविद्या सहित सभी देवियों की उपासना होती है। मंत्र जप करने से विघ्न बाधाएं दूर होती है तो सुख-शांति और समृद्धि भी हासिल होती है।
दस महाविद्याओं में से एक बगलामुखी है। संस्कारधानी में बगलामुखी के दो प्रसिद्ध मंदिर हैं। शंकराचार्य मठ सिविक सेंटर और त्रिपुर सुन्दरी मंदिर तेवर के पास मंदिर हैं। जहां दूर-दराज के भक्त दर्शन-पूजन करेंगे। बगलामुखी मंदिर सिविक सेंटर के पुजारी ब्रह्मचारी चैतन्यानन्द ने बताया कि गुप्त नवरात्रि में बगलामुखी की विधिवत पूजा की जाएगी। यह भगवती भक्तों को विजय दिलाती है।