आज रात देखें उल्का वृष्टि का रंगीन नजारा, नासा करेगा लाइव ब्रोडकास्ट

Update: 2016-08-11 12:01 GMT
नई दिल्ली: गुरुवार की रात आसमान में उल्कावृष्टि का रंगीन नजारा देखने को मिलेगा और यह चरम पर रहने वाला है। स्पेस के निदेशक सीबी देवगन ने बताया कि ये हर साल अप्रैल के आखिरी में शुरू और मई के पहले हफ्ते तक चलती है। उन्होंने ये भी बताया कि हैले कामेट (धूमकेतु) के धूलभरे मलबे से पृथ्वी के गुजरने के नतीजतन ऐसा होता है।

हैले कामेट इससे पहले पृथ्वी से 1986 में देखा गया था लेकिन अब यह यूरेनस की कक्षा से परे बहुत दूर है। यह उल्कावृष्टि 11 से 13 अगस्त के बीच यह रोमांचक खगोलीय घटना होने जा रही है। इस घटना में एक घंटे के दौरान 200 तक जलती उल्काओं को देखा जा सकेगा।

उल्कावृष्टि एक प्रकार की खगोलीय घटना है। यह एक ऐसी घटना है, जिसको हम अपने नंगे आँखों से भी देख सकते हैं। यह घटना गुरुवार की रात से शुक्रवार तक जारी रहेगी। खगोलविदों का मानना है कि इस घटना में एक घंटे में 200 तक उल्कापात नजर आएंगे। जिसमें आसमान से जमीन की ओर आतिशबाजी का नजारा देखने को मिल सकता है।

आपको बता दें यह उल्कापात चरम पर मात्र तीन दिन ही दिन ही रहने वाली है। इस घटना को रात दस बजे बाद आसमान में उत्तर पूर्व की दिशा में देखा जा सकेगा। यह एक बेहद रोमांचकारी खगोलीय घटना है। इस घटना को नासा लाइव ब्रोडकास्ट करने जा रहा है। मौसम विभाग के अनुसार अगर मौसम साफ रहेगा तो इसे साफ़-साफ़ देखा जा सकता है। खगोल प्रेमियों को इस घटना का बेसव्री से इंतजार रहता है।

आर्यभटट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे के अनुसार उल्कावृष्टि धूमकेतुओं के कारण होती है। जब भी कोई धुमकेतु गुजरता है तो अपने पीछे उल्काओं के रूप में धूल, कंकण व मलबा छोड़ जाता है। उसके बाद जब भी पृथ्वी उस मार्ग से आगे बढ़ती है तो उसके वातावरण से स्पर्श करते ही उल्काएं जल उठती हैं और आतिशबाजी जैसा नजारा देखने को मिलता है। पूर्व में स्विफ्ट टटल नामक धूमकेतु पृथ्वी की कक्षा से होकर गुजरा था। इसी कारण पर्शिड्स मेटियोर शॉवर की खगोलीय घटना होती है।
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